उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के आउटसोर्सिंग कर्मचारियों का न्यूनतम मानदेय बढ़ाकर 18.000 रुपये करने का ऐलान किया है। अभी तक यह मानदेय 16 हजार रुपए न्यूनतम था। बजट में हुई इस घोषणा से प्रदेश में 9 लाख आउटसोर्स कर्मचारी में खुशी का माहौल है। सीएम योगी के इस फैसले पर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष ने खुशी व्यक्त की है।
मिलेगा सीएल, मेडिकल और टाइम पर सैलरी
बेहतर कार्य एवं परिणाम के लिए आउटसोर्स निगम का विस्तार शासन से जिले तक किए जाने का प्रस्ताव है। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बोर्ड ऑफ डॉयरेक्टर्स का गठन होगा। नीतियों, बजट के निर्धारण, वित्तीय स्वीकृतियां आदि की जिम्मेदारी इनकी होगी। सलाहकार समिति भी बनेगी जिसमें इंडस्ट्री टेक्नॉलजी सहित विभिन्न क्षेत्रों से एक्सपर्ट शामिल किए जाएंगे। बजट में निगम की बुनियादी सुविधाओं के लिए धनराशि के प्रावधान के बाद इसके गठन की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। विभिन्न विभागों में आउटसोर्सकर्मी उपलब्ध करवा रही एजेंसियों के खिलाफ अक्सर कर्मचारियों को समय से वेतन व छुट्टी न मिलने एंप्लाई प्राविडेंट फंड आदि में कटौती के बाद भी मनमानी किए जाने की शिकायतें मिलती रही हैं।
इन समस्याओं के समाधान व कर्मियों के हितों के रक्षा के लिए सीएम योगी ने यूपी आउटसोर्स सेवा निगम के गठन के निर्देश दिए थे। सचिवालय प्रशासन विभाग निगम की नियमावली का ड्राफ्ट तैयार कर रहा है। यूपी में 7 लाख से अधिक संविदा और आउटसोर्स कर्मचारियों को सरकार उचित वेतन के साथ ही कैजुअल लीव, मेडिकल लीव और बीमा जैसी सुविधाओं का भी लाभ दिलाएगी। सरकार की ओर से गठित किए जा रहे यूपी आउटसोर्स सेवा निगम के प्रस्तावित मसौदे में इन सबको शामिल किया जा रहा है। बजट में निगम की बुनियादी सुविधाओं के लिए धनराशि के प्रावधान के बाद इसके गठन की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। निगम के ड्राफ्ट के अनुसार अलग-अलग श्रेणी के पदों के लिए 16 हजार से लेकर 25 हजार तक वेतन दिए जाने का प्रस्ताव है। प्रॉजेक्ट अफसर, सीनियर असिस्टेंट, जूनियर असिस्टेंट, चतुर्थ श्रेणी के पद पर शैक्षणिक योग्यता व कार्य के स्वरूप के अनुसार वेतन होगा। महीने की पहली तारीख को वेतन खाते में आ जाए इसे सुनिश्चित करवाया जाएगा।
यूपी के 7 लाख आउटसोर्सिंग कर्मियों के लिए खुशखबरी
ऐसी स्थिति में कर्मचारियों के ईपीएफ या ईएसआई खातों की मॉनिटरिंग व जवाबदेही तय कर पाना मुश्किल हो जाता है। निगम कर्मचारियों, एजेंसियों एवं विभागों के लिए वन स्टॉप सेंटर के तौर पर काम करेगा। पोर्टल के जरिए एजेसियों एवं कर्मियों को रजिस्टर्ड करवाया जाएगा। ईपीएफ व ईसीआई में भुगतान की केंद्रीयकृत व्यवस्था होगी। कर्मचारी को उसका लाभ लेने के लिए निगम के पोर्टल पर ही आवेदन करना होगा। संस्थाओं से समन्वय स्थापित कर लाभ दिलाने की जिम्मेदारी निगम उठाएगा। निगम के बन जाने के बाद ईपीएफ या ईएसआई (एंप्लाई स्टेट इंश्योरेंस) आदि की सेवाओं में आने वाली दिक्कतें भी काफी हद तक हल हो सकेंगी। एक विभागीय अधिकारी ने बताया कि बहुत बार शिकायतों के आधार पर एजेंसी बदल दी जाती है।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी ने मुख्यमंत्री की इस घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि 1 अप्रैल से आउटसोर्स कर्मियों को बढ़ा हुआ मानदेय मिलेगा। उन्होंने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस फैसले से आउटसोर्स कर्मियों के चेहरे खिल उठे हैं। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद द्वारा विगत एक वर्ष से आउटसोर्स कर्मियों के मानदेय को निश्चित करने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा था। अध्यक्ष जेएन तिवारी ने बताया कि इस संबंध में मुख्यमंत्री से दो बार मुलाकात की गई थी। मुख्यमंत्री के इस निर्णय से प्रदेश के लगभग 5 लाख आउटसोर्स कर्मियों को फायदा होगा। परिषद ने आउटसोर्स कर्मियों के लिए एक नियामावली बनाने की भी मांग की है, जिससे चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी। संयुक्त परिषद ने मुख्यमंत्री से प्रदेश की आशा बहुओं को भी 18ए000 रुपये के फिक्स मानदेय की परिधि में लाने की मांग की है।