Train Electricity: भारतीय रेलवे द्वारा ट्रेनों और रेलवे स्टेशनों के लिए खरीदी जाने वाली बिजली की दर करीब 7 रुपये प्रति यूनिट है। यह दर रेलवे के लिए एक महत्वपूर्ण खर्च बन जाता है, खासकर लंबी दूरी की ट्रेनों और AC कोचों में ज्यादा बिजली की जरूरत होती है।
एसी बोगी में बिजली की खपत और लागत
एक एसी बोगी में औसतन हर घंटे 210 यूनिट बिजली की खपत होती है। यदि इस दर को 7 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से गणना करें, तो केवल 12 घंटे में 210 यूनिट की खपत पर रेलवे को 17,640 रुपये खर्च करने होते हैं। यह खर्च लंबी दूरी की ट्रेनों में और भी ज्यादा हो सकता है।
स्लीपर और जनरल कोच में बिजली की खपत
स्लीपर और जनरल कोचों में एसी कोचों की तुलना में कम बिजली की खपत होती है। ऐव्रिज, स्लीपर और जनरल कोच एक घंटे में 120 यूनिट बिजली का उपभोग करते हैं। 12 घंटे में 1440 यूनिट बिजली की खपत होती है, जिसके लिए रेलवे को 10,080 रुपये का भुगतान करना पड़ता है।
रेलवे में Train Electricity के दो प्रमुख तरीके
भारतीय रेलवे कोचों में बिजली आपूर्ति के दो मुख्य तरीके हैं:
- हाई-टेंशन वायर सप्लाई – इलेक्ट्रिक ट्रेनों के इंजन और उनके कोचों को सीधे हाई-टेंशन वायर से बिजली दी जाती है। यह ज्यादा किफायती और असरदार तरीका माना जाता है।
- पावर जनरेटर कोच सप्लाई – इसमें जनरेटर कोच का उपयोग किया जाता है, जहां डीजल से बिजली उत्पन्न की जाती है और ट्रेन के विभिन्न कोचों को आपूर्ति की जाती है।
पावर जनरेटर से बिजली सप्लाई का खर्च
पावर जनरेटर से स्लीपर और जनरल कोचों को बिजली आपूर्ति दी जाती है। इस प्रक्रिया में हर घंटे लगभग 3200 रुपये का डीजल खर्च होता है। वहीं, एसी कोच के लिए यह खर्च बढ़कर 5600 रुपये प्रति घंटा हो जाता है।
पावर जनरेटर से चलने वाली ट्रेन का कुल बिजली खर्च
यदि किसी ट्रेन में 4 एसी, 6 स्लीपर और 2 जनरल कोच हों, तो पावर जनरेटर के जरिए बिजली खर्च कुछ इस प्रकार होगा:
- प्रति घंटे कुल खर्च: 48,000 रुपये
- प्रति दिन (12 घंटे की गणना पर): 5,76,000 रुपये
हाई-टेंशन वायर सप्लाई से चलने वाली ट्रेन का कुल खर्च
यदि बिजली की आपूर्ति हाई-टेंशन वायर से होती है, तो कुल खर्च इस प्रकार रहेगा:
- प्रति घंटे कुल खर्च: 1,56,960 रुपये
- प्रति दिन (12 घंटे की गणना पर): 18.83 लाख रुपये