गेहूं की फसल बुवाई करने या फिर गेहूं बड़ा होने पर कमी के लक्षण दिखाई दे तो जिंक डालने का तरीका, कब और कितनी मात्रा में डालें, जानें Gehu Me Zinc kitna Dale….
गेहूं फसल में जिंक का प्रयोग | Gehu Me Zinc kitna Dale
हमारे देश में खेती किसानों के द्वारा बड़े स्तर पर किया जाता है। चावल के बाद भोजन के रूप में सबसे अधिक गेहूं का खपत होता है। ऐसे में किसानों को अपनी खेती में अधिक कल प्राप्त करने के लिए खेती से जुड़ी हुई पूरी जानकारी होना बहुत जरूरी है। ताकि किसानों को अपनी भूमि में बोई गई फसल को नुकसान से बचाया जाए और अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सके।
Gehu Me Zinc kitna Dale | मौजूदा समय में इस बदलते हुए दौर को देखते हुए और जमीन कम होती हुई उपजाऊ क्षमता को बनाए रखने के बीच खेती में किसानों को जिंक का प्रयोग बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है। आवश्यकता होने के बाद भी हमारे देश के किसान अपने खेतों में जिंक का उपयोग नहीं कर पाते या उन्हें जानकारी नहीं होती है किसानों के द्वारा इसकी जगह पर सल्फर का उपयोग किया जाता है।
वही हमारे देश की खेतों में मिट्टी में जिंक कमी देखी गई है। ऐसे में किसानों को साल में एक बार जिंक का उपयोग में जरूर आना चाहिए। क्योंकि जिंक एक बार एक वर्ष में उपयोग करने के बाद दोबारा से डालने का जरूरत नहीं होता।
हमारे देश में धान की खेती कई राज्यों में किया जाता है और धान की खेती के समय किसान जिंक का प्रयोग अवश्य करते हैं। उन खेतों में जिंक की आवश्यकता नहीं रहता। लेकिन अगर किसान धान की खेती नहीं करते हैं। और अन्य फसल में जिंक का उपयोग नहीं करते हैं तो गेहूं की बुवाई में जिंक डालने की आवश्यकता रहती है क्योंकि गेहूं की फसल में जिंक की कमी के लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
ऐसे में किसानों को अपने खेत में जिंक का उपयोग करना रहता है। ऐसे में बहुत से ऐसे किसानों को अपनी गेहूं की फसल में जिंक की कमी के लक्षण का पता नहीं रहता कि इसमें जिंक की कमी है या नहीं।
ऐसे में किसानों को सबसे पहले अपनी फसल में यह पता करना होगा। कि जिंक की कमी है तो इसके क्या कारण होता है। और इस जिंक की कमी के कारण गेहूं के फसल में क्या नुकसान हो सकता है। बता दें कि जिंक की कमी के चलते किसानों की फसल में पौधों की पत्तियां पीली पड़ने के साथ-साथ गेहूं की बढ़वार में वृद्धि नहीं हो पाता और रुक जाता है।
गेहूं की फसल में जिंक की कमी के लक्षण
गेहूं की फसल में जिंक की कमी होने के चलते फसल एक तरह की बढ़वार नहीं रहती। पौधे छोटा दिखाई देता है। ओर गेहूं के पौधे आरंभ में हरे पीले रंग के नए पत्ते और मध्य के पत्तियां का बीच का भाग ओर किनारे पर पीले रंग का धब्बा देखा जा सकता है। जो बाद में जाकर पीला भूरा रंग में बदलाव देखने को मिलता है।
गेहूं की फसल में जिंक के इस्तेमाल के लाभ
बता दें कि गेहूं की फसल में जिंक मात्रा कम आवश्यकता पड़ता है। लेकिन यह खेती के लिए बेहद जरूरी रहता है क्योंकि गेहूं की बेहतर विकास व बढ़वार के लिए जिंक बहुत आवश्यक होता है।
गेहूं की फसल में जिंक के इस्तेमाल करने से पौधे हरा भरा रहता है और अधिक कल्लों का विकास और फुटाव होता है। इस तरह कहा जा सकता है कि गेहूं की फसल के लिए जिंक जरूरी तत्वों में से एक है।
किसानों की जानकारी के लिए बता दें कि गेहूं की फसल में एक बार जिंक के इस्तेमाल करने के बाद खेत में पड़ा हुआ जिंक का पांच से लेकर 10% भाग ही जिंक प्राप्त कर पता है। बाकी का खेत में रह जाता है।
बता दे की गेहूं के खेत में जिंक का इस्तेमाल होने के बाद किसानों को अलग से किसी भी अन्य ग्रोथ प्रमोटर डालने की आवश्यकता नहीं रहती। वहीं किसानों को जिंक का उपयोग या फिर अन्य किसी भी खाद या उर्वरक का प्रयोग करने से पहले अपने जमीन की मिट्टी की जांच करवा लेना चाहिए। ताकि उन्हें पता लगाया जा सके कि कौन सी चीज की आवश्यकता अधिक है।
1 एकड़ भूमि में जिंक का इस्तेमाल कितना करना चाहिए
Gehu Me Zinc kitna Dale: किसानों को अपने खेत में जिंक डालने के लाभ क्या-क्या प्राप्त होते हैं उससे पहले किसानों को यह जानना आवश्यक रहता है कि इसकी मात्रा कितना डालना चाहिए।
अधिकतर किसानों के द्वारा जिंक का उपयोग फसल बुवाई के समय ही जिंक इस्तेमाल कर लिया जाता है। लेकिन बहुत से ऐसे किसान जो की बुवाई के समय नहीं डाल पाए हैं, तो उनको खेत में जिंक की कमी महसूस होने पर जिंक सल्फेट 33% का 6 किलोग्राम प्रति एकड़ की मात्रा से छिड़काव किया जा सकता है।
या
इसके अलावा किसान प्रति एकड़ भूमि में 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट 21% की मात्रा को यूरिया के साथ मिलकर भी उपयोग में पहली सिंचाई के दौरान कर सकते हैं।
या
वही वह किसान जो अपने खेत में जिंक सीधे तरीके से नहीं छिड़काव करना चाहते हैं तो वे स्प्रे द्वारा छिड़काव कर सकते हैं। जिसके लिए प्रति एकड़ भूमि में 200 लीटर पानी के साथ 800 ग्राम जिंक 33% का घोल बनाकर छिड़काव किया जा सकता है। वही इसके अलावा किसान प्रति एकड़ 150 ग्राम की मात्रा में चिल्टेड जिंक भी इस्तेमाल कर सकते हैं।