मारुति ऑल्टो और एस-प्रेसो जैसी छोटी कारो के अलावा ज्यादातर फ्रंट व्हील ड्राइव कारें पहाड़ों पर अच्छा परफॉर्म नहीं दे पाती है और खासतौर से जब पहाड़ो पर ऊपर की तरफ ले जाया जाता है तब फ्रंट व्हील ड्राइव कारें ग्रिप नहीं बना पाती है जिससे उन्हें अपहिल जाने में दिक्कत होती है। ऐसे में अगर सड़क गीली हो या उसपर थोड़ी-बहुत बर्फ हो तो यह परेशानी ज्यादा बढ़ जाती है। लेकिन, आखिर ऐसा क्यों होता है जबकि रियर व्हील ड्राइव कारें इनसे बेहतर परफॉर्म करती हैं, ऑल व्हील ड्राइव कारें इससे भी बेहतर परफॉर्म करती है और 4×4 कारें और भी ज्यादा परफॉर्म देती हैं।
सेंटर ऑफ मास का पीछे शिफ्ट होना
आपको बता दे, एफिल जाते हुए फ्रंट व्हील ड्राइव कारों की रोड पर ग्रिप कम होने का बड़ा कारण सेंटर ऑफ मॉस का पीछे की तरफ शिफ्ट होना है इससे दरअसल, फ्रंट व्हील ड्राइव कारों में पावर फ्रंट व्हील्स में जाती है, यानी आगे के पहिए ही कार को आगे ले जाने के लिए फोर्स लगाते है, लेकिन जब कार ऊपर की और चढ़ रही होती है तो उसका अगला हिस्सा ऊपर होता है और पिछले हिस्सा निचे की तरफ होने लग जाता है।
कार के इस पोजिशन में होने पर सेंटर ऑफ मास, पीछे की तरफ शिफ्ट हो जाता है, जिससे आगे की तरफ से कार थोड़ी ऊपर की तरफ उठ जाती है। इस स्थिति में रोड और टायर के बीच ग्रिप कम बनती है और प्रॉपर ट्रेक्शन नहीं आ पता है. और, जाहिर है कि ट्रैक्शन नहीं आएगा तो कार आगे नहीं बढ़ेगी।
ऐसे में अगर रोड गली होती है या वहां थोड़ी बहुत बर्फ होती है तो स्थिति ज्यादा गंभीर हो जाती है क्योंकि बर्फ या गली सरफेस पर ट्रैक्शन बनाने में ज्यादा परेशानी आती है। कुछ लोग कहेंगे कि ऑल्टो और एस-प्रेसो भी फ्रंट व्हील ड्राइव कार हैं लेकिन इसके बावजूद यह अपहिल जाने में ठीक-ठाक परफॉर्म कर लेती हैं।
दरअसल, इस पूरे केस में कार का वेट भी मुख्य भूमिका निभाता है, यह कार का वेट कम होना होने इसके फेवर में जाता है। क्योंकि, वजन कम है तो सेंटर ऑफ मास पिछे शिफ्ट होता जरूर है लेकिन उसका इंपैक्ट उतना नहीं होता, जितना ज्यादा वजन वाले व्हीकल में होता है।
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