केंद्र सरकार ने गेहूं के भाव (Wheat Price) नियंत्रित रखने के लिए आदेश जारी किया है आईए देखते हैं डिटेल..
Wheat Price | वर्ष 2022 में रुस एवं यूक्रेन के बीच जंग की शुरुआत हुई थी। उस समय भारत से अच्छी मात्रा में गेहूं निर्यात हुआ था। तभी से भारत में गेहूं के भंडार की स्थिति स्थिर बनी हुई है।
यही कारण है कि इन पिछले दो सालों के दौरान गेहूं के भाव अच्छे बने रहे। पिछले दो वर्षों से मंडियों में गेहूं समर्थन मूल्य से अधिक दाम पर बिक रहा है। इस वर्ष केंद्र सरकार ने गेहूं के समर्थन मूल्य में पिछले वर्ष की तुलना में 150 रुपए क्विंटल की वृद्धि करते हुए 2425 रुपए प्रति क्विंटल के दाम निर्धारित किउ हैं।
पिछले वर्ष गेहूं का समर्थन मूल्य 2275 रुपए क्विंटल था। इस समर्थन मूल्य के अतिरिक्त मध्य प्रदेश एवं राजस्थान सरकार ने प्रति क्विंटल पर 125 रुपए का बोनस दिया था जिसे मिलकर पिछले वर्ष गेहूं का समर्थन मूल्य 2400 रुपए प्रति क्विंटल रहा था। इस भाव पर भी सरकारी खरीदी अधिक नहीं हो पाई। Wheat Price
इस वर्ष नया गेहूं आने में अभी 2 महीने शेष है। जनवरी के अंतिम सप्ताह में नए गेहूं की शुरुआत हो जाएगी और फरवरी में अच्छी आवक होने की संभावना है। इसके पहले केंद्र सरकार ने गेहूं के भाव को लेकर बड़ा फैसला लिया है, इसका गेहूं के भाव पर सीधा असर पड़ेगा। केंद्र सरकार ने क्या फैसला लिया है एवं भाव पर क्या असर पढ़ने की संभावना है आइए जानते हैं..
भाव नियंत्रण के लिए खुले बाजार में गेहूं बेच रही सरकार
केंद्र सरकार ने गेहूं के भाव नियंत्रित करने के लिए खुले बाजार बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत एक लाख टन गेहूं की बिक्री के लिए 4 दिसम्बर को पहली साप्ताहिक ई-नीलामी की। Wheat Price
यह नीलामी इस वर्ष बहुत लेट हुई जबकि पिछले कई वर्षों से गेहूं की खुले बाजार में बिक्री जल्दी की जाती है। इस वर्ष इस नीलामी के तहत कर्नाटक, बिहार, गुजरात, हरियाणा, राजस्थान तथा महाराष्ट्र जैसे राज्यों के लिए 5-5 हजार टन गेहूं दिया गया।
सरकार ने उत्तर प्रदेश के लिए 14 हजार टन, पंजाब के लिए 12500 टन, पश्चिम बंगाल के लिए 7 हजार टन, असम के लिए 6500 टन, दिल्ली के लिए 5500 टन, मध्यप्रदेश के लिए 4 हजार टन, झारखंड के लिए 3 हजार टन, तमिलनाडु के लिए भी 3 हजार टन की बिक्री की। Wheat Price
इस वर्ष सरकार ने खुली बिक्री के लिए नए नियम बनाए
गेहूं की बिक्री के लिए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने इस बार नया नियम लागू किया है जिसका उद्देश्य केवल वास्तविक जरूरतमंद फ्लोर मिलर्स व प्रोसेसर्स को ही इसकी उपलब्धता सुनिश्चित करना है। यदि किसी मिलर प्रोसेसर के पास गेहूं का अत्यधिक अधिशेष स्टॉक पहले से ही मौजूद है तो उसे टेंडर की प्रक्रिया के बाहर रखा जा सकता है। Wheat Price
इससे कई मिलर्स में गहरा असंतोष उत्पन्न हो गया है। उनका कहना है कि खाद्य निगम का यह नियम उन कुछेक प्राइवेट पार्टियों के लिए इनाम है जो खुले बाजार से इसकी खरीद से बच जाएंगे। खाद्य निगम ने अन्य राज्यों के लिए भी गेहूं की बिक्री का कोटा आवंटित किया है।
खुले में गेहूं बेचने पर भी भाव नियंत्रित नहीं हुए
जानकारों का कहना है कि केंद्र सरकार ने इस वर्ष खुले में बिक्री के लिए बहुत कम मात्रा में गेहूं का कोटा आवंटित किया जिसके कारण गेहूं के भाव पर बिल्कुल असर नहीं पड़ा। खुले में बिक्री योजना का कोटा आवंटित करने के पहले गेहूं के भाव 2800 से 3100 रुपए प्रति क्विंटल के बीच थे, जो अब भी यही बने हुए हैं। केंद्र सरकार ने इसी को देखते हुए अब नया आदेश जारी किया है।
केंद्र सरकार ने अब यह आदेश जारी किया
केंद्र सरकार ने गेहूं के भाव नियंत्रित रखने के लिए गेहूं की स्टॉक सीमा में संशोधन करने का आदेश दिया है। उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा जारी यह आदेश 2025 तक के लिए है। सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में व्यापारियों/थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं और प्रसंस्करणकर्ताओं पर लागू गेहूं पर स्टॉक सीमाएँ लगाईं। Wheat Price
आदेश के तहत सभी गेहूं भंडारण संस्थाओं को गेहूं स्टॉक सीमा पोर्टल (https://evegoils.nic.in/wsp/login) पर पंजीकरण कराना होगा और प्रत्येक शुक्रवार को स्टॉक की स्थिति को अपडेट करना होगा। कोई भी संस्था जो पोर्टल पर पंजीकरण नहीं कराती है या स्टॉक सीमा का उल्लंघन करती है, उसके खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 6 और 7 के तहत उचित दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
यदि उपरोक्त संस्थाओं के पास स्टॉक उपरोक्त निर्धारित सीमा से अधिक है, तो उन्हें अधिसूचना जारी होने के 15 दिनों के भीतर इसे निर्धारित स्टॉक सीमा तक लाना होगा। खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग कीमतों को नियंत्रित करने और आसानी से स्टॉक की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए गेहूं की स्टॉक स्थिति पर कड़ी नजर रख रहा है। Wheat Price
स्टॉक की यह लिमिट तय की
गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने के निरंतर प्रयासों के तहत, केंद्र सरकार ने 31 मार्च 2025 तक लागू गेहूं स्टॉक सीमा को संशोधित करने का निर्णय लिया है। सरकार ने अब 2000 मीट्रिक टन के स्थान पर 1000 मीट्रिक टन थोक व्यापारी एवं प्रोसेसर के लिए एक महीने का 60% स्टॉक की जगह 50% किया है। Wheat Price
व्यापारी/ थोक विक्रेता 2000 मीट्रिक टन के स्थान पर अब 1000 मीट्रिक टन स्टॉक रख सकते हैं।
खुदरा विक्रेताओं के लिए प्रत्येक खुदरा आउटलेट के लिए 10 मीट्रिक टन निर्धारित था, लेकिन अब प्रत्येक खुदरा आउटलेट के लिए 5 मीट्रिक टन निर्धारित किया गया है।
बड़ी श्रृंखला खुदरा विक्रेताओं (प्रत्येक आउटलेट) के लिए 10 मीट्रिक टन और (10 आउटलेट की कुल संख्या) मीट्रिक टन निर्धारित था जो अब प्रत्येक आउटलेट के लिए 5 मीट्रिक टन, बशर्ते कि उनके सभी आउटलेट और डिपो पर स्टॉक की अधिकतम मात्रा (5 गुणा कुल आउटलेट की संख्या) मीट्रिक टन हो। Wheat Price
प्रसंस्करणकर्ता के लिए स्टॉक सीमा मासिक स्थापित क्षमता (एमआईसी) का 60% वित्त वर्ष 2024-25 के शेष महीनों से गुणा किया गया है। नए आदेश के तहत मासिक स्थापित क्षमता (एमआईसी) का 50% अप्रैल 2025 तक शेष महीनों से गुणा किया गया है।
इस आदेश का गेहूं के भाव पर क्या पड़ेगा असर, जानिए
केंद्र सरकार भले ही गेहूं के भाव नियंत्रित करने के लिए खुले में बिक्री कर रही है लेकिन इसका गेहूं के भाव पर कोई असर पड़ता नजर नहीं आ रहा है। एफसीआई के टेंडर के न्यूनतम भाव 2300 से 2350 रुपए प्रति क्विंटल के ऑफर किए गए थे, लेकिन इसके बावजूद नीलामी में यह गेहूं 2790 रुपए प्रति क्विंटल में बिका। Wheat Price
खरीदी के लिए कम गेहूं जारी होने से खरीददारों में प्रतिस्पर्धा अधिक रही और सरकार का गेहूं अधिक ऊंचे भाव पर बिक गया। कारोबारियों के अनुसार स्टॉक लिमिट का कदम देर से उठाया गया है, इससे वर्तमान की तेजी नहीं रुक पाएगी, लेकिन सरकार के इस निर्णय का दुरगामी परिणाम दिखाई देगा।
बाजार विश्लेषकों के अनुसार सीजन के दौरान इस निर्णय से गेहूं की बाजार खरीदी कम होगी और भाव कम रहेंगे। सीजन के दौरान इस निर्णय से गेहूं के भाव में 200 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट होने की संभावना है। विश्लेषक और कारोबारी उमेश जैन के मुताबिक हाल फिलहाल सरकार के इस निर्णय से बाजार में गेहूं का फ्लो बढ़ेगा, लेकिन व्यापारी सीजन के दौरान स्टॉक नहीं कर पाएंगे जिससे भाव में गिरावट होगी।
गेहूं के भाव में तात्कालिक तेजी के आस
टेंडर विश्लेषकों और कारोबारियों के मुताबिक सरकार के पास गेहूं की कमी का इसी से पता चलता है कि नाममात्र का गेहूं प्रति हफ्ते बेचकर खुले बाजार का गेहूं महंगा होने में सहयोग किया जा रहा है। Wheat Price
अगर तेजी समाप्त करना है तो गेहूं फ्लो में अर्थात अधिकतम गेहूं रिलीज करना चाहिए। उज्जैन मंडी गेहूं ब्रोकरेज संजय खंडेलवाल ने कहा टेंडर आने से गेहूं का व्यापार अधिक मजबूत हो गया है। अब दो-चार दिन में 50 रुपए प्रति क्विंटल की महंगाई देखने को मिल सकती है। किसानी आवक में 50% की कमी आने से भाव उछाल की संभावना अधिक है।
कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर द्वारा जारी किए गए पूर्वानुमान के अनुसार दिसम्बर 2024 में 2613 रु. प्रति क्विंटल (औसत रूप में) रहेंगे। Wheat Price
मंडी में गज्जर गेहूं 2785 रु. बिका
उज्जैन व्यापारी संघ के अध्यक्ष जितेंद्र अग्रवाल ने बताया आटा निर्माण का मंडी में बिकने वाला गज्जर गेहूं नीलामी में 2785 रुपए क्विंटल बिका। मंडी की नीलामी में कृषि उपज के भाव किसानों को ऊंचे से ऊंचे मिलते हैं। Wheat Price
एक डेढ़ माह पूर्व गेहूं लोकवन 3601 रुपए के भाव से नीलाम हो चुका है। यह भी एक रिकॉर्ड है। नया गेहूं इस बार जल्दी आएगा। जनवरी में नई आक्क देखने को मिल सकती है। फरवरी में तो नए गेहूं की गाड़ी भी लोड होना शुरू हो जाती है।