Mustard Oil Banned: खाना पकाने में तेल का चयन न केवल स्वाद बल्कि स्वास्थ्य और सांस्कृतिक मानदंडों पर भी निर्भर करता है. जहां भारत जैसे देशों में सरसों का तेल वर्षों से रसोई का एक अहम हिस्सा रहा है, वहीं पश्चिमी देशों में इसे खाद्य तेल के रूप में उपयोग करने पर प्रतिबंध है.
सरसों तेल का वैश्विक प्रतिबंध और कारण
अमेरिका और यूरोपीय देशों में सरसों तेल पर प्रतिबंध मुख्यतः इसमें उपस्थित एरुसिक एसिड के कारण है जिसे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है. इस एसिड का हाई लेवल दिल की बीमारियों से लेकर अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है. इसी कारण से इन देशों में सरसों के तेल का उपयोग केवल बाहरी प्रयोग और औषधीय प्रयोजनों के लिए ही सीमित है.
वैकल्पिक तेलों का उपयोग
जहां एक ओर सरसों तेल पर प्रतिबंध है वहीं पश्चिमी देशों में लोग मुख्य रूप से ऑलिव ऑयल, सोयाबीन तेल और कैनोला तेल जैसे अन्य विकल्पों का उपयोग करते हैं. ये तेल न केवल स्वास्थ्य के लिए अच्छे माने जाते हैं बल्कि इनमें हृदय के लिए फायदेमंद ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड भी पाए जाते हैं.
भारतीय रसोई में सरसों तेल का उपयोग
भारत में सरसों तेल न केवल खाना पकाने के लिए बल्कि अनेक पारंपरिक चिकित्सीय विधियों में भी प्रमुखता से उपयोग होता है. इसके एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इन्फ्लेमेटोरी गुण इसे एक बहुउपयोगी तेल बनाते हैं. चाहे जोड़ों का दर्द हो या त्वचा की समस्याएं, सरसों तेल एक उपचार साबित होता है.