8th Pay Commission : हाल ही में केंद्र सरकार ने आठवें वेतन आयोग को मंजूरी दे दी है, जिसका फायदा करीब 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनभोगियों को मिलेगा। बताया जा रहा है कि इसके तहत कर्मचारियों की बेसिक सैलरी 18 हजार रुपये से बढ़कर 56000 रुपये हो जाएगी। इस अपडेट से जुड़ी पूरी जानकारी जानने के लिए खबर को पूरा पढ़ें…
हाल ही में केंद्र सरकार ने आठवें वेतन आयोग को मंजूरी दी है, जिसका फायदा करीब 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनभोगियों को मिलेगा. अब एक कमेटी बनेगी, जो अपनी सिफारिशें देगी. इन सिफारिशों को साल 2026 में लागू किया जाएगा. उम्मीद है कि मौजूदा बेसिक सैलरी में ढाई गुना तक बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा.
मौजूदा बेसिक न्यूनतम सैलरी 18 हजार रुपये से बढ़कर 55-56 हजार रुपये हो सकती है. दिलचस्प बात यह है कि जब देश का पहला आयोग लागू हुआ था, तब केंद्रीय कर्मचारियों की बेसिक न्यूनतम सैलरी सिर्फ 55 रुपये थी. इस आंकड़े से साफ है कि सरकारी कर्मचारियों की न्यूनतम बेसिक सैलरी में भारी बढ़ोतरी हुई है. पहले वेतन आयोग से लेकर सातवें वेतन आयोग (7th pay commission hike) तक सरकारी कर्मचारियों के वेतन ढांचे में कई अहम बदलाव हुए हैं, जो कर्मचारियों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने में मददगार रहे हैं.
प्रथम वेतन आयोग (मई 1946 से मई 1947)-
अध्यक्ष: श्रीनिवास वरदाचार्य
विशेषता: भारत की स्वतंत्रता के बाद, वेतन संरचना को तर्कसंगत बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया। जीविका पुरस्कार की अवधारणा शुरू की गई।
न्यूनतम वेतन: 55 रुपये प्रति माह।
अधिकतम वेतन: 2,000 रुपये प्रति माह।
लाभार्थी: लगभग 15 लाख कर्मचारी
द्वितीय वेतन आयोग (अगस्त 1957 से अगस्त 1959)-
अध्यक्ष: जगन्नाथ दास
विशेषता: अर्थव्यवस्था और जीवन यापन की लागत को संतुलित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
न्यूनतम वेतन: 80 रुपये प्रति माह की सिफारिश की गई।
विशेषता: समाजवादी मॉडल अपनाया गया।
लाभार्थी: लगभग 25 लाख कर्मचारी।
तीसरा वेतन आयोग (अप्रैल 1970 से मार्च 1973)-
अध्यक्ष: रघुबीर दयाल
न्यूनतम वेतन: 185 रुपये प्रति माह की संस्तुति
विशेषताएँ: सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच वेतन समानता पर जोर। वेतन संरचना में असमानताएँ दूर की गईं
लाभार्थी: लगभग 30 लाख कर्मचारी।
चौथा वेतन आयोग (सितंबर 1983 से दिसंबर 1986)-
अध्यक्ष: पी एन सिंघल
न्यूनतम वेतन: 750 रुपये प्रति माह की संस्तुति
विशेषताएँ: विभिन्न पदों पर वेतन में असमानताओं को कम करने पर ध्यान। प्रदर्शन-आधारित वेतन संरचना शुरू की गई
लाभार्थी: 35 लाख से अधिक कर्मचारी।
पांचवां वेतन आयोग (अप्रैल 1994 से जनवरी 1997)-
अध्यक्ष: न्यायमूर्ति एस रत्नावेल पांडियन
न्यूनतम वेतन: 2,550 रुपये प्रति माह की संस्तुति।
विशेषताएँ: वेतनमानों की संख्या कम करने की संस्तुति। सरकारी कार्यालयों के आधुनिकीकरण पर ध्यान केन्द्रित किया गया। लाभार्थी: लगभग 40 लाख कर्मचारी
छठा वेतन आयोग (अक्टूबर 2006 से मार्च 2008)-
अध्यक्ष: न्यायमूर्ति बीएन श्री कृष्ण
न्यूनतम वेतन: 7,000 रुपये प्रति माह।
अधिकतम वेतन: 80,000 रुपये प्रति माह।
विशेषताएँ: वेतन बैंड और ग्रेड वेतन की शुरुआत की गई, प्रदर्शन-संबंधी प्रोत्साहनों पर जोर दिया गया।
लाभार्थी: लगभग 60 लाख कर्मचारी
सातवां वेतन आयोग (फरवरी 2014 से नवंबर 2016)-
अध्यक्ष: न्यायमूर्ति एके माथुर
न्यूनतम वेतन: बढ़ाकर 18,000 रुपये प्रति माह किया गया
अधिकतम वेतन: 2,50,000 रुपये प्रति माह
विशेषताएँ: ग्रेड वेतन प्रणाली के स्थान पर नए वेतन मैट्रिक्स की सिफारिश की गई। भत्तों और कार्य-जीवन संतुलन पर ध्यान केन्द्रित किया गया
लाभार्थी: एक करोड़ से अधिक (पेंशनभोगियों सहित)