Property rights : प्रोपर्टी पर मालिकाना हक पाने के लिए केवल पेमेंट कर देना व कब्जा लेना ही काफी नहीं है। अनेक लोग खरीदी गई प्रोपर्टी के पैसों का भुगतान करके कब्जा (property possession) लेना की काफी समझते हैं। ऐसी स्थिति में आप उस प्रोपर्टी के मालिक नहीं बन सकते। इस बारे में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है, चलिये जानते हैं क्या कहा है देश की शीर्ष अदालत ने।
प्रोपर्टी खरीदते समय बहुत से लोग कुछ जरूरी बातों की अनदेखी कर जाते हैं। यही अनदेखी उनको बाद में बहुत भारी पड़ती है। प्रोपर्टी (property knowledge) लेकर कई लोग पैसों का भुगतान करके कब्जा भी ले लेते हैं। इसे वे मालिकाना हक (property ownership rights) के लिए काफी समझते हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट (SC decision on property) के अनुसार यह नाकाफी है। प्रोपर्टी के मालिकाना हक से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। हर प्रोपर्टी खरीददार के लिए इस फैसले के बारे में जानना जरूरी है।
यह काम नहीं किया तो नहीं मिलेगा मालिकाना हक-
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार प्रोपर्टी लेने के बाद अगर खरीददार ने सेल डीड (sale deed) को रजिस्टर्ड नहीं करवाया तो उसे प्रोपर्टी का मालिकाना हक नहीं मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार किसी अचल संपत्ति के मालिकाना हक को तभी ट्रांसफर (property transfer rules) किया जा सकता है जब संबंधित प्रोपर्टी की सेल डीड का रजिस्ट्रेशन हो चुका हो।
प्रोपर्टी खरीददार यह रखें ध्यान –
फैसले में यह भी साफ कहा गया है कि केवल प्रोपर्टी पर कब्जा (possession on property) लेने व रकम का भुगतान कर देने से ही संपत्ति का मालिकाना हक ट्रांसफर नहीं किया जा सकता। इसलिए प्रोपर्टी खरीददार प्रोपर्टी खरीदते समय सेल डीड को रजिस्टर्ड करवाना सुनिश्चित कर लें।
इस एक्ट का दिया हवाला –
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट 1882 (Transfer of Property Act) की धारा 54 का भी जिक्र किया है। इसमें बताए प्रावधान से कोर्ट ने क्लियर किया कि किसी प्रॉपर्टी को बिना रजिस्टर्ड डॉक्यूमेंट्स (property documents) के किसी दूसरे के नाम ट्रांसफर नहीं किया जा सकता। इस कानूनी प्रावधान के अनुसार 100 रुपये या उससे ज्यादा कीमत की अचल संपत्ति की बिक्री तभी वैध होगी, जब उसका रजिस्टर्ड दस्तावेजों के जरिए पंजीकरण (property documents) होगा।
इन लोगों को फैसले से लगा तगड़ा झटका –
सुप्रीम कोर्ट (supreme court decision) के इस फैसले से प्रोपर्टी डीलरों व प्रोपर्टी का सौदा कराने वाले बिचौलियों को तगड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने यह फैसला एक नीलामी खरीदार के पक्ष में सुनाया है। कई लोग पावर ऑफ अटॉर्नी (power of attorney) और वसीयत के आधार पर ही किसी दूसरे से प्रॉपर्टी खरीद लेते हैं। वे पेमेंट करके कब्जा भी ले लेते हैं। इसके बाद संबंधित प्रोपर्टी पर मालिकाना हक जताने लगते हैं। ऐसे में स्थिति विवाद (property disputes) वाली हो जाती है। अब ऐसी धांधलीबाजी व विवादों पर अंकुश लगेगा।