UP News – उत्तर प्रदेश सरकार आबादी की जमीन के अधिग्रहण पर भी मुआवजा देने का फैसला लेने जा रही है। लेकिन इसकी शर्त यह है कि प्रभावित व्यक्ति का जमीन पर इससे पहले से कब्जा रहा हो… यह व्यवस्था पहली बार बनारस में लागू की गई, जहां चार हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण हुआ है-
उत्तर प्रदेश सरकार आबादी की जमीन के अधिग्रहण पर भी मुआवजा देने का फैसला लेने जा रही है। इसकी शर्त यह है कि प्रभावित व्यक्ति का जमीन पर 1951 से पहले से कब्जा रहा हो।
यह व्यवस्था पहली बार बनारस में लागू की गई, जहां चार हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण हुआ है। पहले केवल आबादी की जमीन पर बने निर्माण का मुआवजा मिलता था। बनारस में यह नया प्रयोग सफल होने पर, जिला प्रशासन ने इसे पूरे प्रदेश में लागू करने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा है।
परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण में, अब तक केवल खतौनी में दर्ज नामों को ही मुआवजा और पुनर्वास मिलता था, जबकि आबादी की ज़मीन पर कब्ज़ा किए व्यक्तियों को सिर्फ उनके निर्माण की लागत दी जाती थी।
मुख्यमंत्री ने भूमि अधिग्रहण (Land acquisition) में आ रही रुकावटों को देखते हुए हर प्रभावित व्यक्ति को क्षतिपूर्ति और पुनर्वास सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। इस निर्देश के बाद, बनारस में पहली बार आबादी की ज़मीन पर काबिज़ लोगों को भी मुआवजा देने का फैसला जिला प्रशासन ने लिया है। यह निर्णय सभी प्रभावितों के नुकसान की भरपाई सुनिश्चित करेगा।
निर्माणाधीन बाबतपुर एयरपोर्ट विस्तारीकरण (Babatpur Airport Expansion) में प्रशासन ने लगभग 358 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया है। इसमें 80 फीसदी जमीनों का अधिग्रहण लोगों की सहमति पर हो चुका। शेष भी आवश्यक अधिग्रहण कानून के तहत अधिग्रहित की जा रही है। इसी के अंतर्गत बसनी, घमहापुर एवं पुरारघुनाथपुर में 1000 से अधिक व्यक्तियों को आबादी की जमीन का भी मुआवजा दिया जा रहा है।
जमीनों पर कब्जा 1951 से पहले का था। सरकार ने चार हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण कर लिया है। प्रशासन ने पीएम स्वामित्व योजना के तहत लोगों को आबादी की जमीन पर घरौनी प्रमाण पत्र (land ownership certificate) दिया है। चूंकि यह जमीन प्रभावित लोगों का एकमात्र आधार थी, उन्हें मालिकान होने के नाते मुआवजा राशि उनके पुनर्वास के लिए दी जा रही है।
जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार के अनुसार सूबे में पहली बार आबादी की जमीन का मुआवजा प्रशासन ने दिया है। अब इसका प्रस्ताव बनाकर शासन में भेजा गया है। ताकि अन्य जनपदों में नई व्यवस्था (New system in districts) के तहत जमीनों का अधिग्रहण किया जा सके।