World Coldest and Hottest Place: धरती पर कुछ स्थान इतने गर्म हैं कि वहां सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है, वहीं कुछ जगहें इतनी ठंडी हैं कि सांस तक जम सकती है. आज हम आपको उन खास जगहों की जानकारी दे रहे हैं. जहां तापमान के सारे रिकॉर्ड टूट चुके हैं.
लूत रेगिस्तान
ईरान का लूत रेगिस्तान, जिसे दश्त-ए-लूत भी कहा जाता है, दुनिया की सबसे गर्म जगह मानी जाती है. 2005 में नासा ने यहां का सतह तापमान 70.7°C रिकॉर्ड किया था. इतनी अधिक गर्मी में जीवित रहना असंभव है. यह इलाका मानव और जीव-जंतुओं से पूरी तरह खाली है.
गर्मी का कारण
लूत में बारिश नहीं होती, जिससे हवा और जमीन बेहद सूखी रहती है. यहां की काली मिट्टी सूरज की किरणों को तेजी से सोख लेती है. जिससे सतह का तापमान आसमान छू जाता है. इस कारण यहां ना कोई पेड़-पौधा है और ना ही जीव-जंतु.
डेथ वैली
अमेरिका की डेथ वैली में 10 जुलाई 1913 को 56.7°C तापमान दर्ज किया गया था, जो अब तक का दुनिया का सबसे गर्म वायुमंडलीय तापमान है. इस जगह पर कुछ मिनट भी बिताना जोखिम भरा हो सकता है. यहां की गर्मी हर साल पर्यटकों को हैरान कर देती है.
वोस्तोक स्टेशन
अंटार्कटिका का वोस्तोक स्टेशन धरती का सबसे ठंडा स्थान है. 21 जुलाई 1983 को यहां का तापमान -89.2°C दर्ज किया गया था. इतनी ठंड में सांस लेना भी खतरनाक हो सकता है. यह अब तक का सबसे ठंडा तापमान रिकॉर्ड है.
ठंड की वजह
वोस्तोक स्टेशन लगभग 3,488 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और बर्फ की मोटी परतों से ढका हुआ है. यहां सूरज की रोशनी बहुत कम पहुंचती है और हवाएं बेहद ठंडी होती हैं. यही कारण है कि यहां का वातावरण अत्यधिक हाड़ गला देने वाला है.
ओयम्याकोन
रूस के साइबेरिया में स्थित ओयम्याकोन गांव दुनिया की सबसे ठंडी बस्ती है. 1933 में यहां -67.7°C तापमान रिकॉर्ड किया गया था. यहां लोग विशेष गरम कपड़े, गर्म घर और पारंपरिक तरीकों से जीवन यापन करते हैं. यह ठंड के खिलाफ मानव सहनशक्ति का बेहतरीन उदाहरण है.
लूत और डेथ वैली
इन दोनों स्थानों पर तापमान इतना अधिक होता है कि इंसान कुछ मिनट भी खुले में नहीं रह सकता. यहां पानी, हरियाली या जीवन का कोई निशान नहीं होता. गर्म हवाएं, सूखा वातावरण और तपती जमीन इन जगहों को धरती का तंदूर बना देती हैं.
वोस्तोक और ओयम्याकोन
वोस्तोक में वैज्ञानिक विशेष उपकरणों और सुरक्षा उपायों के साथ रहते हैं, लेकिन आम नागरिकों के लिए वहां रहना मुमकिन नहीं. वहीं ओयम्याकोन में लोग ठंड से लड़ने के पारंपरिक तरीके अपनाकर जीवन जीते हैं, लेकिन हर दिन संघर्ष से भरा होता है.
धरती के तापमान का दो सिरा
एक ओर 70.7°C की गर्मी, दूसरी ओर -89.2°C की ठंड, ये दोनों जगहें दिखाती हैं कि प्रकृति कितनी चरम पर जा सकती है. ये स्थान हमें न केवल प्राकृतिक विविधता का अनुभव कराते हैं. बल्कि यह भी बताते हैं कि इंसान को प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखना कितना जरूरी है.
