Wheat Price :लगातार बढ़ रही महंगाई का प्रभाव गेहूं की कीमतों पर देखने को मिल रहा है। पिछले काफी समय से गेहूं की कीमतों में तेजी दर्ज की जा रही थी, लेकिन अब गेहूं (Gehu Ki Kemat) की बंपर पैदावार होती दिख रही है। पैदावार बढ़ने की वजह से इसकी कीमतों के गिरने की चिंता सता रही है। खबर में जानिये इस बारे में।
रबी के सीजन की शुरुआत हो गई है। ऐसे में लगातार बढ़ रही गेहूं की कीमत की वजह किसान गेहूं की खेती की ओर रुख कर रहे हैं। इस सीजन गेहूं (Today Wheat Price) की बंपर पैदावार हुई है। ऐसे में उम्मीद लगाई जा रही है कि आने वाले दिनों में इसकी कीमतों में गिरावट दर्ज की जा सकती है। आइए जानते हैं आने वाले दिनों में गेहूं के रेट (Gehu ka rate) क्या रहने वाले हैं।
गेहूं की होगी बंपर पैदावार
इस बार देशभर में गेहूं की बंपर पैदावार हो रही है। बड़े क्षेत्रफल, बेहतर मौसम और समय पर बुवाई की वजह से उम्मीद लगाई जा रही है कि आने वाले दिनों में इसकी फसल (Wheat Price) भी काफी अच्छी होगी और इसका स्टॉक भी काफी ज्यादा होने वाला है। ऐसे में कुछ लोग उम्मीद लगा रहे हैं कि आने वाले दिनों में इसकी कीमत और भी कम हो सकती है।
अधिकांश राज्यों की मंडी में गेहूं की कीमत
अभी की बात करें तो अधिकांश राज्यों की मंडियों में गेहूं की कीमत कमजोर रुझान को दर्शा रही है। कई जगहों पर मंडी भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP of Wheat) से भी नीचे चल रहे हैं। अगर कीमतों में नरमी आने की मुख्य वजह के बारे में बात करें तो पिछले साल का अच्छा स्टॉक इसकी कीमत कम कर रही है। वहीं सरकारी खरीद का सीमित दायरा, प्राइवेट ट्रेडर्स की सीमित उठान, (Wheat Price Hike reason) निर्यात पर लगे प्रतिबंध की वजह से भी गेहूं की कीमत कम होती नजर आ रही है।
रबी की बुवाई हुई तेज
खरीफ की फसल के बाद अब रबी की बुवाई तेजी से बढ़ती चली जा रही है। गेहूं के क्षेत्रफल और शुरुआती फसल स्थिति से संकेत मिलते दिख रहे हैं कि उपज पिछले साल (Wheat Demand) से काफी ज्यादा रहने वाले है। अनुकूल मौसम की वजह से किसानों का भरोसा बढ़ता नजर आ रहा है।
कृषि विशेषज्ञों और मार्केट एक्सपर्ट का मानना है कि इस बार गेहूं उत्पादन 118–120 मिलियन टन (Wheat Rate) तक जा सकता है। ये भारत के इतिहास में सबसे बड़ा उत्पादन स्तर होने वाला है। अगर मौसम आगे भी अनुकूल रहता है तो फिर पैदावार में और वृद्धि दर्ज की जाने की उम्मीद है।
आने वाले समय में फिसलों की कीमतों में गिरावट की वजह
बाजार पर बन सकता है दबाव
ज्यादा उत्पादन का सीधा प्रभाव मंडियों पर देखने को मिलेगा। जैसे ही नई फसल की आमद बढ़ती है तो वैसे ही भाव में और नरमी दर्ज की जाने की उम्मीद है। इसकी वजह ट्रेडर्स (Wheat Rate Today) के पास पहले से उच्च स्टॉक को बताया जा रहा है। वहीं निर्यात प्रतिबंध की वजह से अतिरिक्त स्टॉक देश के भीतर रहेंगे। निजी खरीददारों को भी सावधानी बरतनी होगी।
MSP खरीद की भी है अहम भूमिका
फिलहाल गेहूं की MSP 2,275 रुपये प्रति क्विंटल तक चल रही है। अगर सरकार आक्रामक खरीद करती है तो फिर बाजार में स्थिरता बनती नजर आ सकती है। हालांकि अगर गेहूं की खरीदी (Wheat Buying Tips) सीमित रहती है तो फिर इसके भाव MSP से काफी नीचे गिर सकते हैं।
निर्यात नीति में आया बदलाव
भारत दुनिया के लिए गेहूं का बड़ा आपूर्तिकर्ता बनकर सामने आ सकता है। हालांकि निर्यात अभी रूक सकता है। अगर सरकार आंशिक रूप से निर्यात को खोलती है तो फिर घरेलू बाजार (Wheat Rate Pridiction) में तेजी लौट सकती है। इसके साथ किसानों को बेहतर बिक्री मूल्य भी मिलने वाला है। मंडी भाव पर सबसे बड़ा प्रभाव मौसम का रहने वाला है। एक्सपर्ट्स ने जानकारी देते हुए बताया है कि अगर फरवरी–मार्च में तापमान (Wheat Rate Fall) औसत से ज्यादा रहता है या फिर लू चलती है या अचानक बारिश या फिर ओलावृष्टि होती है तो फिर संभावित पैदावार कम होने वाली है।
किसानों को मिल रहे हैं ये संकेत
नरम कीमतों का जोखिम : ज्यादा उत्पादन की उम्मीद की वजह से किसान मंडी में कमजोर कीमतों के लिए तैयार हो रहे हैं।
भंडारण क्षमता होगी मजबूत : जिन किसानों के पास भंडारण की सुविधा (Wheat Rate) मौजजूद है वो फसल रोककर बेहतर कीमत का इंतजार कर सकते हैं।
गेहूं की ये है सरकारी खरीद : रबी मार्केटिंग सीजन में केंद्र सरकार की नीति इस बार गेहूं की कीमतों की दिशा तय करने वाली है।
निर्यात नीति निभाएगी बड़ा फैक्टर
अगर इंटरनेशनल मार्केट में गेहूं की डिमांड में तेजी दर्ज (Wheat Rate Hike) की जाती है और भारत निर्यात को खोल देता है, तो फिर घरेलू दाम में तेजी दर्ज की जा सकती है।
क्या ये होंगे गेहूं के रेट
एक्सपर्ट्स के मुताबिक फिलहाल दाम में बड़ी तेजी आने की उम्मीद लगाई जा रही है। मार्च–अप्रैल में प्रोडक्शन के वास्तविक आंकड़े तय करने वाला है। इसकी के आधार (Wheat Rate Forecast) पर ये तय किया जाएगा कि बाजार ऊपर जाएगा या फिर नीचे। निर्यात अनुमति, MSP खरीद और मौसम सबसे अहम कारक बनकर सामने आ रहा है।
