रबी फसलों की कटाई का मौसम आते ही मंडियों में हलचल बढ़ गई है। मार्च-अप्रैल 2025 में गेहूं और जौ ने किसानों को अच्छा मुनाफा दिया, जबकि सरसों, चना, और मसूर की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे रहीं। एगमार्कनेट पोर्टल की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, गेहूं की औसत मंडी कीमत 2,476 रुपये प्रति क्विंटल रही, जो 2,425 रुपये के एमएसपी से 2.1 फीसदी ज्यादा है। जौ की कीमतें भी 1,980 रुपये के एमएसपी से 6 फीसदी ऊपर 2,098 रुपये प्रति क्विंटल रहीं। लेकिन सरसों, चना, और मसूर की कीमतें 2 से 9 फीसदी तक एमएसपी से कम रहीं।
गेहूं की बंपर पैदावार
गेहूं की कीमतें इस साल मार्च में 2,600 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुँचीं, लेकिन अप्रैल में गिरकर 2,451 रुपये हो गईं। फिर भी, ये कीमतें 2,425 रुपये के एमएसपी से ज्यादा रहीं। कृषि मंत्रालय ने 2024-25 में 115.43 मिलियन टन गेहूं उत्पादन का अनुमान लगाया है। कृषि वैज्ञानिक एसके सिंह का कहना है कि जनवरी-फरवरी में कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर थीं, क्योंकि सरकार पिछले तीन साल से कम खरीद कर रही है। अगर सरकार 31 मिलियन टन से ज्यादा खरीदती है और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए स्टॉक छोड़ती है, तो कीमतों पर दबाव बढ़ सकता है। मई 2025 तक 256.31 लाख टन गेहूं एमएसपी पर खरीदा जा चुका है, जिससे 21.03 लाख किसानों को फायदा हुआ।
जौ किसानों के लिए फायदे का सौदा
जौ की कीमतें इस सीजन में किसानों के लिए खुशखबरी लेकर आईं। मार्च-अप्रैल में औसत कीमत 2,098 रुपये प्रति क्विंटल रही, जो 1,980 रुपये के एमएसपी से 6 फीसदी ज्यादा है। मई के पहले हफ्ते में ये और बढ़कर 2,223 रुपये तक पहुँच गई। विशेषज्ञों का कहना है कि जौ की मांग बढ़ने और आपूर्ति सीमित होने से कीमतें ऊँची बनी हुई हैं। अगर आप जौ की खेती करते हैं, तो अभी मंडी में बेचने का सही समय हो सकता है। लेकिन कीमतों पर नजर रखें, क्योंकि मई के बाद बिक्री बढ़ने से दाम घट सकते हैं।
सरसों, चना, मसूर एमएसपी से नीचे क्यों?
सरसों, चना, और मसूर की कीमतें मार्च-अप्रैल में एमएसपी से 2-9 फीसदी कम रहीं। सरसों की औसत कीमत 5,702 रुपये प्रति क्विंटल रही, जो 5,950 रुपये के एमएसपी से 4.2 फीसदी कम है। चना 5,650 रुपये के एमएसपी के मुकाबले 5,514 रुपये पर बिका, यानी 2.4 फीसदी कम। मसूर की हालत सबसे खराब रही, जिसकी कीमत 6,700 रुपये के एमएसपी से 8.6 फीसदी गिरकर 6,127 रुपये रह गई।
किसान नेता रामपाल जाट ने खरीद प्रणाली को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना है कि 2022 की तरह इस साल भी खरीद में कमी से किसानों को नुकसान हुआ। हालांकि, अप्रैल में सरसों की कीमतें 238 रुपये, चना की 151 रुपये, और मसूर की 278 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ीं, जो मई में और बढ़ने की उम्मीद है।
विशेषज्ञों की सलाह और सरकार की भूमिका
कृषि वैज्ञानिक एसके सिंह का कहना है कि मार्च में बंपर पैदावार की उम्मीद के बावजूद गेहूं की कीमतें ऊँची रहीं, क्योंकि बाजार में नकारात्मक धारणा थी। सरकार की कम खरीद ने भी कीमतों को बढ़ाया। जाट ने एमएसपी की कानूनी गारंटी की माँग दोहराई, ताकि चना, मसूर, और सरसों जैसे नुकसान से बचा जा सके। सरकार ने 2024-25 में रबी फसलों के एमएसपी में बढ़ोतरी की थी।
गेहूं का एमएसपी 150 रुपये बढ़कर 2,425 रुपये, सरसों का 300 रुपये बढ़कर 5,950 रुपये, और चना का 210 रुपये बढ़कर 5,650 रुपये हुआ। मसूर का एमएसपी 6,700 रुपये और जौ का 1,980 रुपये तय किया गया। ये बढ़ोतरी किसानों को राहत देने के लिए थी, लेकिन खरीद प्रणाली में सुधार की जरूरत है।
एगमार्कनेट पोर्टल: मंडी भाव की सटीक जानकारी
एगमार्कनेट पोर्टल किसानों के लिए वरदान है। ये पोर्टल मार्च-अप्रैल 2025 के मंडी भाव की सटीक जानकारी देता है। गेहूं, जौ, सरसों, चना, और मसूर की कीमतें यहाँ रोज अपडेट होती हैं। आप इस पोर्टल पर अपनी नजदीकी मंडी के भाव चेक कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, जयपुर मंडी में 24 अप्रैल 2025 को गेहूं 2,450 रुपये और सरसों 5,700 रुपये प्रति क्विंटल थी। इस पोर्टल से आपको बिक्री का सही समय और जगह चुनने में मदद मिलेगी।