अगर आप खेती या बागवानी करते हैं तो चलिए बताते हैं फ्री की खाद और कीटनाशक के बारे में जिससे फसल को पोषण और कीटों से भी छुटकारा मिलेगा-
फ्री की खाद और कीटनाशक
इस समय बाजार में कई तरह के खाद और कीटनाशक उपलब्ध है, जिनमे ज्यादातर रसायन मिले होते हैं। जिससे मिट्टी खराब होती है, और उपज भी सेहत के लिए फायदेमंद नहीं होती है। लेकिन आपको बता दे कि पहले के समय में जब बहुत ज्यादा किसानों के पास पैसे नहीं थे और खाद कीटनाशक की सुविधा बाजार में नहीं उपलब्ध होती थी तब किसान राख का इस्तेमाल करते थे। आज भी गांव में पहाड़ी इलाकों में राख का इस्तेमाल किया जाता है। राख की लकड़ी और कंडे के जलने के बाद, बचा हुआ पाउडर होता है, तो चलिए आपको बताते हैं राख का फायदा क्या है, इसका इस्तेमाल कैसे करें और किन बातों का ध्यान रखें।
राख के फायदे
राख खेती-किसानी में बहुत ही ज्यादा काम आती है। अगर घर में थोड़े बहुत पौधे भी लगा रखे हैं तो उनमें भी राख का इस्तेमाल कर सकते हैं। ज्यादातर पौधों के लिए राख फायदेमंद होती है। राख एक प्राकृतिक उर्वरक है, जिसमें कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम, मैग्नीशियम, लोहा, जस्ता और तांबा जैसे पोषक तत्व होते हैं जो कि पौधे के वृद्धि के लिए मददगार होते हैं। इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है। इतना ही नहीं राख कीटनाशक के तौर पर भी काम आती है। जिसके लिए सब्जियों के पौधों के ऊपर राख का छिड़काव किया जाता है जैसे कि बैगन, टमाटर, और मिर्च में राख का इस्तेमाल करते है।
राख का इस्तेमाल कैसे करें
राख का इस्तेमाल किसान बड़े आसानी से कर सकते हैं। इसे पौधे के आसपास मिट्टी में मिला सकते हैं या पौधे के ऊपर छिड़क सकते हैं। अगर कीटों की समस्या आ रही है तो। इसके अलावा सर्दियों में पाला से बचाने के लिए भी राख का इस्तेमाल किया जाता है। गमले में पौधे लगे है तो पानी में राख मिलाकर मिट्टी में डाल सकते हैं। राख को मिट्टी में मिलाने से पहले उसे ठंडा जरूर कर लें। जब बिल्कुल उसमें आंच ना रह जाए, तब उसका इस्तेमाल करना चाहिए।
राख फ्री में जरूर मिलती हैं, लेकिन बहुत ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, सीमित मात्रा में समय-समय पर इस्तेमाल करना चाहिए और जब हवा चलती है उस समय भी खेतों में राख नहीं डालना चाहिए। राख का इस्तेमाल किसान टमाटर, गाजर, चुकंदर, गोभी, ब्राजील, मटर, बीन्स, बैगन आदि में कर सकते हैं।
नोट: इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभवों और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध इंटरनेट स्रोतों पर आधारित है। किसी भी जानकारी का उपयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से परामर्श अवश्य करें।