Kamakhya Devi Temple In Hindi : माँ कामाख्या या कामेश्वरी को इच्छा की देवी कहा जाता है। कामाख्या देवी का प्रसिद्ध मंदिर उत्तर पूर्व भारत में असम राज्य की राजधानी गुवाहाटी के पश्चिमी भाग में स्थित नीलाचल पहाड़ी के मध्य में स्थित है। मां कामाख्या देवालय को पृथ्वी पर 51 शक्तिपीठों में सबसे पवित्र और सबसे पुराना माना जाता है। यह भारत में व्यापक रूप से प्रचलित तांत्रिक शक्तिवाद पंथ का केंद्रबिंदु है। मां कामाख्या देवी का मंदिर असम की राजधानी गुवाहाटी से आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। माना जाता है कि यह मंदिर देवी के रजस्वला की वजह से अधिक प्रसिद्ध है और लोगों के आकर्षण का केंद्र है। मंदिर में एक चट्टान के रूप में बनी योनि से रक्त का स्राव होता है जो इस मंदिर की लोकप्रियता का मुख्य कारण है।
1. कामाख्या देवी मंदिर का इतिहास – Kamakhya Devi Temple History In Hindi
माना जाता है कि कामाख्या देवी मंदिर का निर्माण मध्यकाल के दौरान कराया गया था। कोच राजा बिस्व सिंघ ने मंदिर का पुनर्निर्माण 1553-54 में कराया था। बाद में गौड़ के एक मुस्लिम आक्रमणकारी कालापहाड़ ने मंदिर को नष्ट करा दिया। इसके बाद राजा बिस्व सिंघ के उत्तराधिकारी महान कोच राजा नरनारायण ने अपने भाई चिलाराई के साथ इस स्थान का निरीक्षण किया और इसे पूरी तरह खंडहर में पाया। नारायण ने 1565 में मंदिर का जीर्णोद्धार कराया और मंदिर को शाही संरक्षण दिया।
17 वीं शताब्दी की शुरुआत में अहोम ने इस मंदिर का निर्माण कई तरह के पत्थरों से कराया जिसका प्रमाण मंदिर के शिलालेख और तांबे की प्लेट से मिलता है। 1897 ई. में भूकंप के कारण मुख्य मंदिर को बहुत नुकसान पहुँचा और कामाख्या के कुछ अन्य मंदिरों के गुंबद गिर गए। कोचबिहार का शाही दरबार बचाव में आया और मरम्मत के लिए मोटी रकम दान की। मंदिर की मरम्मत कई बार की गई। मंदिर को विभिन्न राजाओं का शाही संरक्षण प्राप्त हुआ।
2. कामाख्या देवी मंदिर से जुड़ी कहानी – Kamakhya Devi Temple Story In Hindi
पौराणिक कथाओं के अनुसार माता सती ने अपना विवाह भगवान शंकर के साथ रचाया। लेकिन सती के विवाह से उनके पित दक्ष प्रसन्न नहीं हुए। जब एक बार सती के पिता राजा दक्ष ने एक यज्ञ आयोजित किया तो इसमें उनके पति को नहीं बुलाया जिससे माता सती बिना बुलाए पिता के घर पहुंच गईं। वहां उनके पिता ने भगवान शंकर का अपमान किया। माता सती अपने पति का अपमान सहन नहीं कर पायीं और हवन कुंड में कूद गईं। पता चलने पर भगवान शिव वहां पहुंचे और सती का शव लेकर तांडव करने लगे। जब उन्हें रोकने के लिए विष्णु ने सुदर्शन चक्र फेंका तो सती का शव 51 भागों में कटकर विभिन्न स्थानों पर जा गिरा। इसमें से माता सती की योनि और उनका गर्भ जिस स्थान पर गिरा वहीं पर एक मंदिर बनाया गया जिसे कामाख्या देवी मंदिर के नाम से जानते हैं।
3. कामाख्या देवी मंदिर के बारे में रोचक तथ्य – Interesting Facts About Kamakhya Devi Temple In Hindi
कामाख्या देवी का मंदिर भारत में स्थित अन्य देवियों के मंदिरों से काफी अलग है। यही एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां देवी का रजस्वला समाप्त होने के बाद श्रद्धालु उनके दर्शन के लिए उमड़ते हैं। आइये जानते हैं शक्तिपीठ कामाख्या देवी मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्य।
- माँ कामाख्या का मंदिर दशमहाविद्याओं यानि देवताओं के दस अवतार त्रिपुरा सुंदरी, मातंगी, कमला, काली, तारा, भुवनेश्वरी, बगलामुखी, छिन्नमस्ता, भैरवी, धूमावती को समर्पित मंदिर हैं।
- यहां भगवान शिव के पांच मंदिर कामेश्वर, सिद्धेश्वरा, केदारेश्वर, अमरत्सोस्वरा, अघोरा स्थित हैं।
- शक्तिपीठ मां कामाख्या के मंदिर में प्रसिद्ध अंबुबाची मेला लगता है जो चार दिनों तक चलता है। कामाख्या देवी मंदिर का अंबुबाची मेला बहुत ही लोकप्रिय है और यह मंदिर की कई विशेषताओं में से एक है।
- यह मंदिर कामाख्या देवी के मासिक धर्म के कारण प्रसिद्ध है। माना जाता है कि आषाढ़ महीने के सातवें दिन मां कामाख्या को माहवारी शुरू होती है और जब उनकी माहवारी खत्म होती है तो मेले में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है।
- मंदिर एक मील ऊंची पहाड़ी पर स्थित है, जहां श्रद्धालु मां के जयकारे लगाते हुए पहुंचते हैं।
- कामाख्या देवी मंदिर में जब मेले का आयोजन किया जाता है तब देशभर के तांत्रिक इस मेले में भाग लेने पहुंचते हैं।
- मंदिर की एक अन्य विशेषता यह है कि जब मां कामाख्या रजस्वला होती हैं तो जलकुंड में पानी की जगह खून बहता है।
- कामाख्या देवी मंदिर की यह खासियत है कि जब तक देवी में रजस्वला होती हैं, मंदिर का कपाट बंद रहता है।
- मंदिर का कपाट बंद होने से पहले यहां एक सफेद कपड़ा बिछाया जाता है और जब कपाट खुलता है तो यह कपड़ा बिल्कुल लाल रहता है।
- इस लाल कपड़े को अंबुबाची मेले में आये श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।
- मंदिर परिसर में योनि के आकार की एक समतल चट्टान है जिसकी पूजा की जाती है।
- कामाख्या देवी का मंदिर पशुओं की बलि देने के लिए भी प्रसिद्ध् है लेकिन एक खासियत यह भी है कि यहां मादा पशुओं की बलि नहीं दी जाती है।
4. कामाख्या देवी मंदिर में पूजा का समय – Kamakhya Devi Temple Pooja Timing In Hindi
सुबह साढ़े पांच बजे कामाख्या देवी को स्नान कराया जाता है और छह बजे नित्य पूजा होती है। इसके बाद सुबह आठ बजे मंदिर का कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाता है। दोपहर एक बजे मंदिर का कपाट बंद कर दिया जाता है और देवी को भोग लगाकर प्रसाद श्रद्धालुओं में बांटा जाता है। दोपहर ढाई बजे मंदिर का कपाट दोबारा से भक्तों के लिए खोला जाता है और रात साढ़े सात बजे कामाख्या देवी की आरती के बाद मंदिर का द्वार बंद कर दिया जाता है।
5. कामाख्या देवी मंदिर कैसे पहुंचें – How To Reach Kamakhya Devi Temple In Hindi
इस मंदिर तक पहुंचने के लिए हर तरह की सुविधाएं मौजूद हैं। आप किसी भी माध्यम से यहां आसानी से पहुंच सकते हैं।
हवाई जहाज से कामाख्या देवी मंदिर कैसे पहुंचें – How To Reach Kamakhya Devi Temple By Flight In Hindi
निकटतम हवाई अड्डा लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, जिसे गुवाहाटी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के नाम से भी जाना जाता है। यह कई अंतरराष्ट्रीय शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। हवाई अड्डा शहर के केंद्र से लगभग 20 किलोमीटर पश्चिम में है। यहां आने के बाद आप सिटी सेंटर या अपने होटल जाने के लिए टैक्सी या कैब या बस बुक कर सकते हैं।
ट्रेन से कामाख्या देवी मंदिर कैसे पहुंचें – How To Reach Kamakhya Devi Temple By Train In Hindi
कामाख्या स्टेशन शहर का दूसरा सबसे बड़ा स्टेशन है और कामाख्या देवालय के सबसे नजदीक है। जबकि गुवाहाटी स्टेशन बड़ा रेलवे स्टेशन है। गुवाहाटी स्टेशन देश के सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। रेलवे स्टेशन से आप सिटी सेंटर टैक्सी या स्थानीय बस से जा सकते हैं। जहां से कामाख्या देवी मंदिर आसानी से पहुंचा जा सकता है।
रोडवेज द्वारा कामाख्या देवी मंदिर कैसे पहुंचें – How To Reach Kamakhya Devi Temple By Road In Hindi
गुवाहाटी बस सेवा आसपास के शहरों और राज्यों से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। अदबारी, पल्टन बाजार और आईएसबीटी गुवाहाटी के तीन नोडल बिंदु, असम और आसपास के राज्यों में कस्बों और शहरों के लिए बस सेवा प्रदान करते हैं। जिसके माध्यम से आप यहां पहुंच सकते हैं।
6. कामाख्या देवी मंदिर के पास रुकने की जगहें – Accommodation Near Kamakhya Temple In Hindi
कामाख्या देवी का दर्शन करने जाने वाले श्रद्धालुओं को वहां रूकने के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है जिससे उन्हें असुविधा होती है। आपकी सुविधा के लिए बता दें कि कामाख्या देवालय का गेस्ट हाउस भक्तों को रुकने के लिए उपलब्ध है जहां आप आराम से रुक सकते हैं। इसके अलावा कामाख्या धाम, गुवाहाटी में ही चक्रेश्वर भवन, रानी भवन, कामाख्या डीबटर गेस्ट हाउस सहित कई अन्य जगहों पर सुविधाएं उपलब्ध हैं। यहां प्रतिदिन के हिसाब से तीन बेड के कमरे का किराया पांच सौ रूपये से सात सौ रुपये और दो बेड के कमरे का किराया 300 से 500 रूपये तक है।