UP News : उत्तर प्रदेश में स्थित वाराणसी में गैरकानूनी निर्माण के खिलाफ वाराणसी विकास प्राधिकरण (VDA) की कार्रवाई जारी है। हाल ही में इस मामले में एक नई पहल की गई है। जानकारी के मुताबिक, अब गैरकानूनी निर्माण पर नियंत्रण लगाने के लिए VDA ने एनफोर्समेंट जियाट्रिक्स सॉफ्टवेयर का उपयोग करने का निर्णय लिया है। इस सॉफ्टवेयर की मदद से सेटेलाइट डेटा के आधार पर गैरकानूनी निर्माण को चिन्हित किया जाएगा। इस प्रक्रिया के तहत, जब गैरकानूनी निर्माण की पहचान हो जाएगी, तो तत्परता से संबंधित कार्रवाई की जाएगी। यह कदम वाराणसी में गैरकानूनी निर्माण पर नकेल कसने के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा। VDA की इस पहल से उम्मीद की जा रही है कि शहर में अवैध निर्माण की समस्या को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकेगा।
वाराणसी विकास प्राधिकरण (VDA) ने गैरकानूनी निर्माण के खिलाफ अपनी कार्रवाई को और तेज कर दिया है। पहले चरण में, VDA ने 1000 वर्ग मीटर से बने 49 नए निर्माणों की पहचान की है, जो कि जोन 1, 2 और 3 में स्थित हैं।
जानकारी के मुताबिक, अब VDA एनफोर्समेंट जियाट्रिक्स सॉफ्टवेयर का उपयोग करेगा, जिससे वह उन भूमि का सही तरीके से पता लगा सकेगा जहां गैरकानूनी निर्माण और प्लॉटिंग की गई है। इस नई तकनीक के माध्यम से, VDA को अपने क्षेत्राधिकार में आने वाले अवैध निर्माणों की पहचान करने में आसानी होगी।
इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से सेटेलाइट डेटा का उपयोग करके निर्माण क्षेत्र का क्षेत्रफल, ऊँचाई और निर्माण की समयावधि की जानकारी देशांतर के साथ मालूम की जा सकती है। इस तकनीक की मदद से, बड़ी संख्या में नए निर्माण परियोजनाओं की पहचान की जा सकेगी। सेटेलाइट डेटा के आधार पर, निश्चित इलाके की तस्वीरें और स्थान को आसानी से हासिल करना संभव है, जिससे विकास कार्यों की निगरानी करना और उन्हें प्रबंधित करना आसान हो जाएगा। यह सॉफ्टवेयर न केवल डेटा संग्रहण में सहायक है, बल्कि यह निर्माण गतिविधियों की सटीकता और समयबद्धता को भी सुनिश्चित करता है।
वाराणसी विकास प्राधिकरण (VDA) का विकास क्षेत्र लगभग 1073 वर्ग किलोमीटर में स्थित है। इस विशाल क्षेत्र में वाराणसी का शहरी क्षेत्र और 850 गांव हैं। इसे 5 अलग-अलग जोनों में विभाजित किया गया है, जिससे विकास कार्यों को सुगम बनाया जा सके।
हाल ही में, वाराणसी विकास प्राधिकरण ने एक नई पहल शुरू की है, जिसके अंतर्गत एक नवीनतम सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस तकनीक की सहायता से गैरकानूनी निर्माण को पहचानने का कार्य किया जा रहा है। यह प्रक्रिया स्थानीय जनपद में काफी चर्चा का विषय बन गई है। इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से, अधिकारियों को गैरकानूनी निर्माण की पहचान करने में मदद मिलेगी, जिससे शहर में अव्यवस्थित निर्माण को नियंत्रित किया जा सकेगा।
प्रदेश की राजधानी लखनऊ से मिली जानकारी के अनुसार, पिछले कुछ महीनों में गैरकानूनी निर्माण को लेकर उठे सवालों के पश्चात, अब विभिन्न जिलों में इस पर कार्रवाई को तेज करने की योजना बनाई जा रही है। इस संदर्भ में वाराणसी में गैरकानूनी निर्माण की पहचान के लिए तकनीकी सहायता का उपयोग किया जाएगा। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि यह कदम अवैध निर्माण के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए उठाया जा रहा है। तकनीक की मदद से अवैध निर्माण के मामलों को जल्दी और प्रभावी तरीके से चिन्हित किया जाएगा, जिससे संबंधित विभागों को कार्रवाई में तेजी लाने में मदद मिलेगी।