Tourist Places In Mount Abu
माउंट आबू मरुस्थल प्रदेश राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन है। राजस्थान के अरावली पर्वत श्रृंखला के दक्षिण-पश्चिम में स्थित, इस हिल स्टेशन पर शीतलता और आध्यात्मिक शांति है। यहां के ऊंचे-ऊंचे पहाड़ और चारों तरफ़ फैली हरियाली, कुदरती ख़ूबसूरती का अहसास कराती है। यहाँ की नक्की झील नौका विहार के लिए पूरे भारत में प्रसिद्ध है। माउंट आबू में कई ऐतिहासिक मंदिर भी है, जो देश विदेश से पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। यह वही पुण्य स्थल है, जहां महर्षि वशिष्ठ रहा करते थे। प्राचीन समय से ही इसे ऋषियों-मुनियों का तपोवन माना जाता था। माउंट आबू रेगिस्तान में ठंडी हवा की लहर जैसा है। आप यहाँ परिवार के साथ घूमने या अपने साथी के साथ रोमांटिक लम्हे बिताने के लिए आ सकते है।
हवाई मार्ग से माउंट आबू कैसे पहुँचे?
माउंट आबू में कोई एअरपोर्ट नहीं है। माउंट आबू से 177 किमी की दूरी पर उदयपुर में महाराणा प्रताप एयरपोर्ट है। महाराणा प्रताप एयरपोर्ट से बस टैक्सी या कैब से आप 3-4 घंटे में माउंट आबू पहुँच सकते है। दूसरा निकट एयरपोर्ट अहमदाबाद एयरपोर्ट है, जो 225 किमी दूर है।
ट्रेन से माउंट आबू कैसे जाये?
माउंट आबू का निकटतम रेलवे स्टेशन आबू रोड है। जो माउंट आबू से 15 किमी की दूरी पर है। यहाँ जोधपुर, जयपुर, दिल्ली, अहमदाबाद, अजमेर से कई ट्रेन और अन्य शहरों से भी लम्बी दूरी की डायरेक्ट ट्रेन रूकती है। आप यहाँ से बस, टैक्सी या ऑटो से माउंट आबू पहुँच सकते है।
सड़क मार्ग से माउंट आबू कैसे पहुँचे?
माउंट आबू जाने के लिए अलग-अलग राज्यों से राजस्थान स्टेट ट्रांसपॉर्ट कॉर्पोरेशन की कई बसें माउंट आबू तक चलती हैं। इसके अलावा उदयपुर, अजमेर, जयपुर और अहमदाबाद से डीलक्स, सेमी-डीलक्स और एयर-कंडीशन्ड बस या प्रायवेट टैक्सी से माउंट आबू जा सकते है। इन सभी शहरों से माउंट आबू के लिए बहुत अच्छी रोड बनी हुई है।
माउंट आबू जाने का उचित समय
माउंट आबू का मौसम सितंबर से नवम्बर और मार्च से जून बीच, घूमने के लिए सबसे अच्छा होता है। गर्मियों में अप्रैल से जून के बीच माउंट आबू का तापमान 23-33 डिग्री सेल्सियस तक जाता है और ठण्ड में नवंबर से फरवरी में माउंट आबू का तापमान 4-5 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे चला जाता है।
माउंट आबू में रुकने की व्यवस्था
माउंट आबू में कई प्रकार के होटल और रिसोर्ट है। होटल में Non AC रूम का किराया 500 से 1000 रूपये तक और AC रूम का किराया 1000 से 5000 रूपये तक है। इसके अलावा यहाँ जैन धर्मशाला में सस्ते और अच्छे रूम मिल सकते है।
माउंट आबू का धार्मिक महत्त्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार इस पवित्र पर्वत पर सभी देवी देवता वास करते हैं। कई वर्षों पूर्व यहाँ निवास करने वाले महर्षि वशिष्ठ ने पृथ्वी से असुरों का विनाश करने के लिए एक यज्ञ का आयोजन किया था। तब भगवान महावीर भी यहां पधारे थे, इसलिए यह जैन भक्तों के लिए भी एक पवित्र और धार्मिक स्थल है। एक बार भगवान शिव के वाहन नंदीजी खाई में गिरने वाले थे, तब हिमालय के पुत्र आरबुआदा नाम के शक्तिशाली सर्प ने नंदीजी की खाई में गिरने से जान बचाई थी। तब इस स्थान का नाम आरबुआदा पड़ गया। बाद में इस स्थान का नाम आरबुआदा से बदल कर ‘माउंट आबू’ हो गया।
माउंट आबू के पर्यटन स्थलों का भ्रमण
माउंट आबू में घूमने के लिए टैक्सी प्रतिदिन के हिसाब से किराये पर मिलती है। आप टैक्सी वालों से मोल भाव करके टैक्सी बुक कर लीजिये।
नक्की झील, माउंटआबू
नक्की झील माउंट आबू की ही नही बल्कि राजस्थान में यह सबसे प्रसिद्ध झील है। माउंट आबू पहुचने पर आप नक्की झील का मनोरम दृश्य देखकर खुश हो जायेंगे। यह ढाई किलोमीटर लंबी झील माउंट आबू का सबसे खूबसूरत स्थल है। हरे भरे पहाड़ों के अद्भुत प्राकृतिक द्रश्यों से घिरी हुई इस झील का विहंगम द्रश्य मन में बस जाता है। ठंडी-ठंडी हवाओं के साथ इस झील में बोटिंग करना आपको रोमांचित कर देता है। भारत की पहली मानव निर्मित इस झील में 12 फरवरी 1948 में महात्मा गांधी की राख को विसर्जित कर दिया गया था और गांधी घाट का निर्माण किया गया था। यहाँ प्राकृतिक द्रश्यों के बीच फोटोग्राफी करने और सेल्फी लेने का मजा ही कुछ और है।
दिलवाड़ा जैन मंदिर, माउंटआबू
राजस्थान में अरावली पहाड़ियों के बीच स्थित दिलवाड़ा जैन मंदिर माउंटआबू के सबसे लोकप्रिय स्थलों में से एक है। दिलवाड़ा मंदिर को संगमरमर पर जटिल नक्काशी के कारण राजस्थान का ताजमहल भी कहते है। 11 वीं और 13 वीं सदी के मध्य बना यह मंदिर पांच मंदिरों का समूह है। बेजोड़ 1500 वास्तुशिल्प वाला यह अनोखा मंदिर गुजरात के बेहद कुशल 1200 कारीगरों ने 14 साल में बनाया था। इस मंदिर की छत, दीवारों, मेहराबों और स्तंभों पर अद्भुत वास्तु शिल्प को उकेरा गया है इस मंदिर की जादुई संरचना और भारतीय शिल्प कला को देखने भारत ही नहीं बल्कि विदेशों से भी पर्यटकों यहाँ आते है।
सनसेट पॉइंट, माउंटआबू
माउंट आबू का टॉप पर्यटन स्थल सन सेट पॉइंट सूर्यास्त का ऐसा नजारा पेश करता है, जैसा अपने कभी सोचा नहीं होगा। अरावली पर्वतश्रृंखला के पीछे ढलते सूर्य की किरणों दृश्य और सुखद वातावरण हर प्रकृति प्रेमी के लिए बेहद खास है। जब सूर्य धीरे-धीरे अस्त होता है तो सूर्य की लाल और नारंगी रंग की किरणे अरावली के पहाड़ों को रंग बिरंगा कर देती है। पहाड़ों की समृद्ध हरियाली में डूबते सूर्य के इस हैरतअंगेज नज़ारे को देखने के लिए कई पर्यटक शाम को यहाँ पहुँचते है।
हनीमून पॉइंट, माउंटआबू
सनसेट पॉइंट से 2 किलोमीटर दूर हनीमून पॉइंट माउन्ट आबू का सबसे रोमेंटिक डेस्टिनेशन है, जिसे अंद्रा पॉइंट भी कहते हैं। हनीमून पॉइंट से आपको इसे नजारे देखने को मिलेंगे कि आप अपनी निगाहें नहीं हटा पाएंगे। यहाँ की हरी-भरी घाटियों और मैदानों के साथ नक्की झील की खूबसूरती देखते ही बनती है। यही कारण है कि इन मंत्रमुग्ध कर देने वाले द्रश्य देख कर कपल्स यहाँ से हिलना पसंद नही करते। उन्हें यहाँ बैठे बैठे घंटो बीत जाते है, पर समय का पता भी नहीं चलता।
गुरु शिखर, माउंटआबू
माउंट आबू का सबसे अच्छा पर्यटक स्थल गुरु शिखर, समुद्र तल से 1722 मीटर की ऊँचाई स्थित अरावली पर्वत की सबसे ऊँची चोटी है, जो माउंट आबू से करीब 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पार्किंग से गुरु शिखर पर जाने के लिए कुछ सीढ़ियां भी चढ़नी होंगी। यहाँ पहाड़ की चोटी से आस पास देखने पर आपको हरियाली से आच्छादित एक अलग दुनिया में आने का अहसास होता है। कभी-कभी यहाँ पर बहुत अधिक बादल और धुंध हो जाती है। तब आपको यहाँ स्वर्गीय वातावरण का अनुभव होता है।
गौमुख मंदिर, माउंटआबू
माउंट आबू में शहर से एक किलोमीटर की दूरी पर एक हनुमान जी का मंदिर है। यहाँ से 700 सीढियाँ नीचे उतरने पर हम महर्षि वशिष्ठ के सुन्दर आश्रम में पहुचते है। महर्षि वशिष्ठ के आश्रम में आपको एक आश्चर्यजनक द्रश्य दिखाई देता है। यहाँ एक संगमरमर के गौ मुख से जल की धार गिर रही है इसलिए यह स्थान गौमुख मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में आपको भगवान कृष्ण, भगवान राम और ऋषि वशिष्ठ की मूर्तियों के दर्शन होते है। वनवास के समय भगवान श्री राम और लक्ष्मण यहाँ आये थे, उन्होंने महर्षि वशिष्ठ से ज्ञान और दिव्यास्त्र प्राप्त किये थे। इस मंदिर के आस-पास पहाड़ों और घाटियों का मनोहारी द्रश्य दिखाई देता है।
अर्बुदा देवी मंदिर, माउंटआबू
देवी माँ के 51 में से छठा शक्तिपीठ अर्बुदा देवी मंदिर माउन्ट आबू का मुख्य धार्मिक स्थल है। माउंट आबू के इसी पावन स्थल पर भगवान शंकर के तांडव के समय माता पार्वती का अधर गिरा था। अर्बुदा देवी की कात्यायनी देवी के स्वरूप रूप में पूजा की जाती है। इस पवित्र माता मंदिर के दर्शन के लिए 365 सीढ़ियां चढ़कर एक प्राकृतिक गुफा में जाना होता है। जहाँ माता के दर्शन होते है। इस मंदिर में दुधिया पानी का एक पवित्र कुआं है, जिसे कामधेनु के रूप में पूजा जाता है।
माता अर्बुदा देवी की पौराणिक कथा के अनुसार दानव राजा बासकली ने कई हजार वर्षों तक तपस्या करके महादेव को प्रसन्न कर दिया। महादेव से अजेय होने का वरदान पाकर उसने युद्ध में इंद्र और अन्य देवताओं को हराकर देवलोक को कब्जे में कर लिया। देवताओं ने दानव से मुक्ति के लिए कई हजार सालों तक तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर माता अर्बुदा देवी तीन रूपों में प्रकट हुई। उन्होंने महाबली राक्षस बासकली को अपने चरण से दबा कर उसका वध कर दिया। आप माता की उसी चरण पादुका के दर्शन माता अर्बुदा देवी मंदिर में कर सकते है।
टॉड रॉक, माउंटआबू
माउंट आबू में मुख्य पर्यटन स्थलों में से एक टोड रॉक नक्की झील के पास स्थित एक बड़ी चट्टान है। इस विशाल आकर की चट्टान का आकार मेंढक से मिलता है इसलिए यह टोड रॉक के नाम से प्रसिद्ध है। टोड रॉक के आस–पास चट्टानों से बनी कई आकृतियाँ कैमल रॉक, नंदी रॉक और नून रॉक आदि है। इन चट्टानों के ऊपर चढ़ने पर आपको हरे भरे पहाड़ों से घिरी नक्की झील और उसके आस-पास लुभावना द्रश्य दिखाई देता है। इस द्रश्यों को बैकग्राउंड में रखकर आप कई खूबसूरत तस्वीरें खीच सकते है।
अचलेश्वर महादेव और अचलगढ़ क़िला, माउंटआबू
श्री अचलेश्वर महादेव मंदिर माउंट आबू से 10 किमी की दूरी पर स्थित है। आपने हर मंदिर में शिवलिंग देखा होगा पर यहाँ भगवान शिव के पैर का अंगूठा बना है, जिसकी विधिवत पूजा की जाती है। इस मंदिर में विशाल नंदी की 5 धातु (कांस्य, सोना, जस्ता, तांबा और पीतल) से मिलकर बनी प्रतिमा सुशोभित है। इस मंदिर के पास बना अचलगढ़ किला माउंट आबू के ऐतिहासिक स्थलों में से एक है। यह किला मेवाड़ के राजा राणा कुंभा ने बनवाया था। यहाँ पास में मन्दाकिनी झील भी बनी है।
माउंट आबू वन्यजीव अभयारण्य, माउंटआबू
अरावली की पर्वतमालाओं के बीच बहुत ही सुन्दर और दर्शनीय माउंट आबू वन्यजीव अभयारण्य बना है। 228 वर्ग कि.मी. में फैला हुआ माउंट आबू वाइल्डलाइफ सेन्चुरी माउण्ट आबू का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। माउंट आबू से 20 किमी दूर बने इस अभयारण की स्थापना सन 1960 में की गई थी। यहाँ तेंदुए, मोर, सांभर, चिंकारा, स्लोथबियर, जंगली सूअर, नीलगाय, खरगोश, जंगली मुर्गा, तीतर और लंगूर आदि पाए जाते हैं। इसमें आप पक्षियों की लगभग 250 और पौधों की 110 से भी ज़्यादा प्रजातियाँ देख सकते हैं।
माउंट आबू घूमने में 3-4 दिन का समय लगता है। इनके अलावा भी माउंट आबू के आकर्षक पर्यटक स्थलों में रघुनाथ मंदिर, ब्रह्म कुमारी आश्रम, शंकर मठ, ऋषिकेश मंदिर, ट्रेवर टैंक, यूनिवर्सल पीस हॉल आदि मुख्य है।