गाड़ी चलते समय अगर टायर पंक्चर हो जाए और नजदीक मकेनिक न हो तो टायर रिपेयर कराने में काफी मशक्त करनी पड़ती है।अगर आप ऐसी जगह रहते है जहा की सड़के अच्छी नहीं है तो आपको बार बार टायर पंक्चर की परेशानी झेलनी पड़ती है।कई लोग टायर को बार बार रिपेयर करवाकर काम चलाते रहते है।लेकिन टायर को कब तक रिपेयर करवाकर चलाते रहना सुरक्षित है,यह बहुत कम लोगो को पता होता है। गाड़ी का वजन कार के टायरों पर होता है।कार बिच रस्ते में धोखा न दे इसलिए टायर का फिट रहना बेहद जरुरी है।लेकिन कितने पंक्चर के बाद टायर का प्रयग बंद कर देना चाहिए ?? तो आइए जानते है इसके बारे में
ट्यूब और ट्यूबलेस टायर के बिच ये है फंडा
पंक्चर होने पर ट्यूब वाले टायर से हवा तुरंत निकल जाती है ,जबकि ट्यूबलेस टायरों में हवा काफी देर तक रहती है।ट्यूब वाले टायर के साथ परेशानी ये है की अगर पंक्चर 2-3 बार हो जाए तो उसका ट्यूब बेकार हो जाता है।लिक को रोकने के लिए ट्यूब में लगाया गया पैच कुछ समय बाद कमजोर हो जाता है और वहा से हवा दोबारा निकलने लगती है। ऐसे में टायर के अंदर नया ट्यूब लगवाना पड़ता है।
ट्यूबलेस टायर अगर पंचर हो पाए तो इसके अंदर काफी देर तक हवा रहती है।इसमें कील से हुए साधारण पंक्चर को आप खुद से ठीक कर सकते है।इसे रिपेयर करवाना भी आसान और सस्ता होता है।अगर पंक्चर से टायर ज्यादा खराब हो जाए तो आपको टायर ही बदलवानी पड़ेगी।अगर टायर ज्यादा घिस जाए तो वह बहुत जल्दी पंक्चर होने लगते है।
कितने पंक्चर पर बदलवाए टायर ??
कई लोग टायर को बार रिपेयर करवाकर चलाते रहते है।टायर में अगर पंक्चर ज्यादा हो जाए तो वह कमजोर हो जाता है।ऐसे में ज्यादा दबाब पड़ने पर उसके फटने की संभावना बढ़ जाती है।अगर टायर 3-4 बार पंक्चर हो जाए तो उससे बदल देना चाहिए।अगर पंक्चर के बिच की दुरी 150 एनएम से कम है तो ऐसे में उस टायर का इस्तेमाल सही नहीं माना जाता है।
अगर पंक्चर 6 एनएम से बड़ा है तो यह रिपेयर के बाद भी परेशानी खड़ी कर सकता है।ऐसे में रिपेयर के बजाय नया टायर लगवा लेना ही बेहतर माना जाता है।अगर पंक्चर किसी बड़ी नुकूली चीज से हुआ है तो टायर को बदल लेने में ही समझदारी है।अगर पंक्चर के साइड वॉल में हो जाए तो वह पूरी तरह बेकार हो जाता है।