अब यात्रियों के सुहाने सफर में खलल डालना पड़ सकता है भारी वेटिंग टिकट के यात्रियों की स्लीपर और एसी कोच में अब एंट्री नहीं होगी। यदि वे इस टिकट पर सफर कर लेते हैं तो चेकिंग स्टाफ उनसे जुर्माना वसूलकर अगले स्टेशन पर ही उत्तार सकता है।
ऐसा होने से उन यात्रियों को राहत मिलेगी जो कंफर्म टिकट पर यात्रा कर रहे हैं। यात्रियों को होने वाली अस्मिता को ध्यान में रखते हुए रेलवे ने अब निर्देश जारी किए हैं की वेटिंग टिकट नॉट अलाउड। इन आदेशों को यदि शक्ति से लागू कर दिया गया तो रेलवे की आमदनी पर भी इसका असर देखने को मिलने वाला है।
क्योंकि सामान्य टिकट पर प्लेटफार्म पर गाड़ी की इंतजार करने वाले यात्रियों को भी उनके गंतव्य तक की टिकट बनाकर दी जाती है जिससे रेलवे को काफी फायदा मिलता है।
ट्रेन में यात्रियों की संख्या दीन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है अंबाला से बिहार मुंबई उत्तर प्रदेश जम्मू-कश्मीर आदि राज्य को जाने वाली सभी ट्रेनों में वेटिंग लिस्ट डल चल रही है । जो यात्री ऑनलाइन टिकट बुकिंग करवाते हैं उनकी टिकट कंफर्म नहीं होने पर ऑटोमेटिक ही रद्द हो जाती है।
जो यात्री गाने स्टेशन से टिकट बुकिंग करवाते हैं उनकी टिकट ऑटोमेटिक रद्द होने का कोई प्रावधान नहीं है ऐसे में यह वेटिंग लिस्ट वाले यात्री ट्रेन में सवार हो जाते हैं और कन्फर्म टिकट पर यात्रा करने वाले यह यात्रियों की सीट पर अनधिकृत तरीके से बैठ जाते हैं।
ऐसे में जहां यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ता है वही रेलवे में भी शिकायतों का आंकड़ा दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है। कंफर्म टिकट पर यात्रा करने वाले यात्री एक हैंडल या फिर अन्य माध्यमों से रेलवे में शिकायत दर्ज करवाते हैं।
चलती गाड़ी में ही कार्रवाई करनी होती है। वेटिंग लिस्ट वाले यात्री एक डिब्बे से दूसरे डिब्बे में घूमते हैं और जहां सीट मिलती है बैठ जाते हैं। इससे कनफर्म टिकट यात्री की यात्रा में खलल पड़ता है।
स्टेशन पर बन जाती है लंबी दूरी की टिकट
एक तरफ रेलवे ने वेटिंग टिकट को स्लीपर और एसी कोच में नो एंट्री नियम बना रखा है, वहीं दूसरी ओर अमृतसर, लुधियाना, सरहिंद, राजपुरा, अंबाला, जगाधरी, पानीपत, दिल्ली आदि स्टेशनों से चेकिंग स्टाफ जनरल टिकट पर यात्रियों की टिकट बना देता है।
इस टिकट के बनने से यात्री स्लीपर और एसी कोच में जाने के लिए अधिकृत हो जाता है,
जिससे रेलवे के नियम भी टूटते हैं। यह यात्री जुर्माना देकर डिब्बे में एंट्री तो कर जाते हैं, लेकिन सीट नहीं मिलती।
रेलवे में अब स्लीपर क्लास के डिब्बों की संख्या घट रही है और एसी क्लास के डिब्बों की संख्या बढ़ रही है। इसका असर सामान्य वर्ग के लोगों पर सीधा पड़ रहा है, जो स्लीपर क्लास में यात्रा करते हैं। इन यात्रियों की वेटिंग लिस्ट 400 तक पहुंच जाती है।
ऐसे में यह भी सवाल उठता है कि जब वेटिंग टिकट पर यात्रा की अनुमति नहीं है, तो वेटिंग का मापदंड इतना बड़ा क्यों रखा हुआ है