यमुना का पानी शेखावाटी को देने को लेकर 17 फरवरी को नई दिल्ली में केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर व राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के बीच सहमति बनी थी।
यमुना जल समझौते की पालना में बनी सहमति के अनुसार हरियाणा में हथिनी कुंड बैराज के ताजेवाला हैड से यमुना का पानी शेखावाटी में सबसे पहले चूरू जिले के हांसियावास गांव में आएगा।
पीकेसी-ईआरसीपी का मुद्दा सुलझने के बाद अब राजस्थान को एक और खुशखबरी जल्द ही मिलने वाली है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि यमुना जल बंटवारा समझौता वर्ष 1994 से लंबित था, पूर्ववर्ती सरकार द्वारा इस पर केवल राजनीति की गई, शेखावाटी अंचल की पेयजल की गंभीर समस्या पर कभी ध्यान ही नहीं दिया गया। शेखावाटी की जनता के लिए यह समझौता वरदान साबित होगा। उन्होंने आश्वस्त किया कि यमुना जल समझौते में राजस्थान के लिए 1994 में जिस मात्रा में पानी मिलने का वायदा किया था वो पूरा पानी प्रदेश की जनता को मिलेगा।
उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट के माध्यम से 3 पाइपलाइन के माध्यम से यमुना नदी का पानी राज्य के 4 जिलों सीकर, चुरु, झुन्झुनूं तथा नीमकाथाना को उपलब्ध हो सकेगा। इसके तहत ताजेवाला हैड पर मानूसन के दौरान राजस्थान को अपने हिस्से का 577 एमसीएम (मिलियन क्यूबिक मीटर) जल प्राप्त होगा।
263 किमी में बिछेगी पाइप लाइन
-चूरू, सीकर और झुंझुनूं जिलों को पानी मिलेगा।
-प्रोजेक्ट की प्रारंभिक लागत करीब 20 हजार करोड़ रुपए आंकी गई है। हालांकि, डीपीआर बनने के बाद स्थिति साफ होगी। करीब 263 किमी में बिछनी है पाइप लाइन।
-हरियाणा के हथिनी कुंड बैराज (ताजेवाले हैड) से 577 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलेगा।
-ताजेवाला हैड से चूरू के हासियावास गांव तक सीधे पानी की लाइन बिछाने पर इस रूट की लबाई 263 किमी होगी। इसके लिए 342 हेक्टेयर जमीन अवाप्त करनी होगी और 631 हेक्टेयर जमीन में से आंशिक अवाप्ति की जाएगी।
क्या है यमुना जल समझौता
1994 में पांच राज्यों के तत्कालीन मुख्यमंत्रियों राजस्थान से भैंरोसिंह शेखावत, हरियाणा से भजनलाल, यूपी से मुलायसिंह यादव, हिमाचल प्रदेश से वीरभद्रसिंह ओर दिल्ली से मदनलाल खुराना ने यमुना जल समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। समझौते में तीन जिले झुंझुनूं, चूरू और भरतपुर को 1.19 बिलयिन क्यूबिक मीटर पानी देना तय किया गया था। इसकी पालना में 1995 में अपर यमुना रिवर बोर्ड का गठन किया गया।
राजस्थान के अलावा बाकी सभी प्रदेशों से यमुना गुजरती है। इसलिए बाकी राज्यों को पानी समझौते के अनुसार मिलने लगा। परंतु झुंझुनूं और चूरू को हरियाणा की अनापत्ति के बगैर पानी मिलना सम्भव नहीं था। सन 2001 में हरियाणा के मुख्यमंत्री और राजस्थान के उप-मुख्यमंत्री के बीच हुई बैठक में हरियाणा के अधिकारियों ने उसी समय स्पष्ट कर दिया था कि राजस्थान को हरियाणा की नहरों से पानी नहीं दिया जा सकेगा। चूंकि झुंझुनूं और चूरू जिले में पानी हरियाणा की नहर से ही आ सकता था।
इसलिए राजस्थान सरकार ने हरियाणा में लोहारू तक बनी नहर को इस कार्य के लिए लेने तथा हरियाणा में नहरों के निर्माण एवं रखरखाव की जिम्मेदारी राजस्थान द्वारा लेने सम्बन्धी एमओयू का प्रारूप हरियाणा को 14 फरवरी 2003 को भिजवाया गया। हरियाणा ने इस समझौते पर हरियाणा के हितों की अनदेखी होने का कारण बता हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। इस मुद्दे को हरियाणा राज्य ने अपर यमुना रिव्यू कमेटी में ले लिया।
कमेटी की 12 अप्रेल 2006 को हुई बैठक में चार राज्यों के अधिकारियों की एम्पावर्ड कमेटी बनाने का निर्णय किया गया और फिर कमेटी ने 29 दिसंबर 2007 को अपनी रिपोर्ट सौंपते हुए निर्णय किया कि समझौते में हरियाणा के हितों की अनदेखी नहीं हुई है। ताजेवाला हेड पर पर्याप्त पानी उपलब्ध है। लेकिन पानी को ताजेवाला हेड से हरियाणा होते हुए राजस्थान कैसे ले जाया जाए, इसपर सहमति नहीं बन पाई।