यूपीएस बनाम एनपीएस- रिटायरमेंट के बाद पेंशन हर किसी के लिए बहुत ज़रूरी है। क्योंकि तब लोगों के जीवन का खर्च इसी से चलता है। उम्र बढ़ने के साथ पेंशन जीवन को आसान बनाने में मदद करती है। इसलिए, भविष्य के लिए सही पेंशन योजना चुनना बहुत ज़रूरी है। भारत में पेंशन के दो विकल्प उपलब्ध हैं। इनमें से एक है यूपीएस यानी यूनिवर्सल पेंशन स्कीम।
यह उन लोगों के लिए है जो रिटायरमेंट के बाद मासिक पेंशन चाहते हैं। इस योजना में आप जो राशि जमा करते हैं, उसी के आधार पर आपको हर महीने एक निश्चित पेंशन मिलती है। यह योजना लंबे समय तक सुरक्षा और स्थिर आय प्रदान करती है। इसलिए दूसरा विकल्प है NPS यानी नेशनल पेंशन स्कीम। यह एक फंड आधारित योजना है। इसमें आपका पैसा इक्विटी और बॉन्ड में निवेश किया जाता है। रिटायरमेंट के समय आपको जमा की गई राशि और मिलने वाले लाभों के अनुसार पेंशन मिलती है। यह बाजार पर निर्भर करता है और रिटर्न अलग-अलग हो सकता है।
अगर यूपीएस की बात करें, तो यूपीएस में पेंशन हर महीने तय होती है। जिससे खर्चों का प्रबंधन आसान हो जाता है। यह सुरक्षित है और जोखिम कम है। अगर आप रिटायरमेंट के बाद एक निश्चित और आरामदायक मासिक आय चाहते हैं, तो यह एक अच्छा विकल्प है। एनपीएस की बात करें, तो एनपीएस में आपके निवेश पर आपका नियंत्रण होता है। आप तय कर सकते हैं कि कितनी राशि, कितने साल के लिए और कैसे निवेश करना है। लंबी अवधि में रिटर्न ज़्यादा हो सकता है। लेकिन यह बाज़ार के हिसाब से बदलता रहता है।
अब अगर आप रिटायरमेंट में हर महीने एक निश्चित रकम चाहते हैं, तो यूपीएस आपके लिए सही है। वहीं, अगर आप लंबी अवधि में कम जोखिम में ज़्यादा कमाई करना चाहते हैं, तो एनपीएस बेहतर है। आप अपनी ज़रूरत के हिसाब से जो चाहें चुन सकते हैं। पेंशन स्कीम चुनते समय उम्र, निवेश क्षमता, रिटर्न की उम्मीद और जोखिम के स्तर को देखना हमेशा ज़रूरी होता है। यूपीएस और एनपीएस, दोनों को अच्छी तरह समझें और अपने लिए सही विकल्प चुनें। इससे आप रिटायरमेंट के बाद होने वाली बेवजह की परेशानियों से बच जाएँगे।
