भारत में बकरी पालन का व्यवसाय बहुत पुराने समय से किया जा रहा है।बकरी पालन का बिजनेस ऐसे किसानो के द्वारा किया जाता है ,जिनके पास खेती के लिए कम जमीन होती है।ये ही नहीं भूमिहिनी मजदुर भी बकरी पालन करते है क्युकी इसमें निवेश और जोखिम की संभावना बहुत कम होती है।बकरी पालन खेतो की तुलना में बहुत आसान है।इसी वजह से बकरियों को गरीबो की गाय भी कहा जाता है। भारत में बकरियों की कई तरह की नस्लों को पाला जाता है।तो आइए जानते है बकरियों की टॉप नस्ले के बारे में।
भारत में बकरी की नस्लों के बारे में
मुनापारी बकरी
बकरी की यह नस्ल उत्तर प्रदेश में पाया जाता है।यह बड़े आकार की बकरिया है। इस बकरी के लम्बी लम्बी टांगे,उभरी हुई चेहरे की रेखाओ और बड़े मुड़े हुए लटकते कान होते है।इस बकरी की नस्ल के बड़े थन होते है और इनकी औसत उपज 280 किलोग्राम /274 दिन होती है। जमुनापारी बकरी प्रतिदिन 2 से 2.5 किलोग्राम दूध देने की क्षमता है।
बीटल बकरी
बीटल बकरी की नस्ल मुख्य रूप से उत्तरी राज्य पंजाब में पाए जाते है।बीटल बकरी की नस्ले दूध और मास्स के लिए पाली जाती है।बकरी की यह नस्ल आमतौर पर जमुनापारी नस्ल से छोटे होते है।एक वयस्क नर का वजन 50 -70 किलोग्राम के बिच होता है और एक वयस्क मादा बकरी का वजन 40 -50 किलोग्राम के बिच होता है।औसत दुग्ध उत्पादन 150 किलोग्राम है।इनमे प्रतिदिन 1 से 2 किलोग्राम दूध देने की क्षमता होती है।
सिरोही बकरी
सिरोही बकरी राजस्थान और उत्तर प्रदेश राज्यों के किसानो द्वारा अधिक पाली जाती है।बकरी की यह नस्ल साल में एक बार बच्चा पैदा करती है और इस बकरी नस्ल में जुड़वाँ बच्चे होना आम बात यह।पहले बच्चे के जन्म की औसत आयु 19 महीने आती है।उनकी औसत स्तनपान उपज 17 किलोग्राम है और औसत अवधि 175 दिन है।