ज्योति शाश्त्र के अनुसार सूर्य को जल अर्पित करने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है। कहा जाता है की सही नियम के साथ नियमित रूप से सूर्य का अध्र्य देते है तो उसके जीवन में सफलता मिलने लगती है। उनके हर हर काम बनने लगते हैं । शास्त्रों में सूर्य को जल चढ़ाने के सही नियम बताए गए हैं जिनका पालन जातक करें तो उन्हें बहुत लाभ हो सकता है।
किस धातु से बर्तन से सूर्य को अध्र्य अर्पित करना चाहिए
गलत तरीके से अध्र्य देने पर कुंडली में सूर्य की स्थिति कमजोर होने लगती है और परिणाम विपरीत मिलने लगते है। इस बारे में हम आपको बताते हैं कि ज्योतिष का इस बारे में क्या कहना है और किस धातु से बर्तन से सूर्य को अध्र्य अर्पित करना चाहिए।
सूर्य देव को अष्ट धातु के पात्र से जल पर अर्पित करना चाहिए
बैशाख माह में सूर्य देव को अष्ट धातु के पात्र से जल पर अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से सूर्य देव की कृपा बनी रहती है। इसके साथ ही सूर्य ग्रहण का प्रभाव शुभ होता है। अष्टधातु में चांदी ,तांबा,शीशा , लोहपारा ,सोना सभी धातुओं का मिश्रण होता है। सूर्य को इससे जल चढ़ाने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और शुभ फलों की प्राप्ति होती है। आपको हर कार्य में सफलता मिलती है।इसके साथ ही सूर्य ग्रहण का प्रभाव शुभ होता है।
चांदी का संबंध चंद्रमा से होता है
इसके अलावा चांदी का संबंध चंद्रमा से होता है ऐसेमे अगर बैशाख के महीने में सूर्य देव को अष्ट धातु में मिली चांदी की कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है। वहीं अगर किसी व्यक्ति को मानसिक तनाव है तो उससे भी इस व्यक्ति को मुक्ति मिलती है।