हर महीने दो प्रदोष व्रत रखे जाते है।प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है।ऐसा माना जाता है की जो भक्त प्रदोष व्रत के दिन महादेव के लिए व्रत करते है और प्रदोष व्रत की पूजा करते है उनपर भगवान भोलेनाथ की विशेष कृपा बनी रहती है।प्रदोष व्रत से आरोग्य का वरदान मिलता है और घर में खुशहाली आती है।इस माह का पहला प्रदोष व्रत 9 जनवरी के दिन रखा गया था।अब अगला प्रदोष व्रत पॉश माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी पर रखा जाएगा।तो चलिए जानते है दूसरे प्रदोष व्रत की तारीख और पूजा विधि के बारे में
प्रदोष व्रत कब
पंचाग के मुताबित पोष माह के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत 23 जनवरी मंगलवार के दिन रखा जाएगा।मंगलवार के दिन आने के कारण इसे भोम प्रदोष व्रत कहते है।भोम प्रदोष व्रत की खास मान्यता है और इस व्रत को रखने पर कर्जमुक्ति मिलती है।
यह व्रत पोष माह के प्रदोष शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तीथी की शुरुआत 22 जनवरी सोमवार की शाम 7 बजकर 51 मिनट पर होगी और इस तिथि का समापन अगले साल 23 जनवरी,मंगलवार को रात 8 बजकर 39 मिनट पर हो जाएगी।ऐसे में प्रदोष व्रत की पूजा रात के समय प्रदोष काल में होती है।प्रदोष काल का समय सूर्यास्त रात्रि में होता है। शाम 5 बजकर 52 मिनट से 8 बजकर 33 मिनट तक प्रदोष काल है।इस शुभ मुहर्त में शिव पूजा की जा सकेगी।
ऐसे करे भगवान भोलेनाथ की पूजा
भोम प्रदोष व्रत के दिन सन्ना दान करने के बाद सफेद या नारंगी कपड़े पहनना शुभ माना जाता है।इसके बाद बेलपत्र के पेड़ पर जल चढ़ाना शुभ माना जाता है।इस दिन बेलपत्र के पेड़ की पूजा कर सकते है।इस दिन सुबह के समय शिव मंदिर भी जाया जा सकता है।रात के समय शिव पूजा होती है और पूजा में केसर वाले दूध से शिवलिंग का अभिषेक कर सकते है।पूजा की सामग्री में आप भांग,भस्म,बेलपत्र आदि शामिल कर सकते है।भोग में सफेद मिठाई चढ़ा सकते है।