UP News : उत्तर प्रदेश किसानों से समझौते के आधार पर करेगा. जमीन लेने के साथ ही अनिवार्य अधिग्रहण की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है. चयनित एजेंसी की ओर से सामाजिक अध्ययन की रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने के बाद जनसुनवाई भी हो रही है, जिसमें किसान विरोध कर रहे हैं। नया गोरखपुर बसाने के लिए करीब 25 गांवों की छह हजार एकड़ भूमि गोरखपुर विकास प्राधिकरण को अधिग्रहीत करना है।
गोरखपुर के 6 हजार एकड़ में बसेगा न्यू शहर
योगी सरकार नया गोरखपुर बसाने वाली है, ऐसे में करीब 25 गांवों की 6 हजार एकड़ जमीन गोरखपुर विकास प्राधिकरण को अधिग्रहीत किया जाएगा, जिसे किसान निर्धारित रेट पर जमीन देने को तैयार नहीं है, वह जनसुनवाई और बैठकों में आपत्ति जता रहे हैं, जानिए पूरी डिटेल। इस पर तीन हजार करोड़ रुपये खर्च भी होगा. जिसके लिये 400 करोड़ रुपये शासन ने जारी भी कर दिया है. लेकिन जिन किसानों की जमीन इसमें जा रही है, वह विरोध कर रहे हैं. किसान अपनी जमीन आसानी से जीडीए को देना नहीं चाह रहे. किसान महिलाओं और बच्चों को को भी आगे लाकर विरोध करने में लगे हैं. इसके लिये ळक्। की चौपाल भी बेकार जा रही है. जन सुनवाई के दौरान भी आपत्ति दर्ज हो रही है. ऐसे में इस प्रोजेक्ट में जीडीए और किसानों के आमने-सामने का भी खतरा बढ़ा हुआ है। जीडीए उपाध्यक्ष का कहना है कि खेती की जमीन शहर के लिए चली जाएगी तो वह जियेंगे और खाएंगे कैसे. हालांकि अभी तक एक सौ पचास किसानों द्वारा सहमति पत्र भरे जाने की बात कही जा रही है. तीन करोड़ 35 लाख 70 हजार प्रति हेक्टेयर की दर इसके लिये निर्धारित हुई है. इसी प्रकार अन्य गांव से भी जमीन की खरीदारी होगी. शासन को पत्र लिखकर प्राधिकरण और धनराशि की मांग बहुत जल्द करेगा. जैसे-जैसे किसानों की रजिस्ट्री होती जाएगी धन की जरूरत भी बढ़ने लगेगी।
महिलाओं-बच्चों के साथ विरोध में उतरे किसान
चार गुना कीमत पर भी खेती योग्य जमीन देने को तैयार नहीं किसानः गोरखपुर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष आनंद वर्धन सिंह ने बताया कि किसान 2016 के आधार पर पहले अपनी जमीन का मुआवजा चार गुना मांगने पर अड़े थे. लेकिन सरकार इसे देने को पहले तैयार नहीं थी. ऐसे में किसान आंदोलन कर रहे थे. पिछले दिनों इस पर सहमति बनी तो किसानों ने अब अपनी जमीन की रजिस्ट्री, गोरखपुर विकास प्राधिकरण के पक्ष में करना शुरू किये हैं.
करीब एक हजारों किसानों को रजिस्ट्री करनी है. कुछ किसान नया सर्किल रेट तय करते हुए जमीन देने की बात कह रहे हैं. जिसके लिए प्राधिकरण के अधिकारियों को किसानों तक दौड़ लगानी पड़ रही है. अभी बहुत से किसान चार गुना कीमत पर भी अपनी खेती योग्य जमीन देने को तैयार नहीं है। पूर्व जिला पंचायत सदस्य कुंवर प्रताप सिंह के नेतृत्व में काश्तकारों ने जमीन नहीं देने की बात करते हुए मांग रखी है. किसानों का कहना है कि बाजार दर के अनुसार नए सर्किल रेट तय किया जाए और फिर उसके बाद कमेटी गठित कर उसे सर्किल रेट के हिसाब से मुआवजे की दर तय की जाए. तहसीलदार रामभेज का कहना है कि काश्तकारों ने नए सर्किल रेट के हिसाब से मुआवजा की मांग की है।