शुक्रवार को एक अधिकरी ने कहा की सरकार इलेक्ट्रिक वाहन नीति के तहत निवेश करने वाली कंपनियों के लिए विस्तृत दिशा-निर्देशों पर कम कर रही है। और हितधारकों के साथ परामर्श का दूसरा दौर जल्दी होने की उम्मीद है। भारी उधोग मंत्रालय पिछले महीने परामर्श का पिछले पहला दोहरा आयोजित किया है।
कंपनियों को नीति के तहत आवेदन करने के लिए नई सहायक कंपनी पंजीकृत करने की आवश्यकता नहीं है
अधिकारी ने कहा की ,दिशा निर्देश में आवेदन ,पोर्टल लिंक और परियोजना निगरानी एजेंसी के बारे में जानकारी शामिल होगी। अधिकारी ने ये स्पष्ट किया कि भारत में ऑटो कंपनियां आवश्यक निवेश के लिए प्रतिबद्धता जताकर प्रोत्साहन प्राप्त करने के लिए नीति के तहत आवेदन कर सकती है। अधिकारी ने कहा ,वे नई निति के तहत एक निश्चित संख्या में ईवी के आयात लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकते हैं और अर्हता प्राप्त करने के लिए उन्हें हमारे साथ निवेश के लिए प्रतिबद्ध होना होगा। भारत में पहले से मौजूद कंपनियों को नीति के तहत आवेदन करने के लिए नई सहायक कंपनी पंजीकृत करने की आवश्यकता नहीं है।
सरकार का नया प्लान
15 मार्च को सरकार ने एक इलेक्ट्रिक वाहन नीति को मंजूरी दी है जिसके तहत 500 मिलियन अमेरिकी डॉलरके न्यूनतम निवेश के साथ देश में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करने वाली कंपनियों को शुल्क रियायते दी जाएगी। इस कदम का उद्देश्य यूएस आधारित टेस्ला जैसी प्रमुख वैश्विक कंपनियों को आकर्षित करना है।
5 वर्षों के भीतर 50% घरेलू मूल्य संवर्धन तकपहुंचने के लिए तीन वर्ष तक का समय मिलेगा
नीति के अनुसार ,किसी कंपनी को भारत में भी निर्माण सुविधाएं स्थापित करने वालों का वाणिज्यिक उत्पादन शुरू करने वाला अधिकतम 5 वर्षों के भीतर 50% घरेलू मूल्य संवर्धन तकपहुंचने के लिए तीन वर्ष तक का समय मिलेगा। पैसेंजर इलेक्ट्रिक कारों के लिए मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करने वाली कंपनियों को सरकार द्वारा आवेदन पत्र जारी करने की तिथि से 5 वर्षों के लिए 35000 अमेरिकी डॉलर और उससे अधिक कीमत वाले वाहनों पर 15% से कम सीमा शुल्क आयात शुल्क/आयात शुल्क पर सीमित संख्या में कारों का आयात करने की अनुमति दी जाएगी।