छत्तीसगढ़ प्रदेश के बड़े हिस्से में धन की या अन्य फसलों की खेती नहीं होती है।बेकार पड़ी जमीं का सदुपयोग करते हुए किसान अच्छा लाभ कमा सकते है।एक ऐसी फसल है जिसकी खेती करना बहुत आसान है।इसकी खेती ऐसी जमीं पर की जाती है जहा धान या अन्य फसलों की खेती नहीं होती है। यह लेमन ग्रास कीखेती है।लेमनग्रास की खेती से किसान मालामाल हो सकता है।
लेमन ग्रास से स्पष्ट इसके पौधे से नीबू की सुगंध आती है।इसमें सेंट्रल कम्पाउंड होता है।सेंट्रल की देश विदेश में बेहद मांग है।देश बहुत सारे इंडस्ट्री है जहा सेंट्रोल के तेल में से पृथक करके दवाइयों में भी इस्तेमाल किया जाता है।विटामिन बी इससे बनाया जाता है।लेमन ग्रास की खेती में ध्यान यही रखना है की जहा पानी भरता है वैसे जगहों पर इसकी खेती नहीं करे। लेमन ग्रास के फसल की मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है।
साल में दो बार होती है लेमन ग्रास की खेती
अगर लेमन ग्रास के तेल में किसी दूसरे फसल की खुशबु मिल जाएगी तो बाजार में इसका दाम कम हो जाएगा।लेमन ग्रास की खेती करने में किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं है।किसी भी तरह के कीड़े या बीमारी का असर इस पौधे में नहीं है।इसे जानवर नहीं खाते है।एक बार फसल लगाने पर पांच साल तक चलती है।हर 3 से 6 महीने के बिच में इसकी कटाई कर सकते है और तेल निकालने का काम कर सकते है। लेमन ग्रास जून – जुलाई या जनवरी -फरवरी माह में लगा सकते है।
40 हजार का लाभ
इस फसल की खासियत है की जितनी ज्यादा गर्मी पड़ती है उतना लेमनग्रास का उत्पादन ज्यादा होता है।गर्मी के मौसम में सिचाई की व्यवस्था होना चाहिए जिससे किसानो को और अच्छा लाभ मिल सके।लेमनग्रास की खेती करके किसान प्रति एकड़ औसतन 40 हजार रूपये शुद्ध लाभ कमा सकते है।