उत्तर प्रदेश सरकार ने डाटा सेंटर पॉलिसी का मसौदा तैयार कर लिया है। इस सेक्टर में करोड़ रुपये निवेश लाकर प्रदेश में 75 हजार से अधिक प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार सृजन का लक्ष्य तय किया गया है। प्रस्तावित नीति में डाटा सेंटर पार्क स्थापित करने पर निवेशकों को वित्तीय रियायतें व सुविधाएं देने का प्रस्ताव है। सरकार 500 मेगावाट का डाटा केंद्र व 10 हजार एकड़ में सोलर पार्क की स्थापना करना चाहती है।
डाटा सेंटर पॉलिसी से 75 हजार करोड़ रुपये का निवेश
यह नेटवर्क से जुड़े हुए कंप्यूटर सर्वर का एक बड़ा समूह है जो कि बड़ी मात्रा में डाटा के भंडारण, प्रसंस्करण या वितरण के लिए संस्थाओं द्वारा उपयोग किया जाता है। प्रदेश में फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, यूट्यूब व जीमेल आदि के करीब 4 करोड़ उपयोगकर्ता हैं। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के जरिए करीब 20 करोड़ लोगों का आधार कार्ड बन चुका है। इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण नीति ने हायर, वीवो, सैमसंग, एलजी, डिक्सन, एडवर्ब, ओप्पो और हैवेल्स सहित अन्य कंपनियों से 6,500 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित किया है। रिपोर्टों के अनुसार, तेजी से डिजिटलीकरण को अपनाने के कारण भारत को 2028 तक 1.7-3.6 गीगावाट की अतिरिक्त कोलोकेशन डेटा सेंटर क्षमता की आवश्यकता होगी। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कहा कि सिफी परियोजना से योगी आदित्यनाथ सरकार के भारत में अग्रणी डेटा सेंटर हब के रूप में उभरने के दृष्टिकोण को बढ़ावा मिलेगा, साथ ही महत्वाकांक्षी लखनऊ आईटी सिटी परियोजना को भी बढ़ावा मिलेगा। उत्तर प्रदेश सरकार इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण और डेटा सेंटर में 70,000 करोड़ रुपये के निजी क्षेत्र के निवेश को लक्षित कर रही है। राज्य सरकार को यूपी इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग पॉलिसी के तहत 40,000 करोड़ रुपये के निवेश और 400,000 नौकरियों के अवसरों की उम्मीद है। यूपी डेटा सेंटर पॉलिसी 2021 के तहत सरकार 30,000 करोड़ रुपये के निवेश की उम्मीद कर रही है। राज्य की योजना कुल 900 मेगावाट क्षमता के 8 निजी डेटा सेंटर पार्क स्थापित करने की है।
75 हजार को रोजगार देने का लक्ष्य
सरकार ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था को अगले 5 वर्ष में दस खरब डॉलर ;एक ट्रिलियन डॉलर पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है। सरकार इस नीति के जरिए एक नए सेक्टर में आर्थिक विकास की संभावनाओं पर काम के लिए कदम बढ़ा रही है। राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह निवेश मेक इन यूपी और ब्रांड यूपी विजन को गति देगा। 2023 में, इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र ने यूपी के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, निर्यात में 22 प्रतिशत का योगदान दिया। नीति पूंजी, भूमि और बिजली पर सब्सिडी प्रदान करती है। सरकार साझेदारी सहयोग और अनुकूल पॉलिसी के जरिए प्रदेश में एक ऐसे ईको सिस्टम की स्थापना करना चाहती है जो राज्य में विश्वस्तरीय डाटा केंद्र स्थापित करने के लिए उद्योगों को प्रोत्साहित करता हो। इससे लगातार बढ़ रहे डाटा का सुरक्षित प्रबंधन होगा और युवाओं के लिए रोजगार के सृजन का एक नया सेक्टर बनेगा जो अर्थव्यवस्था को गति देने वाला होगा। हाल ही में, सिफी इन्फिनिट स्पेस लिमिटेड ने लखनऊ में एचसीएल आईटी सिटी परिसर में अपना पहला एआई-हब डेटा सेंटर प्रोजेक्ट लॉन्च किया।
सिफी टेक्नोलॉजीज के चेयरमैन राजू वेगेस्ना ने शिलान्यास समारोह के दौरान कहा कि सिफी प्रोजेक्ट के जून 2025 में चालू होने की संभावना है। राज्य ने ग्रेटर नोएडा में निर्माणाधीन जेवर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के आसपास स्थापित की जाने वाली सेमीकंडक्टर परियोजनाओं में 32,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश भी हासिल किया। हीरानंदानी समूह का हिस्सा टार्क सेमीकंडक्टर्स एक सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन प्लांट में 28,440 करोड़ रुपये का निवेश करने की योजना बना रहा है, जबकि वामा सुंदरी इन्वेस्टमेंट्स (दिल्ली) प्राइवेट लिमिटेड एक अन्य सेमीकंडक्टर परियोजना में 3,706 करोड़ रुपये का निवेश करेगा। यूपी वार्षिक बजट 2025-26 में सरकार ने लखनऊ में भारत का पहला आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिटी विकसित करने के लिए 5 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। इसके अलावा, हीरानंदानी समूह, अडानी समूह, एनटीटी जापान और वेब वर्क्स द्वारा 20,000 करोड़ रुपये की डेटा सेंटर परियोजनाओं की घोषणा की गई है। कोलोकेशन डेटा सेंटर एक ऐसी सुविधा है जहां व्यवसाय अपने सर्वर, नेटवर्किंग उपकरण और भंडारण उपकरणों के लिए स्थान किराए पर लेते हैं। प्रदेश सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहन व कृषि निर्यात प्रोत्साहन नीति का मसौदा भी तैयार किया है। इन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ एक बार चर्चा हो चुकी है। मुख्यमंत्री ने कुछ सुझावों के साथ इसे अंतिम रूप देने के निर्देश दिए हैं।