Types Of Roads In India: हम सभी की जिंदगी की राहों में सड़कें अहम भूमिका निभाती हैं. ये रास्ते न केवल मंज़िल तक पहुंचने का माध्यम होती हैं. बल्कि देश की प्रगति और रणनीतिक मजबूती की बुनियाद भी बनती हैं. क्या आपने कभी सोचा है कि भारत में सड़कें कितने प्रकार की होती हैं या हाईवे और लेन कितनी कैटेगरी में बांटे जाते हैं? आइए जानते हैं भारत की सड़क प्रणाली का संपूर्ण परिचय.
भारत में सड़कों के प्रकार
भारत में सड़कें उनकी भूमिका और दायरे के आधार पर छह प्रमुख श्रेणियों में बांटी गई हैं:
- राष्ट्रीय राजमार्ग (National Highways)
ये सड़कें एक राज्य को दूसरे राज्य से जोड़ती हैं. इनका निर्माण और रखरखाव केंद्र सरकार करती है. ये देश की रीढ़ मानी जाती हैं.
- राज्य राजमार्ग (State Highways)
राज्य के महत्वपूर्ण शहरों और जिलों को आपस में जोड़ने वाली ये सड़कें राज्य सरकार के अधीन होती हैं.
- जिला सड़कें (District Roads)
ये जिले के गांव, कस्बों और छोटे शहरों को जोड़ती हैं. इनका रखरखाव लोक निर्माण विभाग या जिला पंचायत करती है.
- शहरी सड़कें (Urban Roads)
शहरों के भीतर चलने वाली ये सड़कें नगर निगम या नगरपालिका के अंतर्गत आती हैं
- ग्रामीण सड़कें (Rural Roads)
गांवों को कस्बों या मुख्य सड़कों से जोड़ने वाली ये सड़कें अधिकतर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत बनाई जाती हैं.
- बॉर्डर और स्ट्रेटेजिक सड़कें (Border & Strategic Roads)
ये सड़कें सीमावर्ती इलाकों और सैन्य जरूरतों के अनुसार बनाई जाती हैं. इनका निर्माण सीमा सड़क संगठन (BRO) करता है.
हाईवे के प्रकार
हाईवे को मुख्य रूप से चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है:
नेशनल हाईवे (NH)
देश को जोड़ने वाले ये हाईवे 100 किमी/घंटा की गति से गाड़ियों को चलने की अनुमति देते हैं.
उदाहरण:
- NH-44: कश्मीर से कन्याकुमारी तक, भारत का सबसे लंबा हाईवे (4,112 किमी)
- NH-27: पोरबंदर से सिलचर तक, दूसरा सबसे लंबा हाईवे (करीब 3,400 किमी)
स्टेट हाईवे (SH)
राज्य के भीतर शहरों और जिलों को जोड़ते हैं, अधिकतम गति 80–100 किमी/घंटा होती है.
एक्सप्रेसवे (Expressways)
ये हाईवे विशेष रूप से हाई-स्पीड, कंट्रोल्ड एंट्री और मोड़-रहित डिजाइन के लिए बनाए जाते हैं.
इनकी गति सीमा 120 किमी/घंटा होती है और ये अक्सर टोल आधारित, 4 से 8 लेन के होते हैं.
उदाहरण:
- यमुना एक्सप्रेसवे (6-लेन)
- दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे (8-लेन)
बॉर्डर रोड्स / स्ट्रेटेजिक हाईवे
- सीमा सुरक्षा और सैन्य आवागमन के लिए बनाए जाते हैं.
- उदाहरण: मनाली-लेह हाईवे, जोजिला पास रोड
- गति सीमा: 40–60 किमी/घंटा
लेन प्रणाली के प्रकार
- सिंगल लेन (Single Lane Roads)
एक ही लेन पर दोनों दिशाओं का यातायात चलता है, सामान्यत: ग्रामीण क्षेत्रों में पाई जाती हैं.
- डबल लेन (Double Lane Roads)
प्रत्येक दिशा के लिए अलग-अलग एक लेन, शहरी और जिला सड़कों पर आम.
- फोर लेन (Four-Lane Roads)
दोनों दिशाओं में दो-दो लेन होती हैं, जहां यातायात अधिक होता है.
- सिक्स लेन (Six-Lane Roads)
तीन-तीन लेन प्रत्येक दिशा में होती हैं, यमुना एक्सप्रेसवे इसका उदाहरण है.
- आठ-लेन (Eight-Lane Roads)
प्रत्येक दिशा के लिए चार लेन होती हैं.
उदाहरण: दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे
- मल्टी-लेन (Multi-Lane Roads)
इन सड़कों में एक से अधिक लेन होती हैं, जिनका उपयोग अत्यधिक ट्रैफिक वाले रूट्स पर होता है.
- एक्सप्रेस लेन (Express Lanes)
यहां सिर्फ हाई-स्पीड वाहनों को चलने की अनुमति होती है. प्रवेश और निकास नियंत्रित होते हैं.
- राउंडअबाउट लेन (Roundabout Lanes)
गोलाकार चौराहा जिसे आमतौर पर गोल चक्कर कहा जाता है, सिग्नल के बिना ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए बनाया जाता है.
सड़कें हैं विकास की रेखाएं
भारत का सड़क नेटवर्क न सिर्फ देश के हर कोने को जोड़ता है बल्कि आर्थिक और सामरिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है. अब जब आप जान गए हैं कि कौन सी सड़क कहां तक जाती है और क्या काम करती है, तो अगली बार किसी यात्रा में इन रूटों और लेन सिस्टम को जरूर गौर से देखिए.