Toll Tax : टोल टैक्स के नियमों में सरकार ने महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं कि अब जीएनएसएस से लैस निजी वाहन 20 किलोमीटर तक के सफर के लिए टोल टैक्स से फ्री होगा। वहीं नए नियमों के अनुसार ऐसे वाहनों के मालिकों को राजमार्गों और एक्सप्रेसवे पर इस दूरी में कोई शुल्क नहीं चुकाने होंगे।
Toll Tax : राजमार्ग शुल्क नियम 2008 में किया गया है संशोधन
आपको बता दें कि इस संबंध में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने मंगलवार को अधिसूचना जारी कर दिए हैं। वहीं इसमें राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क नियम 2008 में संशोधित किए गए है। वहीं इसमें राष्ट्रीय राजमार्ग संशोधन नियम 2024 के नाम से जाने जाएंगे।
वहीं नए नियमों के मुताबिक के राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेस – वे पर 20 किलोमीटर तक की दूरी की तय करने पर कोई शुल्क नहीं लिए जाएंगे। वहीं स्थिति ज्यादा की दूरी तय करने पर वाहन मालिक से टोटल दूरी पर शुल्क लिए जाएंगे।
Toll Tax : अधिसूचना में क्या है, जानिए नीचे की लेख में
आपको बता दें कि अधिसूचना के अनुसार राष्ट्रीय पर मिट्टी धारण करने वाले वाहनों को छोड़कर यदि कोई अन्य वाहन राष्ट्रीय राजमार्ग, स्थायि पुल, वहीं बाईपास या सुरंग के रूट का इस्तेमाल करते हैं तो उसे जीएनएसएस -आधारित उपयोगकर्ता शुल्क संग्रह प्रणाली के अंतर्गत 1 दिन में प्रत्येक दिशा में 20 किलोमीटर की यात्रा तक कोई शुल्क नहीं लिए जाएंगे।
वहीं यह नियम उन वाहनों के लिए लागू किया जा रहा है। जो निर्धारित रोड का इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे उन्हें यात्रा के दौरान शुल्क से राहत मिलेंगे।
जीएनएसएस युक्त वाहन के लिए चिन्हित होंगे गेट
आपको बता दें कि जीएनएसएस वाहन के लिए चिन्हित गेट उपलब्ध होगा। वहीं इस लेन में अगर कोई अन्य वाहन प्रवेश करता है तो लागू उपयोगिता फीस से दोगुना शुल्क वसूले जाएंगे। वहीं इसका उद्देश्य यातायात के दबाव को कम करने और वाहन चालकों से राजमार्ग की सटीक दूरी का शुल्क वसूलने हैं।
कैसे करेगा काम, जानिए नीचे की लेख में
बता दें कि यह प्रणाली वाहनों में ट्रैकिंग डिवाइस लगे होते है वही टोल रोड पर प्रवेश करते ही राजमार्ग प्रणाली वहां की यात्रा को ट्रैक करते हैं। बता दे कि राजमार्ग से बाहर निकालने पर तय दूरी के अनुसार वहां से जुड़े बैंक अकाउंट से टोल राशि कट जाते हैं।
- वही नंबर प्लेट की पहचान के लिए ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रीडर कमरों का प्रयोग किए जाते है।
- वही पंजीकरण संख्या, भुगतान विवरण जीपीएस से प्राप्त किए जाते है।
- बता दें कि इस प्रणाली से टोल प्लाजा की जरूरत नहीं पड़ता है जिससे यात्रियों का समय और ईंधन भी बच जाता है।
- वहीं इसका लाभ या होगा कि टोल गेट पर वाहनों को अधिक देर तक रोकने की आवश्यकता नहीं पड़ेगा।
पायलट आधार पर लागू करने का किए गए थे फैसला
बता दें कि इससे पहले मंत्रालय ने कहे थे कि उसने फास्ट ट्रैक के साथ एक अतिरिक्त सुविधा के रूप में चुनिंदा राष्ट्रीय राजमार्गों पर उपग्रह – आधारित टोल संग्रह प्रणाली के पायलट आधार पर लागू करने का फैसला किए गए है। जीएनएसएस – आधारित उपयोगकर्ता शुल्क संग्रह प्रणाली का एक पायलट अध्ययन कर्नाटक में एनएच – 275 के बेंगलुरु – मैसूर खंड और हरियाणा में एनएच – 709 के पानीपत – हिसार खंड पर किए गए हैं।
वाहनों में लगे ऑन बॉर्डर यूनिट की सहायता से गणना करते हैं शुल्क की
GNSS – आधारित टोल कनेक्शन सिस्टम के तहत हाईवे पर तय किए गए दूरी के आधार पर टोल लिए जाते हैं। वहीं मौजूदा तरीके के तहत भले ही यूजर्स टोल रोड के एक हिस्से की यात्रा करते हैं। वही उसे एक निश्चित राशि का भुगतान करने पड़ते हैं। ऐसे में सैटेलाइट – आधारित सिस्टम वहां की गतिविधि को ट्रैक करते है और वाहनों में लगे ऑन बोर्ड यूनिट की सहायता से शुल्क की गणना करते हैं।
जानिए GNSS और GPS में अंतर
आपको बता दें कि GNSS उपग्रह को का एक समूह होता है। जो पृथ्वी पर स्थित रिसीवर्स को स्थिति और समय संबंधित जानकारी प्रदान करते हैं। वहीं इसके अंतर्गत जीपीएस एक विशेष प्रणाली होता है। जो उपग्रहों का नेटवर्क है और स्थान निर्धारण के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। वही GNSS विभिन्न देशों के उपग्रहों को एक साथ लाते हैं।
जबकि जीपीएस केवल अमेरिकी उपग्रह पर आधारित है। वही सरल शब्दों में GNSS डेटा भेजते हैं। जबकि जीपीएस किसी निश्चित स्थान की जानकारी प्रदान करते है।