यदि आप भी फ्रंट व्हील ड्राइव और रियर व्हील ड्राइव में अगर थोड़ी दिलचस्पी रखते है तो आज हम आपके लिए अच्छी खबर लेकर के आ गए है आज हम आपको फ्रंट व्हील ड्राइव और रीयर व्हील ड्राइव में मतलब बताने जा रहे है फ्रंट व्हील ड्राइव में इंजन से पावर को केवल आगे वाले व्हील्स में भेजा जाता है और यही व्हील्स कार चलाते है इस सेटअप में रियर व्हील्स केवल फॉलो करते है और फ्रीली मूव करते है अब इन दो अलग अलग तरह की पॉवर को केवल पीछे व्हील्स में भेजा जा सकता है यही कार को पुश करते है और आगे वाले व्हील्स फॉलो कर सकते है अब इन दो अलग अलग सेटअप के कई फायदे है और नुकसान भी है तो आइये जान लेते है इन सब के बारे में आपको कौनसी कार खरदिनी चाहिए।
फ्रंट व्हील ड्राइव के फायदे और नुकसान
फ्रंट-व्हील ड्राइव में किसी भी अन्य ड्राइवट्रेन सेटअप की तुलना में कम कंपोनेंट्स होते हैं, जिससे व्हीकल हल्का हो पाता है। इससे माइलेज में भी सुधार आता है। इसीलिए, अधिकांश एंट्री लेवल कारें फ्रंट-व्हील ड्राइव होती हैं। इसके अलावा, क्योंकि इसके सभी इक्विपमेंट्स फ्रंट में होते हैं तो रियर में ज्यादा स्पेस और लेग रूम के लिए जगह बन पाती है। हालांकि, इससे फ्रंट में वजन ज्यादा होने के कारण फ्रंट-व्हील ड्राइव अंडरस्टीयर करती हैं। इसके फ्रंट-व्हील ड्राइव में रियर-व्हील ड्राइव की तुलना में कम हैंडलिंग और एक्सीलेरेशन या ब्रेकिंग मिलती है। वही कारण है कि परफॉर्मेंस फोकस्ड कारें रियर-व्हील ड्राइव होती हैं।
रियर व्हील ड्राइव के फायदे और नुकसान
आपको बता दे, रियर ड्राइव सिस्टम के कई सारे लाभ है फ्रंट व्हील ड्राइव की तुलना में इससे बेहतर हैंडलिंग, एक्सीलेरेशन और ब्रेकिंग मिलती है, इसके साथ ही इसमें आपको ड्रिफ्टिंग भी नहीं करनी होती है इसके साथ FWD या 4WD/AWD की तुलना में RWD के साथ में ड्रिफ्ट करना भी बेहद आसान हो जाता है।
यह फ्रंट व्हील ड्राइव से महंगा होता है। इसीलिए, आपको एंट्री लेवल कारों में आमतौर पर रियर व्हील ड्राइव सिस्टम नहीं मिलता है। इनमें ट्रांसमिशन टनल और ड्राइवशाफ्ट के लिए ज्यादा जगह की जरूरत के कारण केबिन का स्पेस कॉम्प्रोमाइज होता है।