Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया, ससुराल वाले नहीं छीन सकते बहू का यह अधिकार। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए कहा कि बहू को उसके वैध अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता। यह फैसला महिलाओं के हक में एक अहम कदम है, जो ससुराल में अपनी संपत्ति और अधिकारों को लेकर चिंतित हैं। नीचे जानें पूरी डिटेल।
भारत में पारिवारिक प्रॉपर्टी विवादों का सामना कोर्ट-कचहरी में अक्सर करना पड़ता है। हाल ही में एक अहम मामला सुप्रीम कोर्ट में आया, जिसमें कोर्ट ने एक महिला के प्रॉपर्टी अधिकारों की रक्षा करते हुए ऐतिहासिक निर्णय सुनाया। यह मामला पहले उच्च न्यायालय में था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय पलटते हुए महिला के हक को सुरक्षित किया।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि महिला को उसके ससुराल से बाहर करने का आदेश नहीं दिया जा सकता। यह मामला 2007 के वरिष्ठ नागरिक कानून के तहत था, जिसके तहत महिला को घर से बाहर करने की याचिका दायर की गई थी। हालांकि, कोर्ट ने महिला के अधिकारों की रक्षा करते हुए यह स्पष्ट किया कि महिलाओं को ऐसे मामलों में सुरक्षित रखा जाना चाहिए, खासकर जब बात उनके जीवन और परिवार से जुड़ी हो।
सास-ससुर की संपत्ति पर बहू का अधिकार Supreme Court
भारतीय कानून के अनुसार, स्व-अर्जित संपत्ति पर बेटे का अधिकार होता है, लेकिन बहू को सास-ससुर की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होता। यदि सास-ससुर ने वसीयत नहीं लिखी है, तो बहू को इस संपत्ति में कोई हिस्सा नहीं मिल सकता। इसके विपरीत, बेटे के निधन के बाद, बहू का अधिकार उसके पति की संपत्ति पर हो सकता है, लेकिन यह तभी संभव है जब पति की संपत्ति पर उसका दावा हो।
पति की प्रॉपर्टी में बहू का अधिकार Supreme Court
पति की संपत्ति पर बहू का अधिकार दो परिस्थितियों में हो सकता है:
- पति द्वारा संपत्ति का हिस्सा देना।
- पति के निधन के बाद, बहू को संपत्ति का अधिकार मिलना।
शादी के बाद, महिला ससुराल जाती है, लेकिन उसे ससुराल की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं मिलता। हालांकि, पति के निधन के बाद, बहू को उस संपत्ति पर अधिकार मिल सकता है।
महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने वाले कानून Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानून (Domestic Violence Act) का उद्देश्य महिलाओं को सुरक्षित आवास प्रदान करना है, भले ही उनके पास उस घर का मालिकाना हक न हो। साथ ही, वरिष्ठ नागरिक कानून, 2007 के तहत भी महिलाओं को ससुराल के घर में रहने का अधिकार मिलता है।
सुप्रीम कोर्ट की क्लियरनेस Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि यदि किसी महिला का हक किसी अन्य कानून से प्रभावित होता है, तो यह उस कानून के उद्देश्य को विफल कर सकता है। कोर्ट ने वरिष्ठ नागरिकों के अधिकार को भी ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया कि उनके लिए यह सुनिश्चित किया जाए कि वे अपनी संतान या रिश्तेदारों पर निर्भर न रहें।
यह फैसला महिलाओं के प्रॉपर्टी अधिकारों की सुरक्षा में एक अहम कदम साबित हुआ है।