हमारे देश में सरसों की खेती सबसे अधिक खेती राजस्थान प्रदेश के किसानों की ओर से किया जा रहा है। वही अब किसानों ने इस वर्ष सरसों के भाव को सरकार से नाराज नजर आ रहे हैं।
सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि को लेकर मांग किया जा रहा है। बता दें कि किसान महापंचायत से संबंधित किसानों का कहना है कि आगामी 15 दिनों तक वे मंडियों में सरसो ने बेचने पर फैसला लिया गया है।
सरसों सत्याग्रह आंदोलन आरंभ
मिली जानकारी के अनुसार सरसों सत्याग्रह आंदोलन को रामपाल जाट की ओर से नेतृत्व किया जा रहा है। राजस्थान प्रदेश के टोंक में किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट की ओर किसानों से बातचीत किया।
उनके द्वारा किसानों को समझाया गया कि सरसों के फसल में 6 हजार रुपए प्रति क्विंटल की से कम बोली होने पर कीमत को ना स्वीकार करें। साथ ही सरसों के बोली का शुरुआत 6 हजार रुपए प्रति क्विंटल मंडियों में हो इस लिए 1 से लेकर 15 मार्च 2025 तक सरसों मंडी में नहीं ना लेकर आए।
सरसों के उत्पादन में राजस्थान प्रदेश का टोंक जिला सबसे अग्रणी स्थान है। सरसो का यहां पर उत्पादन 551157 मीट्रिक टन होता है जो कि प्रदेश का कुल सरसों उत्पादन के 9.91 % होता है।
व्यापारी ऊंचे तेल अंश पर बोली शुरू
बता दें कि किसान महापंचायत के द्वारा कहा गया है, कि सरसों 36% तेल अंश का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5950 रुपए प्रति क्विंटल। उनके अनुसार तेल अंश में 0.25% के वृद्धि से किसान को 15 रुपए ज्यादा प्राप्त होगा। वहीं व्यापारियों के द्वारा नीलामी 42% तेल अंश के मुताबिक लगाई जाती है। वही अगर उन्हें 42% सरसों प्राप्त नहीं होता तो वे मनमाफ़िक पैसा काटकर कृषि उपज की खरीद करते हैं। और तेल का अंश 1% कम रहने पर 150 रुपए तक काट लिया जाता है।
व्यापारी करते हैं उपज में कटौती
इस अलावा किसान महापंचायत की ओर से आरोप लगाए गए जिसमें मंडियों में व्यापारी नियम विरुद्ध जाकर 4 सौ से 6 सौ रुपए प्रति क्विंटल अधिक सरसों लिया जा रहा है। जिस कारण जो पैसा किसानों को मिलने वाला है वो व्यापारियों को मिल रहा है। जिसका उपयोग व्यापारी मंडी अधिकारियों अपने साथ मिलाने के लिए किया जा रहा है।
उन्होंने मांग करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान के तहत MSP के ऊपर 25% अब सरसों की खरीद का प्रावधान। ऐसे में राजस्थान प्रदेश की सरकार किसान से 40 क्विंटल का खरीद करना चाहिए।
पाम तेल के आयात पर शुल्क बढ़ोतरी
बता दें कि रामपाल जाट की ओर से मांग किया गया जिसमें आयातित पाम ऑयल पर 85% आयातित शुल्क लगाया जाए। उनके द्वारा कहा गया कि प्रदेश के किसानों को जंतर-मंतर पर सरसों सत्याग्रह आंदोलन कर 300 रुपए पाम तेल के आयात शुल्क बढ़ाने का मांग किया था।
साल 2021 के समय कोरोना सरसों में पाम तेल मिलावट के ऊपर पाबंदी लगाया गया। जिसके बाद भी सरसों में पाम तेल का मिलावट हो रहा है। खाद्य पदार्थों में मिलावटखोरों पर पाबंदी लगाने को लगाई गई टीम सुस्त है। वहीं उनके मुताबिक अगर मिलावटखोरों के ऊपर पाबन्दी लगाया जाए तो सरसों की कीमत खुद से तेज हो जाएगी।