Delhi Meerut Expressway: दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे जिसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश की तस्वीर बदलने वाला एक्सप्रेसवे भी कहा जाता है भारतीय यातायात ढांचे में एक बड़ी क्रांति है. यह एक्सप्रेसवे दिल्ली को मेरठ से जोड़ता है और इसकी चौड़ाई इतनी है कि 14 गाड़ियां एक साथ 100 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से गुजर सकती हैं.
इससे पहले यह रास्ता वाहनों के लिए घंटों जाम में फंसे रहने का कारण बनता था, लेकिन अब वाहन फर्राटे से चलती हैं. इस एक्सप्रेसवे के निर्माण से यात्रा का समय काफी कम हो गया है और यात्री आराम से अपने गंतव्य तक पहुँच सकते हैं.
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे का महत्व
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे को राष्ट्रीय राजमार्ग-3 के रूप में भी जाना जाता है. यह गाजियाबाद से डासना के माध्यम से दिल्ली को मेरठ से जोड़ता है और इसे भारत का सबसे चौड़ा नियंत्रित-पहुंच एक्सप्रेसवे माना जाता है. इसकी खासियत यह है कि यहाँ गाड़ियों की गति 70 से 120 किलोमीटर प्रति घंटा तक नियंत्रित की जा सकती है, जिससे यात्रा को सुरक्षित और तेज बनाया जा सकता है. यह एक्सप्रेसवे न केवल समय की बचत करता है बल्कि यातायात के प्रवाह को भी सुधारता है जिससे रोजाना यात्रा करने वाले लोगों को बहुत राहत मिलेगी.
यात्रा का समय और दूरी
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के बन जाने से दिल्ली से मेरठ तक की यात्रा जो पहले 2.5 घंटे में पूरी होती थी अब केवल 45 मिनट में पूरी हो जाती है. यह तेजी से विकास का संकेत है और यह दर्शाता है कि आधुनिक ढांचागत सुविधाएं किस प्रकार जीवन को सरल बना सकती हैं. इस एक्सप्रेसवे के जरिए न केवल दिल्ली और मेरठ बल्कि आसपास के अन्य महत्वपूर्ण शहरों के बीच भी संपर्क सुधरा है जिससे पूरे क्षेत्र की आर्थिक प्रगति को बढ़ावा मिलता है.
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के विभिन्न चरण
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे का निर्माण चार चरणों में किया गया है. प्रत्येक चरण में विशेष विचारों और सुविधाओं को ध्यान में रखा गया है. ये चरण विभिन्न स्थानों को जोड़ते हैं और इसमें कई पुल, साइकिल ट्रैक, एलिवेटेड स्ट्रेच, वाहन अंडरपास और फ्लाईओवर/इंटरचेंज शामिल हैं. इस प्रकार की सुविधाएं इस एक्सप्रेसवे को न केवल एक तेज़ रास्ता बनाती हैं बल्कि यात्रियों के लिए अधिक सुविधाजनक और सुरक्षित भी बनाती हैं.