लोकलसर्किल्स’ द्वारा किये गए एक सर्वेक्षण के अनुसार अगर यूपीआई (UPI) लेनदेन पर कोई शुल्क लगाया जाता है तो लगभग 75% यूजर्स इस सेवा का उपयोग बंद कर देंगे. यह जानकारी उन 15,598 प्रतिक्रियाओं से निकली है जो यूपीआई लेनदेन पर शुल्क लगने की स्थिति में उपभोक्ताओं की संभावित प्रतिक्रिया पर केंद्रित थी.
डिजिटल लेनदेन में यूपीआई की बढ़ती भूमिका
यूपीआई ने डिजिटल भुगतानों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका साबित की है. भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 में यूपीआई लेनदेन की संख्या में 57% की बढ़ोतरी हुई है जो इसकी लोकप्रियता को दर्शाता है. इसी वित्तीय वर्ष में यूपीआई लेन-देन की मात्रा 100 अरब को पार कर गई है जो कि पिछले वर्ष की 84 अरब से अधिक है.
उपभोक्ताओं का यूपीआई प्रति निर्भरता और शुल्क के प्रति विरोध
सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि अधिकांश उपभोक्ता यूपीआई के जरिए अपने दैनिक लेनदेन का एक बड़ा हिस्सा संपन्न करते हैं. 37% उत्तरदाताओं ने कहा कि वे अपने कुल भुगतान के 50% से अधिक के लिए यूपीआई का उपयोग करते हैं. यह दिखाता है कि यूपीआई न केवल सुविधाजनक है बल्कि उपभोक्ताओं के लिए एक अनिवार्य सेवा भी बन गई है.