शादी के लिए जब लड़का-लड़की की कुंडली का मिलान किया जाता है तो स्पष्ट तौर पर भकूट दोष देखा जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि भकूट दोष कब बनता है और ये शादीशुदा जोड़े के लिए कितना खतरनाक है, ये आपको बताते है। भकूट दोष तब बनता है जब वर-वधु की कुंडली में चंद्रमा 6-8 भाव में स्थित रहे। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, यह दोष बहुत खतरनाक होता है। शादी के बाद यह दोष पति-पत्नी दोनों के लिए कष्ट का कारण बनता है। कुंडली के कुछ दोष जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
दरअसल कुंडली का भकूट दोष शादीशुदा जिंदगी में कई मुश्किलें पैदा करता है। यह दोष शादी के बाद आर्थिक संकट पैदा करता है। साझेदारी वाले बिजनेस में भी धीरे-धीरे धन का संकट बढ़ने लगता है। साथ ही निवेश में कड़ी मेहनत करने के बाद भी आशाजनक लाभ नहीं मिलता है। परिणाम स्वरुप बिजनेस में नुकसान होने लगता है। इसके अलावा संतान से भी कष्ट मिलता है। इतना ही नहीं कई बार तो इस दोष के कारण शादीशुदा जिंदगी में तलाक की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
अगर पति-पत्नी दोनों की कुंडली में चंद्र राशि एक या आपस में मित्र है, तो ऐसे में भकूट दोष का प्रभाव कम हो जाता है। साथ ही पति-पत्नी के कुंडली मिलान में ग्रहों की दशा एक जैसी हो और गण दोष या नाड़ी दोष न बने तो भकूट दोष का असर कम होता है।
वर-वधू दोनों के लिए महामृत्युंजय का जाप करवाना शुभ होता है। साथ ही गाय के दान से भी भकूट दोष शांत होता है। इसके अलावा गुरुवार का व्रत रखना लाभकारी साबित होता है। रोजाना जल में हल्दी मिलाकर केले के पेड़ में डालने से भी लाभ होता है।