मेट्रो संचालन के लिए जमीन की मजबूती परखने जयपुर से टीम बरेली आ गई है। दो साल पहले शुरू हुई मेट्रो संचालन की कवायद अब धरातल पर है। जयपुर टीम ने गांधी उद्यान के सामने मिट्टी का परीक्षण किया। जयपुर से विशेषज्ञों की टीम आई है, जो शहर में मिट्टी की गुणवत्ता परखेगी। 25 सितंबर को बीडीए और राइट्स के अधिकारियों की बैठक भी हुई थी। अब जमीन के सर्वेक्षण के लिए बुधवार को जयपुर की टीम शहर आ गई है।रिपोर्ट में बिल्कुल साफ है मेट्रो के पिलरों का भार उठाने के लिए यहां की जमीन सक्षम है या नहीं। जमीन की गहराई की जांच करने पहुंची टीम को मशीनों के साथ पानी की जरूरत होती है। ऐसे में टीम ने सुबह ही नगर निगम से पानी की व्यवस्था करने के लिए आग्रह किया था। टीम के साथ आए अधिकारियों ने बताया कि सुबह से वह पानी का इंतजार कर रहे हैं। अपराह्न तीन बजे तक टीम को पानी नहीं मिल सका था।
शहर में पहले चरण में 12 किमी और दूसरे चरण में 9.5 किमी रूट पर मेट्रो के संचालन की योजना बनाई गई है। शासन ने बीडीए को मेट्रो की डीपीआर से लेकर नक्शे और रूट के सर्वेक्षण तक की जिम्मेदारी सौंपी थी। यह टीम 30 मीटर गहराई तक की मिट्टी की गुणवत्ता परखेगी। जमीन अधिग्रहण से लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के साथ ऑपरेशन व मेंटीनेंस भी किया जाएगा। शहर में मेट्रो संचालन पर तीन से पांच हजार करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
इसमें सार्वजनिक परिवहन विकल्पों का विवरण, वैकल्पिक सार्वजनिक परिवहन साधनों के लिए गुणात्मक व लागत आधारित स्क्रीनिंग जैसे बिंदु शामिल होंगे। 15 अक्टूबर तक इस बात का सर्वेक्षण होगा कि शहर में लाइट मेट्रो संचालित की जाए या भविष्य की जरूरत को देखते हुए मेट्रो चलाई जाए। इसके बाद ही सर्वेक्षण शुरू हुआ है। शहर में मेट्रो का संचालन होगा या लाइट मेट्रो का, इसको लेकर स्थिति साफ नहीं है।