खेत के मेड़ों से कमाई करना चाहते हैं तो चलिए एक ऐसी फसल की जानकारी देते हैं जिसे खेत के किनारे लगाकर आमदनी बढ़ा सकते हैं-
मेड़ों में खेती
कई ऐसे किसान है जो आज भी पारंपरिक फसलों की खेती करते हैं और फल, सब्जी इत्यादि की खेती करने से घबराते हैं। लेकिन अगर चाहे तो छोटे तौर पर नई फसले लगना शुरू कर सकते हैं। फसल विविधीकरण अपना सकते हैं। खेत में भले पारंपरिक फसलों की खेती करें लेकिन खेत के किनारो पर दूसरी फसले लगा सकते हैं।
अंदाजा लगा सकते हैं कि क्या इससे उत्पादन मिलेगा, क्या बाजार में अच्छी कीमत मिलेगी, अगर आपको मुख्य फसल के जैसे ही इससे मुनाफा हो रहा है तो पूरे खेत में इन्हें लगाकर ज्यादा आमदनी ले सकते हैं, तो चलिए जानते हैं खेत के मेड़ों पर कौन सी फसल लगा सकते हैं।
मेड़ों में लगाएं ये फल
किसान भाई खेत के मेड़ों में तरबूज की खेती कर सकते हैं। कई ऐसे किसान है जो इस आइडिया को अपनाकर अपनी आमदनी में वृद्धि कर रहे हैं। जिसके लिए वह खेत के मेड़ों में एक फिट लंबा, चौड़ा और गहरा गड्ढा बनाते हैं। उसमें 50 ग्राम डीएपी डालते हैं फिर 5 दिन बाद गड्ढे में तरबूज का बीज डाल देते हैं, जिससे फसल अच्छी तैयार होती है। क्योंकि मिट्टी उपजाऊ हो जाती है।
इसके बाद 70 से 100 दिनों के बीच फल मिलने लगता है। अगर किसान के क्षेत्र की जलवायु ज्यादा बढ़िया होती है, देखभाल बढ़िया से करते हैं, तो उत्पादन 75 दिन में मिल सकता है। लेकिन कुछ क्षेत्रों की जलवायु के अनुसार उत्पादन में देरी में हो सकती है। चलिए जानते हैं तरबूज की खेती का समय।
खेती का समय
तरबूज की खेती अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग समय में की जा सकती है। जिसमें तरबूज फल मीठा होता है, और सेहत के लिए फायदेमंद होता है गर्मियों में ज्यादा डिमांड में रहता है. इसलिए अधिकतर किसान व्यावसायिक तौर पर जनवरी से फरवरी में इसकी खेती करते हैं। लेकिन खरीफ मौसम में जुलाई में भी तरबूज की खेती यानी कि इस समय कर सकते हैं। मेड़ों पर जमीन ऊंची होती है, जिससे पानी की समस्या भी नहीं आती, तो बरसात में किसान मेड़ों में तरबूज लगा सकते हैं। लेकिन मेड चौड़ी होनी चाहिए।
मिट्टी और जलवायु
किसी भी फसल को लगाने से पहले किसान को देखना चाहिए कि उस फसल के अनुसार उनके खेत की मिट्टी है या नहीं । जिसमें तरबूज की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है। जलवायु की बात करें तो गर्म शुष्क जलवायु सबसे बढ़िया मानी जाती है मिट्टी का पीएच मान 6 से 7.5 के बीच हो तो बेहतर होता है। तरबूज की खेती के लिए बताया जाता है कि 25 से 32 डिग्री सेल्सियस के बीच का तापमान अच्छा होता है।