ट्रेन की पटरी के किनारे क्यों लगे होते है बॉक्स, जानें : भारतीय रेलवे के लिए यात्रियों की सुरक्षा सर्वोपरि है ! दुर्घटनाओं को रोकने और दुर्घटनाओं का पता लगाने के लिए रेलवे कई इंतजाम करता है ! सुरक्षा व्यवस्था में कोई लापरवाही नहीं बरती जा रही है ! ट्रेन के पहिए, पटरियां और अन्य चीजें खास तरीके से बनाई जाती हैं !
ट्रेन की पटरी के किनारे क्यों लगे होते है बॉक्स, जानें
ट्रेन के अंदर, पटरियों पर और ट्रैक के किनारे भी सुरक्षा और निगरानी के लिए कई उपकरण लगाए जाते हैं ! आपने रेल की पटरियों के किनारे लगे एल्युमीनियम बक्से भी देखे होंगे ! कई लोग इन बक्सों को बिजली का बक्सा समझते हैं ! लेकिन ऐसा नहीं है !
आपको जानकर हैरानी होगी कि एक्सल काउंटर बॉक्स नाम का यह एल्यूमीनियम बॉक्स न सिर्फ ट्रेन के डिब्बों की गिनती करता है बल्कि यह भी बताता रहता है कि ट्रेन किसी खास दिशा में जा रही है और किस स्पीड से चल रही है ! सुरक्षा के लिए लगाया गया यह बॉक्स दुर्घटनाओं को रोकने में काफी मददगार है !
इन्हें हर तीन से पांच किलोमीटर की दूरी पर लगाया जाता है ! इन बक्सों के अंदर एक स्टोरेज डिवाइस लगा होता है, जो सीधे ट्रेन की पटरियों से जुड़ा होता है ! जब भी कोई ट्रेन गुजरती है, तो पटरियों के किनारे रखे बक्से ट्रेन के एक्सल की गिनती करते हैं, ताकि यह पता चल सके कि ट्रेन में अभी भी उतने ही एक्सल हैं, जिनके साथ वह स्टेशन से निकली थी या नहीं !
General Knowledge – रेल पटरियों के किनारे डिब्बे क्यों रखे जाते हैं
कई बार ट्रेन से यात्रा करते समय आपने देखा होगा कि रेलवे ट्रैक के किनारे कुछ दूरी पर डिब्बे रखे होते हैं ! लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये बॉक्स क्यों लगाए जाते हैं? दरअसल, इन बॉक्स को एक्सेल काउंटर बॉक्स कहा जाता है ! जब कोई ट्रेन ट्रैक से गुजरती है तो उसकी सारी जानकारी इन एक्सेल काउंटर बॉक्स में दर्ज हो जाती है ! इससे ट्रेन की गति और दिशा का पता चल जाता है, जिसे आगे बढ़ाया जाता है ! इन बक्सों में एक सेंसर लगा हुआ है !
General Knowledge – ट्रेन से कोच निकलते ही लाल सिग्नल देगा
दरअसल, एक्सल काउंटर बॉक्स पटरी पर लगे एक तार से जुड़ा होता है ! जब ट्रेन वहां से चलती है तो वह एक्सल (दो पहियों को जोड़ने वाली रॉड) की गिनती करता है ! इससे यह गिना जाता है कि 5 किलोमीटर पहले ट्रेन में जितने पहिए थे, 5 किलोमीटर के बाद भी उतने ही पहिए रहेंगे !
यदि किसी दुर्घटनावश ट्रेन के पिछले डिब्बे मुख्य ट्रेन से अलग हो जाते हैं तो उस स्थिति में यह इसकी जानकारी अगले डिब्बे तक पहुंचा देता है ! जैसे ही अगले डिब्बे को यह सूचना मिलती है, वह लाल संकेत देता है और ट्रेन रुक जाती है ! यह निकटतम रेलवे स्टेशन को भी सूचित करता है कि ट्रेन का कोच छूट गया है !
General Knowledge – ट्रेन की पटरी के किनारे क्यों लगे होते है बॉक्स : रिफ़्यूज़ संकेतक क्यों महत्वपूर्ण है?
मालूम हो कि भारतीय रेलवे अपनी भाषा में इसे रिफ्यूज इंडिकेटर कहता है ! ये वर्गाकार ब्लॉग रेलवे विभाग के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं ! हालाँकि, यह सवाल अभी भी बना हुआ है कि इस बॉक्स का काम क्या है और यह इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
कर्मचारी समय-समय पर पटरियों की मरम्मत करते हैं
दरअसल, आपने देखा होगा कि रेलवे कर्मचारी समय-समय पर रेल पटरियों की मरम्मत करते रहते हैं ! यह मरम्मत कार्य पूरे दिन या कई दिनों तक चलता है, ऐसे में रेलवे कर्मचारी मरम्मत स्थल तक पहुंचने के लिए ट्रॉली का उपयोग करते हैं ! ऐसे में अब सोचिए कि अगर ट्रैक की मरम्मत हो रही हो और ट्रेन को उसी ट्रैक से गुजरना हो तो रेलवे कर्मचारी और उस ट्रॉली का क्या होगा?
General Knowledge – ट्रॉली को सुरक्षित करने के लिए
आप कहेंगे कि रेलवे कर्मचारी ट्रेन देखकर हट जाएंगे ! हां, आप सही हैं, लेकिन ट्रॉली को सुरक्षित रखने के लिए रेलवे कर्मचारी इस रिफ्यूज इंडिकेटर का इस्तेमाल करते हैं ! इस जगह पर सिर्फ ट्रॉली ही नहीं बल्कि खुद कर्मचारी भी खड़े रहते हैं ! उनके साथ उनका सामान भी है ! यही कारण है कि चौकोर दिखने वाली यह जगह रेलवे विभाग के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है !
General Knowledge – रेलवे ट्रॉली को धक्का देने की बजाय छोटे इंजन से क्यों नहीं चलाया जाता?
पुश ट्रॉली बहुत हल्की है ! अगर कोई ट्रेन उसी ट्रैक पर आ रही हो तो उसे उठाकर अलग रख दिया जाता है ! इस ट्रॉली की स्पीड बहुत कम है ! ऐसे में ट्रॉली पर बैठे अधिकारी ट्रैक का गहनता से निरीक्षण करते हैं ! यदि इंजन रख दिया गया तो उसे उठाना संभव नहीं होगा ! साथ ही स्पीड भी बढ़ जायेगी, जिससे निरीक्षण ठीक से नहीं हो पायेगा !