क्या आपने कभी सोचा है कि भारी-भरकम रेलगाड़ी एक लीटर डीजल में कितनी दूर तक जा सकती है? जानिए ट्रेन के माइलेज, टैंक की क्षमता और एक्सप्रेस बनाम पैसेंजर ट्रेन की चौंकाने वाली तुलना ये तथ्य जानकर आप भी दंग रह जाएंगे!
आजकल ज्यादातर ट्रेनें बिजली से चलने लगी हैं, लेकिन अब भी देशभर में बहुत सी ट्रेनें डीजल इंजन से ही संचालित होती हैं। ऐसे में यह जानना बेहद दिलचस्प है कि डीजल से चलने वाली ट्रेन की टंकी में कितना ईंधन समाता है और वह एक लीटर में कितनी दूरी तय कर सकती है। यह जानकारी न केवल जनरल नॉलेज (GK) के लिहाज़ से महत्वपूर्ण है बल्कि तकनीकी और पर्यावरणीय नजरिए से भी बेहद खास है।
रेलवे: कम लागत पर यात्रा का सबसे भरोसेमंद साधन
भारत में रेलवे को कम लागत और सुरक्षित सफर के लिए सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। करोड़ों लोग रोजाना इसका इस्तेमाल करते हैं, लेकिन बहुत कम लोग यह सोचते हैं कि इन लोहे के विशाल वाहनों को चलाने में कितना डीजल खर्च होता है। यह जानना कि एक बार में रेल इंजन की टंकी में कितना डीजल भरता है और वो टैंक ट्रेन को कितनी दूर तक ले जा सकता है, एक रोचक और जानने योग्य विषय है।
डीजल ट्रेन के इंजन की टंकी क्षमता
भारत में डीजल इंजन से चलने वाली ट्रेनें लंबे सफर तय करती हैं, इसलिए इनमें बड़े ईंधन टैंक लगे होते हैं। आमतौर पर एक डीजल इंजन की टंकी में 5,000 से 6,000 लीटर तक डीजल भर सकता है। यह मात्रा किसी भी कार के टैंक की क्षमता से हजारों गुना अधिक होती है। इस बड़े डीजल भंडार के कारण ट्रेनें बिना बार-बार रुकावट के कई सौ किलोमीटर की यात्रा कर सकती हैं।
ट्रेन की माइलेज पर निर्भर करता है कई कारकों पर
एक ट्रेन एक लीटर डीजल में कितनी दूरी तय करेगी, यह पूरी तरह ट्रेन के प्रकार, उसके वजन, इंजन की कुशलता और उसकी गति पर निर्भर करता है। उदाहरण के तौर पर अगर हम 12 कोच वाली एक सामान्य पैसेंजर ट्रेन की बात करें तो यह प्रति किलोमीटर लगभग 6 लीटर डीजल की खपत करती है। वहीं, एक्सप्रेस ट्रेन, जो तेज गति से कम स्टॉप्स पर रुकती है, वह प्रति किलोमीटर औसतन 4.5 लीटर डीजल खर्च करती है। इसकी वजह है इन ट्रेनों में इस्तेमाल होने वाले आधुनिक और फ्यूल एफिशिएंट इंजन।
एक फुल टैंक में कितनी दूरी तय करती है ट्रेन?
अब जब हम जानते हैं कि एक ट्रेन की टंकी में लगभग 6,000 लीटर डीजल भरता है, तो यह जानना भी जरूरी है कि एक बार टैंक फुल होने पर ट्रेन कितनी दूरी तय कर सकती है। अगर हम सामान्य पैसेंजर ट्रेन की बात करें तो वह लगभग 800 से 1,000 किलोमीटर तक चल सकती है। वहीं, एक्सप्रेस ट्रेनें 1,200 से 1,500 किलोमीटर की दूरी तय करने में सक्षम होती हैं। उदाहरण के लिए दिल्ली से मुंबई की दूरी लगभग 1,400 किलोमीटर है, जिसे एक एक्सप्रेस ट्रेन एक ही टैंक में तय कर सकती है।
क्यों एक्सप्रेस ट्रेनें ज्यादा माइलेज देती हैं?
एक्सप्रेस ट्रेनों को रास्ते में कम स्टेशनों पर रुकना पड़ता है, जिससे उन्हें बार-बार स्टार्ट और स्टॉप नहीं करना होता। वहीं पैसेंजर ट्रेनों को बार-बार रुकना होता है, जिससे इंजन पर ज्यादा लोड पड़ता है और डीजल की खपत बढ़ जाती है। यही कारण है कि एक्सप्रेस ट्रेनें अधिक दूरी तय कर सकती हैं और फ्यूल एफिशिएंसी में भी बेहतर होती हैं।
ट्रेन के ईंधन भरने की प्रक्रिया
रेलवे स्टेशनों पर विशेष रूप से बड़े और तेज़ डीजल पंप होते हैं जिनसे ट्रेनों में ईंधन भरा जाता है। यह प्रक्रिया बिल्कुल कार में पेट्रोल भरवाने जैसी होती है, लेकिन स्केल पर कहीं ज्यादा बड़ी। डीजल भरने की यह प्रक्रिया ट्रेन के रूट और शेड्यूल के अनुसार सुव्यवस्थित रूप से की जाती है, ताकि ट्रेनें बिना किसी बाधा के समय पर अपने गंतव्य तक पहुंच सकें।
डीजल से इलेक्ट्रिक की ओर बढ़ता कदम
हालांकि अब रेलवे तेजी से Renewable Energy की ओर कदम बढ़ा रहा है। सरकार की योजना है कि आने वाले वर्षों में ज्यादातर ट्रेनों को बिजली से चलाया जाए ताकि ईंधन की लागत कम हो और प्रदूषण भी घटे। इसके बावजूद अभी भी देश में एक बड़ी संख्या में डीजल इंजन का इस्तेमाल होता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां बिजली की आपूर्ति स्थिर नहीं है।