UP News : उत्तर प्रदेश में स्थित बाराबंकी से गोरखपुर तक फैले 241 किलोमीटर लंबे रेलवे ट्रैक को स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली, जिसे ‘कवच’ कहा जाता है, से तेजी से सुसज्जित किया जा रहा है। यह तकनीक खासतौर पर दिल्ली से बिहार तक संचालित होने वाली ट्रेनों के लिए लाभकारी साबित होगी। इस प्रणाली का मुख्य उद्देश्य ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकना है, जिससे यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
कवच तकनीक में जीपीएस और रेडियो फ्रीक्वेंसी का उपयोग किया जाएगा, जो ट्रेनों के बीच की दूरी को ट्रैक करने में मदद करेगा। यदि किसी भी स्थिति में दो ट्रेनों के टकराने का खतरा उत्पन्न होता है, तो यह प्रणाली स्वचालित रूप से दोनों ट्रेनों में ब्रेक लगाकर दुर्घटना को टाल देगी। इससे न केवल यात्रियों की सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि रेलवे यातायात की दक्षता में भी सुधार होगा।
इस स्वचालित सुरक्षा प्रणाली के लागू होने से भारतीय रेलवे की सुरक्षा मानकों में एक नया अध्याय जुड़ जाएगा। रेलवे विभाग इस तकनीक को जल्दी से लागू करने की दिशा में काम कर रहा है, ताकि यात्रियों को सुरक्षित और सुविधाजनक यात्रा का अनुभव मिल सके।
रेलवे सुरक्षा को लेकर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। वास्तव में, ट्रेनों के बीच टकराव को रोकने के लिए भारतीय रेलवे ने दो साल पहले ही अनुसंधान एवं विकास संगठन (आरडीएसओ) के साथ मिलकर एक स्वदेशी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली का विकास किया था। यह प्रणाली अब सफलतापूर्वक लागू की जा चुकी है। पूर्वोत्तर रेलवे ने इस नई सुरक्षा प्रणाली को लागू करने के लिए बाराबंकी-गोरखपुर रेलवे ट्रैक का चुनाव किया है।
इस नई प्रणाली का उद्देश्य ट्रेनों के बीच टकराव को रोकना है, जिससे यात्रा के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। रेलवे अधिकारियों का मानना है कि इस तकनीक के जरिए भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओं को काफी हद तक कम किया जा सकेगा।
इंजीनियरों द्वारा किए गए सर्वेक्षण के पश्चात, रेलवे बोर्ड ने बीते दो वर्षों में इस महत्वाकांक्षी परियोजना को स्वीकृति दी थी। इस उद्देश्य के लिए 467 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया था, जिसे कार्यान्वयन के लिए आवंटित कर दिया गया है। अधिकारियों का अनुमान है कि आने वाले वर्ष 2025 के मार्च महीने तक इस प्रोजेक्ट को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया जाएगा।
रेलवे विभाग के वरिष्ठ इंजीनियरों ने जानकारी दी है कि इस स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली, जिसे ‘कवच’ नाम दिया गया है, में विभिन्न प्रकार की अत्याधुनिक और विश्वसनीय तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। इस प्रणाली के माध्यम से ट्रेनों की सुरक्षा में सुधार के साथ-साथ संचालन में भी दक्षता बढ़ाई जाएगी। रेलवे विभाग का मानना है कि इस तकनीक के कार्यान्वयन से भविष्य में संभावित दुर्घटनाओं की संख्या में कमी आएगी, जिससे यात्रियों का भरोसा और बढ़ेगा।
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, नया सिस्टम अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग करेगा, जिसमें माइक्रो प्रोसेसर, ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) और रेडियो संचार सम्मिलित हैं। यह प्रणाली न केवल लोकोमोटिव और सिग्नलिंग सिस्टम के साथ काम करेगी, बल्कि ट्रेनों की पटरियों पर भी प्रभावी होगी। इससे लोको पायलट की गतिविधियों की निगरानी की जा सकेगी, जिससे सुरक्षा में सुधार होगा।
इस तकनीक की खासियत यह है कि जब दो ट्रेनों के बीच टकराव का खतरा होगा, तो ऑडियो-वीडियो अलर्ट के माध्यम से पहले ही जानकारी प्रदान कर दी जाएगी। यदि ट्रेनें एक ही ट्रैक पर होंगी, तो सिस्टम स्वतः ब्रेक लगाने में सक्षम होगा। यह प्रणाली यात्रियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे रेलवे यात्रा को और अधिक सुरक्षित बनाया जा सकेगा।