भारत में रेलवे का विकास हुआ तो उस विकास के पीछे जो सबसे पहले बिंदु उभरकर आती है वह यह है की रेलवे आधुनिक कार्य का एक बेहतर संचार का साधन है दूसरा उद्देश्य यह है सम्राज्य की सुरक्षा प्रदान करना क्योंकि साम्राज्य जब तक सुरक्षित नहीं रहेगा तब तक जो हमारा आर्थिक उद्देश्य है वह पूरा नहीं हो पाएगा। भारत में रेलवे के विकास का प्रयास इसके पहले भी शुरू हो चुका है।
रेलवे लाइन के लिए जमीन तय
भारतीय रेलवे एशिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है, विश्व का सबसे लंबा रेलवे प्लेटफार्म भारत में गोरखपुर में है, कनेक्टिविटी का यह एक जटिल मैट्रिक्स एक विशाल और व्यापक आबादी वाले देश में प्रदान करता है, साथ ही दूरस्थ क्षेत्रों में ट्रेनों की प्रभावशाली आवृत्ति के साथ, यह कई भारतीयों और पर्यटकों के लिए यात्रा का एक बहुत ही सुलभ तरीका भी हैं। आजादी के बाद पहली बार जिले की उतरौला तहसील को रेलवे लाइन से जोड़ा जाना है, इसकी तैयारी तेज हो गई है। खलीलाबाद से रेलवे लाइन उतरौला और श्रीदत्तगंज से होकर बलरामपुर होते हुए बहराइच तक बिछाई जानी है। इसके लिए जिले के 53 गावों में भूमि अधिग्रहण होना है। बहराइच में अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होने से मार्च तक जिले में भी प्रक्रिया तेज होने की उम्मीद है। उतरौला क्षेत्र में अभी रेलवे लाइन नहीं है, रेलवे लाइन बिछाने की स्वीकृति है।
जमीनों को तय करने की प्रक्रिया पूरी कर ली है। रेलवे से वार्ता कर अधिग्रहण के संबंध में कार्य आगे बढ़ाया जाएगा। इसमें कोई संदेह नहीं है कि अंग्रेजों ने भारत में रेलवे नेटवर्क की शुरुआत लोगों की जरूरत के लिए नहीं बल्कि अपने माल की आवाजाही को प्राथमिकता देते हुए किया था। नई रेल लाइन क्षेत्र में सामाजिक और आर्थिक महत्व वाले औद्योगिक विकास को बुनियादी आधारभूत संरचना उपलब्ध कराएगी। इसके साथ ही यह परियोजना बड़ी लाइन के जरिए क्षेत्र के आर्थिक विकास में मददगार बनेगी। यह बहराइच.खलीलाबाद के बीच वैकल्पिक रेल मार्ग के साथ हीसीमावर्ती जिलों को एक दूसरे से जोड़ेगी। इस रेल लाइन से परियोजना क्षेत्र में पड़ने वाले इलाकों के स्थानीय निवासियों को रेल सेवा उपलब्ध होने के साथ ही वहां के लघु उद्योगों को भी विकसित होने में मदद मिलेगी। ऐसे में इस रेल परियोजना को क्षेत्र के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए बहुत जरूरी माना गया है।
रेलवे परियोजनाओं को दी मंजूरी
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रेलवे बोर्ड को वैधानिक शक्तियां प्रदान करने के लिए शुक्रवार को लोकसभा में एक विधेयक पेश किया। रेलवे ;संशोधन विधेयक, 2025 का उद्देश्य रेलवे बोर्ड के कामकाज और स्वतंत्रता को बढ़ाना है। वैष्णव ने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से भारतीय रेलवे बोर्ड अधिनियम, 1905 के सभी प्रविधानों को रेलवे अधिनियम, 1989 में शामिल करने का प्रस्ताव है। इससे दो कानूनों का संदर्भ लेने की आवश्यकता कम हो जाएगी। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि आठ नई रेलवे लाइन परियोजनाओं को मंजूरी मिलने से कनेक्टिविटी से संबंधित बुनियादी ढांचे को बढ़ावा मिलेगा। यह वाणिज्य और कनेक्टिविटी के लिए बहुत अच्छी खबर है और इससे रोजगार सृजन भी बढ़ेगा। प्रधानमंत्री जी.वन योजना में संशोधन से आत्मनिर्भरता की दिशा में हमारे प्रयासों को बढ़ावा मिलेगा और ऊर्जा सुरक्षा को प्रोत्साहन मिलेगा। नई रेलवे लाइन बिछाने के साथ ही रेलवे स्टेशन और हॉल्ट स्टेशन भी बनेंगे। बलरामपुर विकास खंड के हंसुवाडोल गांव पहला हॉल्ट स्टेशन होगा।
झारखंडी रेलवे स्टेशन पर गोंडा-गोरखपुर रेल लाइन से बहराइच-खलीलाबद रेल लाइन को जोड़ा जाएगा। भगवतीगंज स्थित बलरामपुर रेलवे स्टेशन से उतरौला के लिए रेल लाइन का विस्तार होगा। बलरामपुर स्टेशन को जंक्शन का दर्जा मिलेगा। सदर विकास खंड के खगईजोत से स्टेशन के बाद महेशभारी गांव में हाल्ट स्टेशन बनेगा। श्रीदत्तगंज व उतरौला में स्टेशन और कपौवा शेरपुर में हॉल्ट स्टेशन बनेगा। इस नई रेल लाइन के लिए 2014 में सर्वे के लिए बजट मिला था। इस वर्ष बहराइच-श्रावस्ती-बलरामपुर 80 किमी रेल लाइन बिछाने के लिए 620 करोड़ रुपये मिले हैं। उत्तरौला से बहराइच जनपद की सीमा तक 240.264 किलोमीटर लंबाई में रेलवे लाइन बिछाई जानी है। बलरामपुर जिले में 53 गांवों में रेल पटरी बिछाने के लिए किसानों की भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा। जमीन चिह्नित कर खेतों में पत्थर भी लगाए जा चुके हैं। रेल पटरी बिछाने के लिए 40 फीट चौड़ाई में जमीनों का अधिग्रहण किया जाएगा। जिन स्थानों पर रेलवे स्टेशन बनने हैं, वहां पर 100 मीटर चौड़ाई में जमीनें अधिग्रहीत की जाएंगी।