Supreme Court : आमतौर पर प्रापर्टी से जुड़े नियमों और कानूनों को लेकर लोगों में जानकारी का अभाव होता है. इसी कड़ी में आज हम आपको अपनी इस खबर में सुप्रीम कोर्ट की ओर से आए एक फैसले के मुताबिक ये बता दें कि प्रापर्टी खरीदते वक्त भूलकर भी ये गलती ना करें… वरना नहीं मिलेगा प्रोपर्टी का मालिकाना हक-
घर, फ्लैट या प्लॉट खरीदते समय केवल रजिस्ट्री पर निर्भर न रहें। सुप्रीम कोर्ट के अप्रैल के फैसले के अनुसार, सिर्फ रजिस्ट्री से ही आप प्रॉपर्टी के मालिक नहीं बन जाते। आपको कई दूसरे डॉक्यूमेंट्स भी चेक करने चाहिए। वरना बाद में पछताना पड़ सकता है। इस साल अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट (supreme court) का एक फैसला आया था। इस फैसले के अनुसार, सिर्फ रजिस्ट्री हो जाना यह साबित नहीं करता कि आप उस प्रॉपर्टी के मालिक हैं।
महनूर फातिमा इमरान बनाम स्टेट ऑफ तेलंगाना केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘अगर किसी प्रॉपर्टी की पहली खरीद अनरजिस्टर्ड सेल एग्रीमेंट (Unregistered sale agreement) के बेस पर हुई है, तो उसके बाद की कोई भी रजिस्टर्ड डील या कब्जा लीगल ओनरशिप (ownership) नहीं माना जाएगा।’ इसका मतलब है कि अगर पहला लेनदेन लीगल नहीं है, तो उसके बाद की सारी डील्स पर सवाल उठेंगे।
क्या होती है रजिस्ट्री?
प्रॉपर्टी खरीदते समय रजिस्ट्री एक अहम प्रक्रिया है, लेकिन यह केवल लेन-देन को आधिकारिक रूप से दर्ज करती है। इसका मतलब यह नहीं है कि लेन-देन सही है या नहीं। यदि पुराने मालिक के पास स्पष्ट स्वामित्व नहीं है, तो रजिस्ट्री होने के बावजूद आपको मालिकाना हक़ नहीं मिलेगा। स्वामित्व साबित करने के लिए आपको अन्य दस्तावेज़ों की भी आवश्यकता होगी।
इन डॉक्यूमेंट्स को जरूर देखें-
प्रॉपर्टी खरीदते समय, मालिकाना हक की चेन सिस्टम को समझना बेहद ज़रूरी है। इसका मतलब है कि आपको यह जांचना चाहिए कि जिस व्यक्ति से आप प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं, उससे पहले यह किसके पास थी और क्या हर पिछले मालिक ने इसे कानूनी तरीके से खरीदा था। आप अपने नगर निकाय से या पुरानी सेल डीड और चेन डीड देखकर यह जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। सेल डीड और टाइटल डीड प्रॉपर्टी (title deed property) खरीदते समय सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज़ हैं, जो आपके मालिकाना हक को सुनिश्चित करते हैं।
इन बातों का रखें ध्यान-
– आप जिससे प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं, अगर उसके पास टाइटल डीड नहीं है, तो उसे प्रॉपर्टी बेचने का अधिकार नहीं है। ऐसे में वह प्रॉपर्टी विवादित भी हो सकती है। बिना टाइटल डीड (title deed) और चेन डीड के प्रॉपर्टी नहीं खरीदें।
– प्रॉपर्टी खरीदते समय आपको प्रॉपर्टी टैक्स की रसीदों (property tax receipts) को भी देखना चाहिए। पता करें कि पुराने मालिक ने प्रॉपर्टी टैक्स दिया है या नहीं।
– प्रॉपर्टी खरीदते समय यह पता कर लें कि संबंधित नगर निगम या प्राधिकरण से प्रॉपर्टी का नक्शा (property map) पास हुआ है या नहीं। अगर नक्शे के अनुसार निर्माण नहीं हुआ है, तो वह अवैध निर्माण कहलाएगा।
– प्रॉपर्टी खरीदते समय Encumbrance Certificate (भार-मुक्त सर्टिफिकेट) भी देखें। यह बताता है कि खरीदी जाने वाली प्रॉपर्टी पर कोई कानूनी केस या कर्ज तो नहीं है। आजकल कई लीगल फर्म्स लोगों को यह सुविधा देती हैं।
– अगर आप फ्लैट (flat) खरीद रहे हैं, तो ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (occupancy certificate) यानी ओसी भी चेक कर लें। यह बताता है कि उस बिल्डिंग को अप्रूव्ड प्लान और नियमों के तहत बनाया गया है या नहीं। अगर ओसी नहीं मिली है, तो उस बिल्डिंग (building) में रहना गैर कानूनी होगा।