Mangal Grah Ke Upay: मंगलवार के दिन कुछ ऐसे उपाय होते हैं, जिन्हें करने से कुंडली में मंगल ग्रह मजबूत हो जाते हैं। तो आज इस खबर में जानेंगे कि मंगल ग्रह को कैसे मजबूत कर सकते हैं।
Mangalwar Ke Upay: हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए मंगलवार का दिन सबसे उत्तम बताया गया है। मान्यता है कि मगंलवार को नियमित हनुमान जी की पूजा करने से सभी समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मगंलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने से कुंडली में व्याप्त शनि दोष से भी मुक्ति मिल जाती है। इसके साथ ही अन्य दोषों से भी मुक्ति मिलती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, स्वयं शनिदेव ने हनुमान जी को यह वचन दिया है कि जो जातक मंगलवार के दिन विधि-विधान से हनुमान जी की पूजा करते हैं, उनके सारे कष्ट शनि देव हर लेंगे। साथ ही उन्हें किसी भी प्रकार की हानि भी नहीं पहुचाएंगे। इसलिए मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमान जी की पूजा अवश्य रूप से करनी चाहिए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में मंगल ग्रह को मजबूत करने के लिए मंगलवार का दिन सबसे उत्तम माना गया है। इसलिए मंगलवार के दिन विशेष उपाय करने के बारे में बताया गया है। यदि आप इन उपायों को करते हैं, तो कुंडली में मंगल की स्थिति मजबूत हो जाती है। इसके साथ ही मंगल देव की कृपा भी होती है।
मंगल तांत्रिक मंत्र
ऊँ हां हंस: खं ख:
ऊँ हूं श्रीं मंगलाय नम:
ऊँ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:
मंगल एकाक्षरी बीज मंत्र
ऊँ अं अंगारकाय नम:
ऊँ भौं भौमाय नम:।।
मंगल ग्रह मंत्र
ऊँ धरणीगर्भसंभूतं विद्युतकान्तिसमप्रभम ।
कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगलं प्रणमाम्यहम ।।
मंगल गायत्री मंत्र
ॐ अंगारकाय विद्महे शक्ति हस्ताय धीमहि तन्नो भौमः प्रचोदयात्।।
मंगल ग्रह कवच
रक्तांबरो रक्तवपुः किरीटी चतुर्भुजो मेषगमो गदाभृत् ।
धरासुतः शक्तिधरश्च शूली सदा ममस्याद्वरदः प्रशांतः ॥
अंगारकः शिरो रक्षेन्मुखं वै धरणीसुतः ।
श्रवौ रक्तांबरः पातु नेत्रे मे रक्तलोचनः ॥
नासां शक्तिधरः पातु मुखं मे रक्तलोचनः ।
भुजौ मे रक्तमाली च हस्तौ शक्तिधरस्तथा ॥
वक्षः पातु वरांगश्च हृदयं पातु लोहितः।
कटिं मे ग्रहराजश्च मुखं चैव धरासुतः ॥
जानुजंघे कुजः पातु पादौ भक्तप्रियः सदा ।
सर्वण्यन्यानि चांगानि रक्षेन्मे मेषवाहनः ॥
या इदं कवचं दिव्यं सर्वशत्रु निवारणम् ।
भूतप्रेतपिशाचानां नाशनं सर्व सिद्धिदम् ॥
सर्वरोगहरं चैव सर्वसंपत्प्रदं शुभम् ।
भुक्तिमुक्तिप्रदं नृणां सर्वसौभाग्यवर्धनम् ॥
रोगबंधविमोक्षं च सत्यमेतन्न संशयः ॥
मंगल स्तोत्र
धरणीगर्भसंभूतं विद्युतेजसमप्रभम ।
कुमारं शक्तिहस्तं च मंगलं प्रणमाम्यहम ।।
ऋणहर्त्रे नमस्तुभ्यं दु:खदारिद्रनाशिने ।
नमामि द्योतमानाय सर्वकल्याणकारिणे ।।
देवदानवगन्धर्वयक्षराक्षसपन्नगा: ।
सुखं यान्ति यतस्तस्मै नमो धरणि सूनवे ।।
यो वक्रगतिमापन्नो नृणां विघ्नं प्रयच्छति ।
पूजित: सुखसौभाग्यं तस्मै क्ष्मासूनवे नम:।।
प्रसादं कुरु मे नाथ मंगलप्रद मंगल ।
मेषवाहन रुद्रात्मन पुत्रान देहि धनं यश:।।