केसर एक ऐसी चीज है जिसका इस्तेमाल खानपान से लेकर के पूजा सामग्री तक किया जाता है और यह एक औषधीय पौधा भी है। इसकी मार्केट में दिनों दिन मांग बढ़ती ही जा रही है और यदि आप एक किसान है और एक ही फसल का उत्पादन करके बोर हो गए है तो आज हम आपको केसर की खेती के बारे में जानकारी दें रहे है जो काफी अच्छा मुनाफे वाली फसल है केसर को लाल सोना के नाम से भी जाना जाता है यह बाजार में काफी अच्छी कीमत पर मिल जाती है।
यदि आप भी केसर की खेती करने के बारे में सोच रहे है तो आपको कुछ बातो का खासतौर से ध्यान देने की जरूरत है केसर की खेती ठंडी और शुष्क जलवायु की जरूरत होती है भारत में केसर की खेती मुख्य रूप से जम्मू और कश्मीर में ही होती है इसकी खेती के लिए अच्छी जल निकासी की जरुरत होती है केसर के बीज भी काफी छोटे होते है उन्हें उगने के लिए विशेष तकनीक की जरूरत होती है इसके साथ ही रखरखाव की भी जरूरत होती है इसकी खेती के लिए समय समय पर सिंचाई की जरूरत होती है इसके साथ ही केसर की फसल 7 से 8 महीने में तैयार की जाती है फसल के पकने के बाद में केसर के फूलो को तोड़कर उन्हें सूखा दिया जाता है और इन्ही से केसर को छीलकर बाजार में बेचा जाता है।
केसर की खेती के दौरान रखे ध्यान रखे ये बाते
आपको बता दें, केसर की खेती के लिए खेत की मिट्टी को अच्छी तरह से तैयार कर ले और मिट्टी को 2-3 बार जुताई करें और फिर उसे समतल कर दें। केसर के बीज को सितंबर-अक्टूबर में बोया जाता है। केसर के बीज को 2-3 सेंटीमीटर गहराई में बोना चाहिए। इसकी फसल को नियमित रूप से सिंचाई की आवश्यकता होती है। खासतौर पर फूल आने के समय और फसल पकने के समय अधिक सिंचाई की जरूरत होती है। केसर की फसल को समय-समय पर खाद और उर्वरक की आवश्यकता रहती है। केसर की फसल में खरपतवार का होना नुकसानदायक होता है। ऐसे में इसका नियंत्रण करना भी जरूरी है।