बुधवार को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि जीवाश्म ईंधन पर निर्भता कम करने के लिए तरीकों पर शोध कार्य करने कि जरूरत है क्योकि ससे ईकोलॉजिकल और पर्यावरणीय मुद्दों को कम करने में भी मदद मिलेगी। इसके साथ ही अनुसंधान कार्यों में सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए टिकाऊ जीवन बनाने की भी बड़ी क्षमता है। उन्होने कहा कि हमें जिस अनुसंधान की आवश्यकता है वह हमारे आयात को कम करने के लिए है और वह अनुसंधान जहां हम पारिस्थितिकी और पर्यावरण की समस्याओं को कम करने के लिए कचरे का उपयोग कर सकते हैं। उन्होने एजिस ग्राहम बेल अवार्ड्स के 14वें संस्करण को संबोधित करते हुए ये कहा है।
नितिन गडकरी का कहना है कि विभिन्न प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके एक दिन भारत मजबूत होगा और आने वाले 5 वर्षो में एक दिन ऐसा भी आएगा जब देश में जैव-विमानन ईंधन का निर्यातक होगा। मंत्री ने कहा कि बांस, गेहूं के भूसे और चावल के भूसे से बायोमास का उपयोग करके इथेनॉल बनाया जा सकता है और इथेनॉल से जैव-विमानन ईंधन बनाया जा सकता है। उनके अनुसार, शोध कार्यों से स्मार्ट गांवों के विकास, जल संरक्षण और कृषि पद्धतियों के विविधीकरण में भी मदद मिलेगी।
गडकरी का कहना है,
”मैं आपसे कृषि, ग्रामीण, आदिवासी के लिए अपने शोध को प्राथमिकता देने का अनुरोध करूंगा… इसमें बहुत बड़ी
संभावना है जिसके द्वारा हम उन लोगों के लिए एक स्थायी जीवन बना सकते हैं जो सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक रूप से पिछड़े हैं।