सूर्य ग्रहण एक भौगोलिक घटना है और ज्योतिष में भी इसे काफी महत्वपूर्ण माना गया है।लोगो पर सूर्य ग्रहण का अलग अलग तरह के प्रभाव पड़ता है।इस साल यानी 2024 में अप्रेल में पहला सूर्य ग्रहण पड़ने जा रहा है और ये एक पूर्ण ग्रहण होगा। ऐसे में लोगो के सवाल है की सूर्य ग्रहण कितनी तरह का होता है।तो आइए जानते है सूर्य ग्रहण कितने प्रकार के होते है।
क्या है पूर्ण सूर्य ग्रहण
साल का पहला सूर्य ग्रहण 8 अप्रेल को लगने जा रहा है।ये ग्रहण रात को 9:12 मिनट से शुरू होगा और आधी रात को 1:15 मिनट पर खत्म होगा।यानी इस पुरे सूर्य ग्रहण की कुल अवधि चार घंटे पच्चसी मिनट की होगी।इस ग्रहण को पूर्ण सूर्य ग्रहण खग्रास सूर्य ग्रहण कहते है। आपको बता दे की पूर्ण सूर्य ग्रहण के समय जब सूर्य,चन्द्रमा और धरती के बिच ऐसी सिचुएशन आती है की जब चन्द्रमा पूरी तरह से सूर्य और धरती के बिच आ जाता है तो सूर्य का परकास धरती पर बिल्कुल नहीं पहुंच पाता है।ऐसे में सूर्य की बजाय केवन चन्द्रमा की छाया धरती पर पड़ती है और इससे धरती पर अँधेरा चा जाता है।ग्रहण की ये सिचुएशन खग्रास यानि पूर्ण सूर्य ग्रहण कहलाती।
क्या जा आंशिक सूर्य ग्रहण
आंशिक सूर्य ग्रहण की बात करे तो इसमें चन्द्रमा सूर्य और पृथ्वी के बिच पूरी तरह नहीं आता है।इसमें चन्द्रमा की परछाई सूर्य के पुरे हिस्से को कवर नहीं करती है।इसमें धरती का एक हिस्सा चन्द्रमा की परछाई से ढक जाता है और ऐसे में इसे आंशिक सूर्य ग्रहण कहते है।इस दौरान पृथ्वी पर कही अँधेरा होता है तो कुछ हिस्सों में अँधेरा नहीं होता है। वलयाकार सूर्य ग्रहण तब लगता है जब चन्द्रमा धरती से काफी दूर होता है और इस दौरान वो सूर्य के आगे जा जाता है।इस दौरान चन्द्रमा धरती और सूर्य के बिच इस तरह आता है की रिंग ऑफ़ फायर जैसा प्रतीत होता है।चन्द्रमा छोटा दीखता है ऐसे में सूर्य की बाहरी पार्ट एक रिंग की तरह दिखने लगती है।