ग्रीष्मकालीन गन्ने की फसल में उर्वरक प्रबंधन के अलावा सिंचाई प्रबंधन कैसे करें, विशेषज्ञों से (Sugarcane Farming Advise) जानिए..
Sugarcane Farming Advise | गन्ना एक नकदी फसल है, इससे बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिलता है। गन्ने से चीनी व गुड़ बनाया जाता है। चीनी मिलों के लिए गन्ना एक कच्चा माल होता है जिसका उपयोग करके चीनी का उत्पादन किया जाता है।
भारत का दुनिया में चीनी उत्पादन में दूसरा स्थान है। पारंपरिक फसलों की खेती की अपेक्षा, गन्ने की खेती से किसान भी अच्छा मुनाफा तैयार कर पाते हैं। गेंहू की कटाई के बाद गन्ने की खेती करने वाले किसान गन्ने की खेती में जुट गए है।
कई इलाकों में बुवाई भी हो चुकी है। कृषि विभाग के मुताबिक, गन्ने की बुवाई का कार्य 25 मार्च तक चलेगा। गन्ने की खेती से बंपर पैदावार के लिए गन्ना किसानों को खाद उर्वरक का विशेष ध्यान रखना होता है। मृदा परीक्षण के आधार पर ही किसानों को खाद उर्वरक का उपयोग करना चाहिए।
यहां हम आर्टिकल में कृषि विशेषज्ञ से जानिए गन्ने की बुवाई (Sugarcane Farming Advise) के बाद किसानों को क्या करना चाहिए? बेहतर पैदावार के लिए गन्ने की फसल में उर्वरक प्रबंधन एवं कीट व्याधि को कैसे रोके…
गन्ने की बुवाई के बाद क्या करें किसान?
Sugarcane Farming Advise | कृषि विभाग के मुताबिक, बसंत ऋतु में 75 से.मी. की दूर पर तथा शरद ऋतु में 90 से.मी. की दूरी पर रिजन से 20 से.मी. गहरी नालियां खोदनी चाहिए। इसके बाद उर्वरक को नाली में डालकर मिट्टी मिला देनी चाहिए।
बुवाई के 5 दिन बाद गाम बीएचसी (लिंडेन) का 1200-1300 लीटर पानी में घोलकर बोए गए टुकड़े पर छिडक़ाव से दीमक व जड़ और तने में भेदक कीड़े नहीं लगते हैं।
इस दवा को 50 लीटर पानी में घोलकर नालियों पर छिडक़कर उन्हें मिट्टी से बंद कर दें। यदि पायरिला के अंडों की संख्या बढ़ जाती है तो उस समय किसी भी रसायन का प्रयोग न करें। कीट विशेषज्ञों से अवश्य राय लें। : Sugarcane Farming Advise
यदि खड़ी फसल में दीमक का प्रकोप हो गया है तो 5 लीटर गामा बी.एच.सी. 20 ई.सी. का प्रति हैक्टेयर की दर से खेत में सिंचाई करते समय प्रयोग करना चाहिए। जिन किसानों ने अब तक गन्ने की बुवाई नहीं की है वह किसान भाई गन्ना बोने की मशीन सीडर कटर प्लांटर का प्रयोग कर सकते हैं।
गन्ने की फसल में उर्वरक प्रबंधन
Sugarcane Farming Advise | गन्ने की फसल में मृदा परीक्षण के आधार पर उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए। यदि मृदा परीक्षण न हुआ हो तो बुआई के समय प्रति हैक्टर 60-75 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 80 कि.ग्रा. फॉस्फोरस व 60 कि.ग्रा. पोटाश का प्रयोग करें।
गन्ने की पेड़ी की फसल में प्रति हैक्टर 90 कि.ग्रा. नाइट्रोजन गन्ना काटने के बाद तथा इतनी ही मात्रा तीसरी सिंचाई के समय प्रयोग करें।
इसकी पेड़ी से अच्छी फसल लेने के लिए खरपतवार नियंत्रण हेतु, उगने से पहले एट्राजिन 2 कि. ग्रा. सक्रिय तत्व के रूप में प्रति हैक्टर की दर से छिड़काव करें। पेड़ी की फसल में 12-15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई अवश्य करते रहें।
गन्ने की फसल को यह दो किट पहुंचाते है सबसे ज्यादा नुकसान
Sugarcane Farming Advise | गन्ने की फसल उगते समय दीमक पोरी की आंखों को नष्ट कर देती है। कनसु के आक्रमण से पौधों की गोभ सूख जाती है। अतः इन दोनों कीटों से फसल को बचाने के लिए बुआई के समय 2.5 लीटर क्लोरपायरीफॉस 20 ई.सी. या 2.5 लीटर गामा बी.एच.सी. 20 ई.सी.
या 600 मि.ली. फिप्रोलिन 5 एस. सी. को 600-800 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ कूड़ों में बीज के ऊपर फव्वारे से छिड़काव करें। 150 मि.ली. इमिडाक्लोरोप्रिड 200 एम.एल. को 250-300 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव किया जा सकता है।
गन्ने की खेती से होगी बंपर कमाई
Sugarcane Farming Advise | गन्ना किसान की सालाना कमाई कई चीजों पर निर्भर करती है। जैसे जमीन की उत्पादकता, मार्केट डिमांड आदि। साथ ही गन्ना किसान की कमाई उसके क्षेत्र पर भी निर्भर करती है। सामान्य तौर पर गन्ने की खेती में 70 से 80 टन प्रति हेक्टेयर पैदावार होती है।
3500 रुपए प्रति टन से भी जोड़ें तो करीब 2 लाख 80 रुपए का ग्रॉस इनकम गन्ना किसान को हो सकता है। जिसमें यदि 1 लाख रुपए लागत और श्रम को हटा दिया जाए तो हर साल 1.5 लाख से 1.8 लाख रुपए का मुनाफा कमाया जा सकता है।
यदि किसान अपने उत्पाद को प्रोसेस्ड कर, स्वयं मार्केट में उतारें और ब्रांडिंग करें तो मुनाफा 2 गुना से 3 गुना किया जा सकता है। इसके लिए किसान पीएम किसान एफपीओ योजना की भी मदद ले सकते हैं।