Gold Rate :भारत देश में सोने का विशेष महत्व है। हमारे देश में चाहें शादी हो या अन्य को शुभ अवसर, सोने की खरीदारी करना शुभ माना जाता है। हमारे यहां हर शुभ काम की शुरुआत में सोने-चांदी का भी अहम योगदान रहता है। ऐसे में हर किसी की नजर सोने की कीमतों पर टिकी रहती है।
पिछले कुछ दिनों से सोने और चांदी की कीमतों में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। कल तो सोने की कीमतों ने एक बार फिर से नया कीर्तिमान स्थापित किया है।
ऐसे में अगर आप इन बढ़ती कीमतों और बाजार की इस अस्थिरता के बीच सोना खरीदना चाहते हैं तो सोने से संबंधित कुछ चीजे जानना बहुत जरूरी है।
अगर आप इन सभी बातों को जान लेते हैं तो आप सोने की महंगाई की मार से भी बच सकते हैं। सोने की कीमतों (Gold Rate) का यह खेल समझना हर ग्राहक के लिए बेहद जरूरी है। चलिए हमारी पूरी खबर पढ़िए और सोने के इस गणित को समझें।
सोने की मांग और आपूर्ति करती है प्रभावित
सोने की कीमतों पर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार दोनों का ही प्रभाव ही देखने को मिलता है। MCX वायदा बाजार में भी सोने की कीमतें तय की जाती हैं। एमसीएक्स (MCX) पर सोने की कीमतें हमारे घरेलू बाजार में चल रही सोने की मांग, सोने की आपूर्ति से जुड़े सभी व अंतरराष्ट्रीय बाजार में चल रही मुद्रास्फीति की स्थिति को देखते हुए तय की जाती है।
वैट, लेवी व लागत को जोड़ तय होती है कीमत
इसके अलावा सोने की कीमतें तय करने से पहले एमसीएक्स वायदा बाजार लंदन के बुलियन मार्केट एसोसिएशन के साथ भी तालमेल बिठाता है। इसके बाद ही सोने की अंतिम कीमतें तय की जाती हैं। एमसीएक्स (MCX) पर सोने की जो भी कीमतें तय की जाती हैं वो वैट, लेवी व लागत तीनों को साथ जोड़की की जारी किए जाते हैं।
ऐसे में आप अपने आस-पास के बाजार से ही अकसर सोने-चांदी के ही जेवरात खरीदते हैं। आप जिस भी रेट पर सुनार से सोने के रेट खरीदते हैं उसे आमतौर पर हाजिर भाव/रेट या स्पॉट रेट कहा जाता है। सोने-चांदी के यह रेट एमसीएक्स (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) (MCX) के बेसिस पर निर्धारित किए जाते हैं।
कैसे तय होते हैं एमसीएक्स पर भाव
एमसीएक्स वायदा बाजार (MCX) पर सोने की जो अंतिम कीमतें निर्धारित की जाती हैं उससे पहले लंदन स्थित बुलियन मार्केट एसोसिएशन के साथ तालमेल बैठाया जाता है या यू कहें कि BMA (बुलियन मार्केट एसोसिएशन) के साथ समन्वय किया जाता है।
इसके साथ ही भारतीय मार्केट में सोने की डिमांड, सोने की आपूर्ति से जुड़ा पूरा डाटा और वैश्विक बाजाम में उस समय चल रही मुद्रास्फीति की स्थिति का भी कीमतें तय करने से पहले अध्ययन किया जाता है। इन सभी जीचों को ही ध्यान में रखर एमसीएक्स पर सोने की कीमतें निर्धारित की जाती हैं। एक बार सभी फैक्टर को ध्यान में रखते हुए कीमत तय करने के बाद उसकी घोषणा कर दी जाती है।
सोने की कीमत पर किसका पड़ता है
अगर हम बात करें सोने की कीमतें निर्धारित करने की तो सोने के एक भाव तय करने से पहले काफी सारी चीजों पर ध्यान दिया जाता है। सोने की कीमतें तय करने पर काफी सारी चीजों का प्रभाव पड़ता है। चलिए जानते हैं कि सोने की कीमतों पर किन चीजों का प्रभाव पड़ता है।
नए नियम किमतों को करते हैं प्रभावित
सोने की कीमतों पर घरेलू व अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों का ही असर पड़ता है। सोने की कीमतों पर ग्लोबल व डोमस्टिक बाजार, दोनों स्तरों की इकोनोमिक कंडीशनस और घरेलू व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लिए जा रहे राजनीतिक फैसलों का प्रभाव देखने को मिलता है।
इसे एक उधारण के साथ ऐसे समझा जा सकता है कि मान लीजिए हमारे भारत देश में सोने के इंपोर्ट को लेकर सरकार कोई नया नियम-कानून बनाकर उसे लागू करती है, तो उसका प्रभाव साफ-साफ सोने की कीमतों पर देखने को मिलेगा।
उत्पादन कम होने का भी होता है प्रभाव
वहीं, जो देश सोने का एक्सपोर्ट करते हैं अगर वहां किसी भी कारणवश अगर सोने का प्रोडक्शन/उत्पादन कम हो जाता हैं या उसमें काफी गिरावटन आने लगती है तो इसका असर भी सोने की कीमतों पर आपको देखने को मिल सकता है।
कैसे निर्धारित होता है हाजिर भाव
आप अपने आस-पास के ज्वेलर से जिस भी कीमत में सोना खरीदते हैं उसे हाजिर भाव या स्पॉट प्राइस कहते हैं। आप जिन कीमतों पर ज्वेलर से सोना खरीदते हैं उन्हें भी काफी विचार-विर्मश के बाद तय किया जाता है।
हाजिर भाव को बाजार खुलने के समय अधिकांश शहरों के सर्राफा एसोसिएशन के मेंबर मिलकर बातचीत के साथ तय करते हैं। हर शहर का अपना सर्राफा बाजार होता है।
वहां के सर्राफा व्यापारी ही यह कीमतें तय करते हैं, जिसकी वजह से हर शहर में सोने की कीमतों में कुछ अंतर मिलता है। 14, 18, 22 व 24 कैरेट के हिसाब से ही सोने के अलग-अलग भाव निर्धारित किए जाते हैं।
कैसे तय होती हैं विदेश में कीमतें
पूरे विश्व भर में सोने के रेट लंदन स्थित बुलियन मार्केट में निर्धारित होती हैं। लंदन स्थित बुलियन मार्केट विश्व का सबसे बड़ा बुलियन मार्केट है। अगर हम 2015 से पहले की बात करें तो लंदन गोल्ड फिक्स सोने की नियामक इकाई थी, जहां से सोने की कीमतें निर्धारित की जाती थी।
इसके बाद 20 मार्च 2015 के बाद से एक नई युनिट बनाई गई, जिसका नाम लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन रखा गया। लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन को ICE प्रशासनिक बेंच मार्क चलाता है। ये संगठन विश्व के लगभग सभी देशों की सरकारों की सहायता से उनके नेशनल लेवल के संगठनों के साथ मिलकर यह डिसाइड करते हैं कि सोने की कीमतें वहां पर क्या होनी चाहिए।