अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने सितंबर 2025 में 25 बेसिस प्वाइंट की दर कटौती करके इस साल पहली बार नीतियों में नरमी का संकेत दिया है। आमतौर पर ऐसी घोषणा उभरते बाजारों के लिए पॉज़िटिव मानी जाती है, लेकिन भारत पर इसका तत्काल प्रभाव दिखने की संभावना नहीं है। विदेशी निवेशक अभी भी ऊंचे वैल्यूएशन और धीमी अर्निंग ग्रोथ की वजह से सतर्क रुख अपनाए हुए हैं।
क्यों नहीं मिल रहा भारत को फायदा?
एनालिस्ट्स का कहना है कि हालांकि दरों में कटौती से उभरते बाजारों के सेंटीमेंट को सहारा मिल सकता है, लेकिन भारत के ऊंचे वैल्यूएशन विदेशी निवेशकों को रोक रहे हैं। इस कारण निवेशकों का ध्यान दक्षिण कोरिया और चीन जैसे बाजारों की ओर ज्यादा है, जहां वैल्यूएशन आकर्षक है और अर्निंग ग्रोथ मजबूत है।
मार्केट एक्सपर्ट अजय बग्गा के मुताबिक, भारत की सिंगल-डिजिट अर्निंग ग्रोथ और ऊंचे प्राइस-टू-अर्निंग रेशियो निवेशकों को सीमित रुचि दिखाने के लिए मजबूर कर रहे हैं। वहीं, दक्षिण कोरिया और चीन में टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सेक्टर की तेजी, साथ ही ट्रेड टैरिफ़ में संभावित ढील, निवेशकों को उन बाजारों की तरफ आकर्षित कर रही है।
भारत को लेकर मिड-टर्म उम्मीदें
मार्केट एनालिस्ट अंबरीश बालिगा का मानना है कि विदेशी निवेशक भारत को लंबे समय तक नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि भारत की जीडीपी ग्रोथ 6.5% है, जबकि अमेरिका 3.3% और चीन 4% की दर से बढ़ रहा है। उनका मानना है कि जैसे ही टैरिफ और व्यापार वार्ताओं से जुड़ी अनिश्चितता खत्म होगी, भारत में एफआईआई प्रवाह फिर से बढ़ सकता है।
आंकड़े बताते हैं हकीकत
- MSCI इमर्जिंग मार्केट इंडेक्स 2025 में अब तक 25% चढ़ा है।
- इसमें चीन ने 35% की उछाल के साथ बढ़त बनाई, जबकि भारत सिर्फ 5% बढ़ा।
- इस साल भारत से लगभग 15.4 अरब डॉलर का विदेशी पूंजी बहिर्वाह हुआ।
- जुलाई 2025 तक, 71% बड़े इमर्जिंग मार्केट फंड भारत पर अंडरवेट थे, जबकि एक महीने पहले यह आंकड़ा 60% था।
अर्निंग ग्रोथ में पिछड़ता भारत
एलारा कैपिटल के अनुसार, डॉलर टर्म्स में निफ्टी EPS की ग्रोथ सालाना आधार पर केवल 4% रही है। यह भारत को वैश्विक उभरते बाजारों की तुलना में निचले स्तर पर रखता है। वहीं, दक्षिण कोरिया में EPS ग्रोथ 45% और ताइवान में 20% रही है, जो भारत की कमजोर स्थिति को और उजागर करती है।
👉 नतीजा साफ है—फेड की दरों में कटौती ने ग्लोबल सेंटिमेंट को सकारात्मक जरूर किया है, लेकिन भारत के लिए यह लाभ तभी दिखेगा जब अर्निंग ग्रोथ में सुधार होगा और वैल्यूएशन निवेशकों के लिए और आकर्षक बनेंगे।